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खतरे के संकेत दे रहा उत्तराखंड का मानसून पैटर्न, हैरान कर रहे राज्य के इन जिलों के हालात - Uttarakhand Monsoon - UTTARAKHAND MONSOON

UTTARAKHAND CLIMATE उत्तराखंड में जल्द ही मानसून की विदाई हो जाएगी. लेकिन आज की चिंता लौटता हुआ मानसून नहीं, बल्कि मानसून का वो बदलता पैटर्न है, जिसे देखकर बुद्धिजीवी भी हैरान हैं. दरअसल प्रदेश में बारिश का असंतुलन और तीव्रता ने नए खतरों के संकेत देने शुरू कर दिए हैं. हालात ये हैं कि मौसम से जुड़े वैज्ञानिक इन खतरों को समझ तो रहे हैं, लेकिन इसका उपाय फिलहाल निकलता नहीं दिख रहा है.

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खतरे के संकेत दे रहा उत्तराखंड का मानसून पैटर्न (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 27, 2024, 3:46 PM IST

Updated : Sep 27, 2024, 7:05 PM IST

देहरादून:दुनियाभर में पिछले कुछ दशक ग्लोबल वार्मिंग की चिंता से भरे रहे हैं. तमाम पर्यावरणविद (Environmentalist) इस समस्या के लिए सैकड़ों रिसर्च पेपर भी लिख चुके हैं. हालांकि ऐसी रिपोर्ट्स का मकसद जलवायु परिवर्तन के खतरों को दुनिया तक ले जाना होता है, लेकिन अब आम लोगों को भी ग्लोबल वार्मिंग के असर को जानने के लिए किसी रिसर्च पेपर की जरूरत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि मौसम में आ रहे बदलाव के कारण इसके प्रत्यक्ष परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं. उत्तराखंड में मानसून से जुड़े आंकड़ों ने राज्य में बारिश के बदलते पैटर्न को न केवल स्पष्ट किया है, बल्कि इसके कारण आने वाले समय की चुनौतियों को भी बताया है.

5 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई रिकॉर्ड:इस साल मानसून सीजन के दौरान 13 में से 5 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि बाकी 8 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. खासतौर पर बागेश्वर और चमोली जिले में नए पैटर्न से आने वाली मुसीबतें बढ़ने की संभावना है.

खतरे के संकेत दे रहा उत्तराखंड का मानसून पैटर्न (video-ETV Bharat)

राज्य में बदलता पैटर्न कई मायनों में खतरनाक:इस साल मानसून सीजन में पूरे जिले में कुल बारिश की मात्रा सामान्य के करीब रही है. अब तक 10 फीसदी सामान्य से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि पिछले साल भी राज्य भर में करीब इतनी ही बारिश रिकार्ड की गई थी. इस तरह देखा जाए तो बारिश की मात्रा में कुछ खास बदलाव नहीं देखने को मिला है, लेकिन बारिश के डिस्ट्रीब्यूशन में जिलेवार काफी अंतर दिखाई दे रहा है.

उत्तराखंड के लिए इन जिलों से मिल रहे खतरनाक संकेत (photo- ETV Bharat)

बारिश के असंतुलन के कारण बाढ़ जैसी स्थिति:कुछ जिले ऐसे हैं, जहां पर साल दर साल मानसून सीजन में ज्यादा बारिश हो रही है, जबकि कुछ जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य अनुपात में भी बारिश नहीं हो रही है. यानी कुछ जिलों में बारिश के असंतुलन के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बनती है, तो कुछ जिले ऐसे हैं जहां सूखे के हालात हो जाते हैं. हालांकि इस मामले में मौसम विभाग बागेश्वर में कुछ नए बारिश को रिकॉर्ड करने वाले इक्विपमेंट लगाए जाने को वजह बता रहा है, लेकिन बाकी जिलों में कहीं पर बेहद कम तो कहीं पर काफी ज्यादा बारिश के इस अंतर की वजह क्या है इसका कोई स्पष्ट वैज्ञानिक कारण नहीं बताया जा रहा.

मानसून सीजन का एक बड़ा समय बिना बारिश के ही गुजरता:पिछले लंबे समय से यह रिकॉर्ड किया जा रहा है कि मानसून के पूरे सीजन में भले ही कुल बारिश की मात्रा सामान्य के आसपास होती हो, लेकिन मानसून सीजन का एक बड़ा समय बिना बारिश के ही गुजर जाता है. यानी कुछ महीनों के दौरान कुछ क्षेत्रों में होने वाली बेहद ज्यादा बारिश बारिश की मात्रा के आंकड़े को सामान्य की तरफ ले जाती है, जबकि इसका दूसरा पक्ष यह है कि कम समय में कुछ जगहों पर ज्यादा बारिश बादल फटने की घटनाओं को इंगित कर रहा है. साथ ही इस तरह की घटनाओं से भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है.

तापमान बढ़ने के करण वेदर सिस्टम में बदलाव:मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि तापमान बढ़ने के करण वेदर सिस्टम में बदलाव आया है. हालांकि रेनफॉल करीब एक जैसा है, लेकिन कम समय में ज्यादा बारिश या कुछ क्षेत्रों में ज्यादा बारिश जैसी घटना भी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि इस मानसून सीजन में मानसून की एंट्री के दौरान जून महीने में राज्य को बारिश नहीं मिली थी, लेकिन बाकी कुछ महीने में काफी ज्यादा बारिश मिली और इसीलिए ओवरऑल बारिश सामान्य के करीब पहुंच गई. मानसून राज्य में जब दस्तक देता है, उस दौरान बादल फटने की ज्यादा घटनाएं होती हैं और यही वह समय होता है जब खतरा ज्यादा होता है.

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का बदलता है पैटर्न :मौसम पर कई लेख लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत ने बताया कि मौसम का बदलता पैटर्न जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है. इस दौरान भारी बारिश दूसरे खतरों के लिए कारण बन रही है. इसके चलते प्रभावित जिलों में भारी भूस्खलन हो रहा है. उन्होंने कहा कि इससे मानव जीवन तो खतरे में आ ही रहा है. साथ ही देश की आर्थिकी और कृषि क्षेत्र पर भी असर पड़ रहा है.

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Last Updated : Sep 27, 2024, 7:05 PM IST

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