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अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद विपक्ष के निशाने पर केंद्र सरकार, 15 मार्च तक हो सकती है दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति

By PTI

Published : Mar 10, 2024, 10:51 PM IST

Arun Goel Resigned from Election Commissioner Post, अरुण गोयल के निर्वाचन आयुक्त के पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद से विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर लगातार हमला कर रही है. कांग्रेस पार्टी, टीएमसी, एआईएमआईएम और कई अन्य दल इसे लोकतंत्र पर खतरा बता रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जानकारी सामने आ रही है कि 15 मार्च तक दो नए आयुक्तों की नियुक्ति की जा सकती है.

Arun Goyal
अरुण गोयल

नई दिल्ली: अरुण गोयल के निर्वाचन आयुक्त पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद, कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों ने रविवार को पूछा कि क्या उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ किसी मतभेद के कारण यह कदम उठाया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए, कुछ विपक्षी नेताओं ने इस बात पर हैरानी जताई कि क्या गोयल ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह उसके (भाजपा के) टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 'कल शाम निर्वाचन आयुक्त पद से अरुण गोयल का इस्तीफा तीन सवाल खड़े करता है.' उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 'क्या उन्होंने वास्तव में मुख्य निर्वाचन आयुक्त या मोदी सरकार के साथ मतभेदों के कारण इस्तीफा दिया, या फिर उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया, या उन्होंने, कुछ दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह, भाजपा के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग आठ महीने से वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में शामिल दलों से मिलने से इनकार कर रहा है और हेरफेर को रोकने के लिए वीवीपैट बहुत जरूरी है. उन्होंने आरोप लगाया कि 'मोदी के भारत में हर गुजरता दिन लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अतिरिक्त आघात करता है.' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हालांकि गोयल के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि वह आने वाले दिनों में क्या करते हैं.

गोयल के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 'मैं सोच रहा था कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने इस्तीफा दे दिया और अगले दिन भाजपा में शामिल हो गए और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को अपशब्द कहने लगे. इससे पता चलता है कि भाजपा ने ऐसी मानसिकता वाले लोगों को नियुक्त किया है. अब निर्वाचन आयुक्त ने इस्तीफा दे दिया है तो थोड़ा इंतजार करें कि वह क्या करते हैं.'

वहीं दूसरी ओर शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग भाजपा की विस्तारित शाखा बन गया है. उन्होंने दावा किया कि यह वही निर्वाचन आयोग नहीं है, जो टीएन शेषन के समय में था और जो चुनावों पर निगरानी रखने वाले के रूप में काम करता था तथा निष्पक्ष रहता था. राउत ने आरोप लगाया कि 'पिछले 10 वर्षों में निर्वाचन आयोग का निजीकरण कर दिया गया है. यह भाजपा की एक शाखा बन गई है.'

उन्होंने कहा कि दो लोग चले गये और निर्वाचन आयोग में केवल एक ही व्यक्ति बचे हैं. राउत ने दावा किया कि 'जैसे उच्च न्यायालयों, उच्चतम न्यायालय, राजभवनों में भाजपा के लोगों को नियुक्त किया गया है, वैसे ही वे यहां भी भाजपा के अपने दो लोगों को नियुक्त करेंगे.' रमेश ने कहा कि 'संभव है कि अरुण गोयल ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया हो.'

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस्तीफे पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने गोयल और सरकार से जवाब मांगा. उन्होंने कहा कि 'बेहतर होगा कि वह (अरुण गोयल) खुद या सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस्तीफे का कारण बताएं.' तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने पूछा कि 'निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने निर्वाचन आयोग के साथ बंगाल की अपनी यात्रा बीच में ही छोड़कर कल रात अचानक इस्तीफा क्यों दे दिया?'

उन्होंने दावा किया कि 'भाजपा के बंगाल विरोधी बाहरी जमींदार परेशान हैं, क्योंकि बंगाल ने उन्हें लगातार खारिज कर दिया है.' राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि यह चिंताजनक घटनाक्रम है. उन्होंने कहा कि 'लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस तरह अचानक इस्तीफा देना ऐसी बात है, जिसके बारे में हमें चिंतित होना चाहिए, क्योंकि आम तौर पर ऐसा नहीं होता. हो सकता है कि उन्होंने जो कारण बताए हों कि उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है, वे सही हों. लेकिन, इसकी संभावना नहीं है.'

उन्होंने कहा कि 'ऐसी भी संभावना है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के संदर्भ में उनके और मुख्य निर्वाचन आयुक्त के बीच कुछ असहमति थी. मुझे वास्तविक कारण नहीं पता, लेकिन यह अटकलें हैं.' उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग सहित इस देश में ऐसी सभी संस्थाओं जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य हैं, को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 'पिछले कुछ वर्षों में इसे नष्ट कर दिया गया है और पिछले दस वर्षों में उन्होंने इस देश के लगभग सभी संस्थानों पर कब्जा कर लिया है.' टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा कि 'अब चुनाव से पहले, एक निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है. यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बारे में क्या संदेश देता है?'

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि वह आम चुनाव से ठीक पहले निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे से चिंतित है और केंद्र सरकार से इस संबंध में स्पष्ट बयान देने की मांग की. माकपा ने एक बयान में कहा कि 'माकपा का पोलित ब्यूरो भारत के निर्वाचन आयोग के भीतर अचानक हुए इस घटनाक्रम से चिंतित है.'

निर्वाचन आयुक्त ने दिया था इस्तीफा
बता दें कि निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया था. गोयल का कार्यकाल पांच दिसंबर 2027 तक था और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद वह अगले साल फरवरी में संभवत: सीईसी का पदभार संभालते. कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, गोयल का इस्तीफा शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया.

सेवानिवृत्त नौकरशाह गोयल पंजाब कैडर के 1985-बैच के आईएएस अधिकारी थे. वह नवंबर 2022 में निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे. फरवरी में अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और गोयल के इस्तीफे के बाद, तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार हैं.

दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति 15 मार्च तक होने की संभावना
अब चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे से बनी रिक्तियों को भरने के लिए 15 मार्च तक दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होने की संभावना है. अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को सेवानिवृत्त हुए हैं. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व में एक खोज समिति दोनों पदों के लिए पहले पांच-पांच नामों के दो अलग-अलग पैनल तैयार करेगी. इस समिति में गृह सचिव और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव शामिल होंगे.

बाद में, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति, जिसमें एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल होंगे, चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए दो व्यक्तियों का नाम तय करेगी. इसके बाद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी. सूत्रों ने कहा कि चयन समिति सदस्यों की सुविधा के आधार पर 13 या 14 मार्च को बैठक कर सकती है और नियुक्तियां 15 मार्च तक होने की संभावना है.

गोयल के इस्तीफे के पीछे के कारणों से जुड़े सवाल पर सूत्रों ने बताया कि हो सकता है कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया हो. गोयल और कुमार के बीच मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि आंतरिक संचार और निर्णयों के रिकॉर्ड से पता चलता है कि गोयल द्वारा कोई असहमति दर्ज नहीं की गई थी.

शुक्रवार की सुबह इस्तीफा देने वाले गोयल चुनाव ड्यूटी के लिए पूरे भारत में केंद्रीय बलों की तैनाती और आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय तथा रेलवे के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए थे. इससे पहले अशोक लवासा ने अगस्त 2020 में चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दिया था.

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