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क्यों इतनी खास है बांग्लादेश की हिलसा मछली, जिससे मोहम्मद यूनुस सरकार ने हटाया बैन? जानें - Hilsa Fish - HILSA FISH

India Bangladesh Business: अशांति और हिंसा का प्रभाव भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले व्यापार पर काफी ज्यादा पड़ा है. भारत बंग्लादेश से से कपड़े, जूट, फल, सब्जियां और प्रोसेसिंग फूड पदार्थ आयात नहीं कर पा रहा है.

मोहम्मद यूनुस
मोहम्मद यूनुस (AFP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2024, 1:50 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर छात्रों ने शेख हसीना की नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए. इस दौरान देशभर में जमकर हिंसा हुई. हिंसा इतनी बढ़ गई थी कि न सिर्फ शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ बल्कि उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा. हालांकि, बाद में नोबल प्राइज विजेता मोहम्मग युनूस ने अंतरिम सरकार बना ली.

हालांकि, बांग्लादेश में हुई इस सियासी उथल-पुथल का प्रभाव दोनों देशों आयात और निर्यात पर पड़ा है. देश में हुई अशांति और हिंसा के चलते भारत बांग्लादेश से कपड़े, जूट, जूट के सामान, चमड़े के सामान और कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जियां और प्रोसेसिंग फूड पदार्थ आयात नहीं कर पा रहा है.

3,000 टन हिल्सा मछली एक्सपोर्ट का ऐलान
इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दुर्गा पूजा के समय भारत को 3,000 टन हिल्सा मछली एक्सपोर्ट करने की योजना की घोषणा की है. इससे पहले अंतरिम सरकार ने घरेलू मांग को प्राथमिकता देने के लिए भारत को हिलसा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे वह परंपरा रुक गई थी जिसके तहत बांग्लादेश अपने पड़ोसी देश को सद्भावना संकेत के रूप में हिलसा भेजता था.

हिलसा के एक्सपोर्ट ते इस निर्णय फैसले को प्रोफेसर मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में भारत के प्रति रुख में पहले संशोधन के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, सबसे अहम सवाल यह है कि हिलसा मच्छली इतनी अहम क्यों है और पश्चिम बंगाल में इसका इतना महत्व क्यों है?

हिलसा बांग्लादेश की 'राष्ट्रीय मछली' है और पश्चिम बंगाल में इसे ‘माछेर राजा यानी मछलियों का राजा कहा जाता है. हिलसा मछली अपने स्वाद के लिए काफी मशहूर है. साथ ही इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है.

मोहम्मद यूनुस सरकार ने हिलसा मछली के एक्सपोर्ट से हटाया बैन (PTI)

पश्चिम बंगाल में हिलसा का महत्व
पश्चिम बंगाल में कई धार्मिक अनुष्ठानों में हिसला मच्छली का इस्तेमाल किया जाता है. राज्य में लोग इसे देवी-देवताओं को पवित्र बलि के लिए इसे चढ़ाते हैं. इतना ही नहीं दुर्गा पूजा से लेकर जमाई षष्ठी तक में हिलसा मछली को शुभ माना जाता है.

हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है हिलसा
हिलसा मच्छली में कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये पोषक तत्ल कई सारी बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं और शरीर को हेल्दी रखते हैं. हिलसा मच्छली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो दिल को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है. इसके अलावा इसमें विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में मिलता है, जिससे आंखों की रोशनी अच्छी रहती है. इतना ही नहीं इसमें कैल्शियम, विटामिन डी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं.

मछली व्यापारियों में खुशी की लहर
इस बीच बांग्लादेश सरकार के फैसले से पश्चिम बंगाल के मछली व्यापारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. इस संबंध में व्यापारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि बेशक बांग्लादेश सरकार ने भारत में 3,000 टन हिल्सा मछली निर्यात को मंजूरी दी है, लेकिन दुर्गा पूजा शुरू होने में बेहद कम समय बचा है. लिहाजा वे मछलियों की पूरी मात्रा आयात नहीं कर पाएंगे.

बांग्लादेश में दुनिया में सबसे ज्यादा हिल्सा मछली होती है, लेकिन उनके ही देश में भारी मांग निर्यात के आड़े आती है. हालांकि, दुर्गा पूजा के समय अमूमन हिल्सा निर्यात से रोक हटा ली जाती है. इस दौरान पश्चिम बंगाल में लोगों को मछली की पसंदीदा किस्म खाने को मिलती है.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश में नहीं थम रही हिंसा, अल्पसंख्यक हिंदुओं के बाद निशाने पर बौद्ध समुदाय, चार की मौत

नई दिल्ली: हाल ही में बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर छात्रों ने शेख हसीना की नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए. इस दौरान देशभर में जमकर हिंसा हुई. हिंसा इतनी बढ़ गई थी कि न सिर्फ शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ बल्कि उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा. हालांकि, बाद में नोबल प्राइज विजेता मोहम्मग युनूस ने अंतरिम सरकार बना ली.

हालांकि, बांग्लादेश में हुई इस सियासी उथल-पुथल का प्रभाव दोनों देशों आयात और निर्यात पर पड़ा है. देश में हुई अशांति और हिंसा के चलते भारत बांग्लादेश से कपड़े, जूट, जूट के सामान, चमड़े के सामान और कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जियां और प्रोसेसिंग फूड पदार्थ आयात नहीं कर पा रहा है.

3,000 टन हिल्सा मछली एक्सपोर्ट का ऐलान
इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दुर्गा पूजा के समय भारत को 3,000 टन हिल्सा मछली एक्सपोर्ट करने की योजना की घोषणा की है. इससे पहले अंतरिम सरकार ने घरेलू मांग को प्राथमिकता देने के लिए भारत को हिलसा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे वह परंपरा रुक गई थी जिसके तहत बांग्लादेश अपने पड़ोसी देश को सद्भावना संकेत के रूप में हिलसा भेजता था.

हिलसा के एक्सपोर्ट ते इस निर्णय फैसले को प्रोफेसर मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में भारत के प्रति रुख में पहले संशोधन के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, सबसे अहम सवाल यह है कि हिलसा मच्छली इतनी अहम क्यों है और पश्चिम बंगाल में इसका इतना महत्व क्यों है?

हिलसा बांग्लादेश की 'राष्ट्रीय मछली' है और पश्चिम बंगाल में इसे ‘माछेर राजा यानी मछलियों का राजा कहा जाता है. हिलसा मछली अपने स्वाद के लिए काफी मशहूर है. साथ ही इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है.

मोहम्मद यूनुस सरकार ने हिलसा मछली के एक्सपोर्ट से हटाया बैन (PTI)

पश्चिम बंगाल में हिलसा का महत्व
पश्चिम बंगाल में कई धार्मिक अनुष्ठानों में हिसला मच्छली का इस्तेमाल किया जाता है. राज्य में लोग इसे देवी-देवताओं को पवित्र बलि के लिए इसे चढ़ाते हैं. इतना ही नहीं दुर्गा पूजा से लेकर जमाई षष्ठी तक में हिलसा मछली को शुभ माना जाता है.

हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है हिलसा
हिलसा मच्छली में कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये पोषक तत्ल कई सारी बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं और शरीर को हेल्दी रखते हैं. हिलसा मच्छली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो दिल को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है. इसके अलावा इसमें विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में मिलता है, जिससे आंखों की रोशनी अच्छी रहती है. इतना ही नहीं इसमें कैल्शियम, विटामिन डी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं.

मछली व्यापारियों में खुशी की लहर
इस बीच बांग्लादेश सरकार के फैसले से पश्चिम बंगाल के मछली व्यापारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. इस संबंध में व्यापारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि बेशक बांग्लादेश सरकार ने भारत में 3,000 टन हिल्सा मछली निर्यात को मंजूरी दी है, लेकिन दुर्गा पूजा शुरू होने में बेहद कम समय बचा है. लिहाजा वे मछलियों की पूरी मात्रा आयात नहीं कर पाएंगे.

बांग्लादेश में दुनिया में सबसे ज्यादा हिल्सा मछली होती है, लेकिन उनके ही देश में भारी मांग निर्यात के आड़े आती है. हालांकि, दुर्गा पूजा के समय अमूमन हिल्सा निर्यात से रोक हटा ली जाती है. इस दौरान पश्चिम बंगाल में लोगों को मछली की पसंदीदा किस्म खाने को मिलती है.

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