नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने 'सनातन धर्म' पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के संबंध में कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ करने का निर्देश देने की मांग की है. तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल मंत्री स्टालिन फिल्म अभिनेता हैं और राज्य के मुख्यमंत्री व डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई तमिलनाडु से बाहर की जानी चाहिए. जस्टिस खन्ना ने कहा, "आप तमिलनाडु राज्य में नहीं रह सकते, आपको बाहर जाना होगा...हमें बताएं कि कौन सा राज्य सबसे सुविधाजनक है."
उदयनिधि ने जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में दर्ज तीन एफआईआर और पांच शिकायतों को एक साथ लाने और उन्हें किसी एक आपराधिक अदालत/पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है. इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक और आपराधिक मामले को प्रार्थना में शामिल करने के लिए संशोधन याचिका को अनुमति दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान उदयनिधि की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने बताया कि उनके मुवक्किल द्वारा सितंबर 2023 में दिए गए भाषण को लेकर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं और 5 अलग-अलग स्थानों/राज्यों में पांच आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं. विल्सन ने कहा कि स्वतंत्र सुनवाई का अधिकार मौलिक अधिकार है और एक भाषण के लिए दूसरे राज्यों में अलग-अलग शिकायतें और एफआईआर नहीं हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों और एफआईआर को एक साथ मिलाकर एक आपराधिक अदालत और पुलिस थाने में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी रोक के सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिकाओं के लंबित रहने के कारण आपराधिक अदालतों ने इसका फायदा उठाया है और स्टालिन की उपस्थिति पर जोर देना शुरू कर दिया है, इसलिए आपराधिक अदालतों के समक्ष उनकी उपस्थिति को समाप्त किया जाना चाहिए.