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दिल्ली की हवा में ले रहे सांस तो लगाएं मास्क, AIIMS की OPD में बढ़े सांस की बीमारी के 20% मरीज

डॉ. करण मदान ने बताया कि ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और सीने में दर्द की शिकायत है.

वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियों के मामले 20% तक बढ़े
वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियों के मामले 20% तक बढ़े (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 7, 2024, 4:57 PM IST

Updated : Nov 8, 2024, 6:48 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की हवा इन दिनों सांस लेने लायक नहीं बची है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले काफी समय से 400 के आसपास बना हुआ है. इसके साइड इफेक्ट्स भी दिखने लगे हैं. दिल्ली के अस्पतालों में सांस की तकलीफ के मरीज बढ़े हैं. एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान के अनुसार, ओपीडी में सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित मरीजों की संख्या में 15 से 20% की वृद्धि देखी जा रही है.

सांस के मरीजों के लिए कठिन समय: वायु प्रदूषण के बारे में एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान कहते हैं,'' वायु प्रदूषण के वजह से मरीजों को बहुत सी समस्याएं हो रही हैं. जिन मरीजों को अस्थमा जैसी सांस की बीमारी है, सीओपीडी के मरीज हैं, अब हम ओपीडी में बहुत अधिक मरीज देख रहे हैं. कई मरीजों ने शिकायत की है कि उनका अस्थमा खराब हो रहा है. कई मरीज गंभीर रूप से बिगड़े हुए अस्थमा के साथ आए अस्पताल में आए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता पड़ी है. इसलिए मुझे लगता है कि उन मरीजों के लिए यह कठिन समय है जिन्हें सांस की समस्या है."

व्यायाम करने की सलाह, होगा फायदा:एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान के अनुसार,''जिन मरीजों को पहले से ही अस्थमा है उन मरीजों की संख्या में लगभग 15 से 20% की वृद्धि हुई है. हम अस्थमा के बिगड़े हुए मरीजों की संख्या बहुत अधिक देख रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि जिन मरीजों को सांस की समस्या है उन्हें बाहरी गतिविधियों से बचना चाहिए. यदि आप व्यायाम करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा. आप घर के अंदर व्यायाम करें ताकि आपका वायु प्रदूषण के संपर्क में कम आए. यदि आपको अस्थमा है, तो नियमित रूप से अपने इनहेलर लें.

वायु गुणवत्ता सूचकांक के बारे में जानिए: एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को गंभीर और 500 से ऊपर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं.

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Last Updated : Nov 8, 2024, 6:48 AM IST

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