नई दिल्ली: आत्महत्या और भाईचारे की घटनाओं से परेशान होकर भारत की प्रमुख सीमा सुरक्षा एजेंसी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 'सिजोफ्रेनिया' का सामना कर रहे अपने जवानों के लिए 'जबरन सेवानिवृत्ति' (forcible retirement) प्रक्रिया शुरू की है.
सीमा सुरक्षा बल ने इस महीने की शुरुआत में सभी इकाइयों में लगभग 300 कर्मियों के खिलाफ 'अमान्य कार्यवाही' शुरू कर दी है, जब मेडिकल बोर्ड ने उनकी 'मनोरोग' स्थिति का आकलन करने के बाद उन्हें निम्न चिकित्सा श्रेणी (एलएमसी) में रखा था.
ईटीवी भारत के पास मौजूद बीएसएफ के आंतरिक संचार के मुताबिक 'विभिन्न इकाइयों के निम्नलिखित मनोरोग एलएमसी मामलों में आर/ओ में अमान्य कार्यवाही को आईजी/डीआईआर (मेड) द्वारा अनुमोदित किया गया है और निपटान के लिए संबंधित मुख्यालय को भेज दिया गया है.'
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है जिसमें लोग वास्तविकता की असामान्य रूप से व्याख्या करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, सिजोफ्रेनिया मनोविकृति का कारण बनता है और दिव्यांगता से जुड़ा होता है. ये व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक और व्यावसायिक कामकाज सहित जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है.
कहां कितने मामले :आंकड़ों के अनुसार, मेघालय के तुरा में तैनात बीएसएफ की 55वीं बटालियन आठ मामलों के साथ मनोचिकित्सक-एलएमसी के रूप में पहचाने जाने वाले कर्मियों की सूची में टॉप पर है. सात मामलों के साथ दूसरा सबसे बड़ा मामला 110 बटालियन में है.
इन सभी कर्मियों को बीएसएफ नियमों के नियम 25 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जो शारीरिक अयोग्यता के आधार पर अधीनस्थ अधिकारियों और नामांकित व्यक्तियों की सेवानिवृत्ति से संबंधित है.
ईटीवी भारत के पास मौजूद कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, 'आपको 18.03.2024 को एक विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड के सामने पेश किया गया था, जिसने कांस्टेबल (जीडी) के रूप में आपके कर्तव्यों के कुशल निर्वहन के लिए आपकी मेडिकल फिटनेस की जांच की है. सावधानीपूर्वक जांच के बाद, मेडिकल बोर्ड ने आपको 'सिजोफ्रेनिया' के कारण 48 प्रतिशत दिव्यांगता के साथ निम्न मेडिकल श्रेणी S5H1A1P1E1 में रखा है और आपको बल में आगे की सेवा के लिए चिकित्सकीय रूप से अयोग्य घोषित कर दिया है.'
नोटिस में लिखा है कि बोर्ड की कार्यवाही को सक्षम प्राधिकारी यानी आईजी/निदेशक (मेडिकल), आर के पुरम, नई दिल्ली द्वारा 04.04.2024 को मंजूरी दे दी गई है.
नोटिस में कहा गया है कि 'मैं मेडिकल बोर्ड के निष्कर्षों से सहमत हूं और सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मैंने आपको बीएसएफ नियम, 1969 के नियम 25 के प्रावधानों के तहत शारीरिक अयोग्यता के आधार पर सेवा से सेवानिवृत्त करने का निर्णय लिया है.'
कांस्टेबल को एक विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारी से एफएचक्यू बीएसएफ (चिकित्सा निदेशालय) मैनुअल IX के परिशिष्ट- 'सी' में निर्धारित चिकित्सा प्रमाण पत्र के साथ अपना प्रतिनिधित्व करने और 15 दिनों के भीतर कमान में अगले वरिष्ठ प्राधिकारी को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था.