पटना : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज देश का आम बजट पेश किया. इसमें बिहार के लिए सौगातों की बौछार कर दी. इसमें कॉरिडोर से लेकर ग्लोबल टूरिस्म को शामिल किया गया है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि आने वाले समय में राजगीर में सप्तऋषि कॉरिडोर बनेगा. साथ ही गया के विष्णुपद मंदिर और बोधगया के महाबोधि मंदिर को काशी विश्वनाथ की तर्ज पर कॉरिडोर में विकसित किया जाएगा.
'काशी उज्जैन की तरह हो विकास' : विष्णुपद कॉरिडोर से गया पाल पंडों में काफी खुशी है. इस संबंध में विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया कि, ''केंद्रीय वित्त मंत्री ने विष्णुपद-बोधगया को कॉरिडोर में जोड़ा है और अलग पैकेज लाए हैं. इसके लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय मंत्री वित्त मंत्री को धन्यवाद देते हैं. विष्णुपद कॉरिडोर से काशी उज्जैन की तरह विष्णुपद का विकास हो सकेगा.''
विष्णुपद का महत्व : विष्णुपद को मोक्ष भूमि कहा जाता है. यहां भगवान विष्णु गदाधर रूप में साक्षात प्रकट हुए थे और गयासुर नाम के राक्षस पर दाहिना पैर रखकर उसे दबाया था. श्री विष्णु चरण के निशान आज भी विराजमान है. पुराणों शास्त्रों के अनुसार गयासुर के शरीर पर रखे गये विष्णु चरण के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मोक्ष भूमि है गया : गया में मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. यहां वर्तमान में 55 से अधिक वेदिया हैं, इन वेदियों पर अलग-अलग दिनों में पिंडदान करने का विधान है. पितृ पक्ष मेले के दौरान लाखों पिंड दानी अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर गया जी आते हैं. गया जी सनातन धर्मावलंबियों के लिए देश के सबसे बड़े तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है.
महोबोधि का महत्व : बोधगया में महाबोधि मंदिर है. लगभग 11 किलोमीटर की दूरी विष्णुपद और महाबोधि मंदिर में है. इसपर कॉरिडोर बनाने की घोषणा हुआ है. बोधगया महाबोधि मंदिर अंतर्राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मौजूद है. यहां विश्व भर के बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का यह बड़ा केंद्र है. महाबोधि मंदिर विश्व विख्यात है और अंतरराष्ट्रीय धरोहर है. यहां विश्व भर के बौद्ध श्रद्धालु हैं और महाबोधि मंदिर पहुंचकर भगवान बुद्ध के दर्शन पूजन करते हैं.
भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान की प्राप्ति : महाबोधि मंदिर को लेकर जो कथा है, उसके अनुसार भगवान बुद्ध को यहीं ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ज्ञान प्राप्ति की खोज में भगवान बुद्ध विभिन्न मार्गो से चलते हुए बोधगया पहुंचे थे और यहां पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया था. पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाने के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. वह पीपल का वृक्ष आज भी मौजूद है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.
'नीतीश के नालंदा' पर विशेष कृपा :बिहार की राजनीति और आमलोगों में यह आम प्रचलन है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने गृह जिले नालंदा पर विशेष ध्यान देते हैं. केन्द्र ने भी नालंदा पर फोकस किया है. नालंदा में सप्तऋषि कॉरिडोर की घोषणा की गई है. इसके साथ ही राजगीर में बड़ा टूरिस्ट सेंटर बनेगा. नालंदा में पर्यटन का विकास होगा. नालंदा यूनिवर्सिटी के विकास के लिए भी बजट मिला है.
नीतीश की उम्मीद, मोदी ने की पूरी :बता दें कि पिछले दिनों नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बिहार पहुंचे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा था कि नालंदा यूनिवर्सिटी की ऐतिहासिक गरिमा लौटाने के लिए बिहार सरकार ने बहुत कुछ किया, लेकिन अब उन्हें केन्द्र से उम्मीद है. अब ऐसे में मोदी सरकार ने उम्मीद को पूरा कर दिया है.
विश्व शांति स्तूप : राजगीर का विश्व शांति स्तूप बौद्ध धर्मलंबियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है. विश्व शांति स्तूप को जापानी स्तूप भी कहा जाता है. यह स्तूप सफेद रंग का एक विशाल स्तूप है. इस स्तूप के अंदर एक छोटा जापानी बौद्ध मंदिर है.