नागौर. राजस्थान के नागौर में भगवान और लोक देवता की भजन संध्या यानी की जागरण के नाम पर लॉटरी का सट्टा चलाने का सनसनी खेज मामला सामने आया है. भजन संध्या में लॉटरी में महंगी-महंगी कार और आईफोन जैसे प्रलोभन देकर करोड़ों की ठगी की जाती रही है. इस ठगी में नामचीन लोग भी शामिल हैं. साथ ही मशहूर गायक कलाकार से लेकर कॉमेडी और वीडियो बनाने वाले यूट्यूबर भी इस गिरोह का हिस्सा हैं. हलांकि, पुलिस ने कहा कि 3/4 की धारा के साथ साथ चिटफंड धारा भी जोड़ी जाएगी. तुरंत ही सभी थानों के एसएचओ को लेटर भिजवाया जा रहा है कि आस-पास में जागरण के नाम पर लॉटरी का आयोजन हो रहा है तो तुरंत ही गिरफ्तारी की जाए.
नागौर पुलिस की कारवाई : दरअसल, शुक्रवार देर रात को पुलिस को एक सूचना मिली कि कुचेरा के पास एक खेत में भजन संध्या चल रही है, जिसमें राकेश छाबा नामक एक व्यक्ति लकी ड्रॉ चला रहा है. राकेश छाबा के साथी 500-500 रुपये की रसीद काट रहे हैं और इनाम का लालच दे रहे हैं. पुलिस सूचना के बाद राकेश छाबा पुत्र तुलछी राम जाट के खेत में पहुंची तो देखा कि वाकई वहां भजन संध्या में ही लकी ड्रॉ के इनामों की घोषणा हो रही थी. मंच पर पांच स्टील के घड़े रखे हुए थे. इन्हीं घड़ों में पीले रंग की गेंदें भी डाली हुई थीं, जिन पर अलग-अलग नंबर लिखे हुए थे और वहां मौजूद लोग घड़ों से इनाम की घोषणा कर रहे थे. उसी मंच पर रसीद बुकों का ढेर लगा हुआ था. साथ ही मौके पर हजारों लोगों की भीड़ थी. भीड़ में शामिल लोग आपस में ही झगड़ा कर रहे थे. पुलिस झगड़ा करने वाले लोगों से बातचीत कर पूरे माजरे को समझ पाती, इससे पहले ही अंधेरे का फायदा उठा कर राकेश छाबा मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश अब नागौर पुलिस कर रही है.
1 करोड़ 50 लाख की ठगी :भजन संध्या में पुलिस ने मौके से 2462 रसीद बुक जब्त की है. एक आंकड़े के अनुसार इन रसीद बुक से आरोपी ने 1 करोड़ 50 लाख रुपये का कलेक्शन किया है और आम लोगों को भजन संध्या के नाम से ठगा है.
ऐसे करते थे ठगी : लोक देवता और भगवान के नाम से एक विशाल भजन संध्या या जागरण का आयोजन किया जाता है, जिसकी तैयारी 2 महीने पहले ही शुरू कर दी जाती है. आयोजनकर्ता कोई एक नहीं होता है. इसमें कम से कम 50 से ज्यादा की टीम होती है. यह सभी ठग एक फिक्स अमाउंट का स्कैम करने की योजना बनाते हैं, जो 1 करोड़ से 10 करोड़ तक की भी होती है. जितना बड़ा स्कैम उतनी ही ज्यादा मार्केट में रशीद छपवाई जाती है, जिसे टोकन स्लिप कह सकते हैं. इस रसीद का मूल्य फिक्स किया जाता है. 100 से 500 रुपये तक अमाउंट रखा जाता है, जिससे की आम आदमी जल्दी झांसे में आएं.
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लोगों को जोड़ने के लिए कमीशन का खेल : ठग पहले तो भगवान की आस्था के नाम से आम लोगों को रसीद देते हैं. कहते हैं भगवान का काम है, पुण्य मिलेगा. इस आयोजन के लिए आप भी मदद कीजिए. कुछ लोगों को इसका कमीशन भी दिया जाता है, जितनी ज्यादा रशीद बुक भरकर लाएगा, उतने प्रतिशत कमीशन मिलेगा. यह कमीशन फिक्स नहीं होता है. 5 फीसदी से लेकर 15 फीसदी तक का कमीशन दिया जाता है और कमीशन के लिए एजेंट गांव-गांव जाकर रसीदें काटते हैं. वो भोले-भाले लोगों को लॉटरी में बड़ा इनाम खुलने का लालच देते हैं. ये लोग गारंटी देते हैं कि इस बार आपकी ही खुलेगी, ज्यादा रसीद कटवा लो.
भजन कलाकार और कॉमेडी करने वाले यूट्यूबर भी शामिल : ठगों के इस गिरोह में मशहूर गायक कलाकार भी शामिल होते हैं. गायक कलाकार को इस लॉटरी का प्रचार करने के लिए एक मोटा अमाउंट दिया जाता है. उन्हें कहा जाता है कि आप लॉटरी का वीडियो और पोस्ट अपने फेसबुक पर डालें, ताकि लोगों को ऐसा लगे कि यह एक सही लॉटरी है. लोग उस पर विश्वास करें. साथ ही आस पास के मशहूर राजस्थानी कॉमेडी करने वाले यूट्यूबर को भी इसी तरह बड़ा अमाउंट देकर इसका प्रचार करवाया जाता है.
करोड़ों रुपये इकट्ठा होते हैं, तब निकलता है लकी ड्रॉ : करोड़ों रुपये की रसीदें कटने के बाद भजन संध्या की जाती है और उसमें लकी ड्रॉ निकाला जाता है. इन ठगों की ओर से बड़ी चालाकी से फर्जी नामों की घोषणा की जाती है. यह उस क्षेत्र के लोगों का नाम लेते हैं जो अस्तित्व में होते ही नहीं हैं. हजारों पर्चियों में पता ही नहीं चलता कि सबसे महंगा इनाम जिसका खुला है, वो कहां है.