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यूपी में अखिलेश यादव और INDIA गठबंधन को बड़ा झटका, RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी ने छोड़ा साथ

यूपी में मंगलवार को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और INDIA गठबंधन को बड़ा झटका लगा. राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी और INDIA गठबंधन का साथ छोड़ दिया. कहा जा रहा है कि उनकी बीजेपी के साथ बात लगभग तय है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 6, 2024, 8:46 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 6:11 AM IST

लखनऊ: यूपी में मंगलवार को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और INDIA गठबंधन को बड़ा झटका लगा. राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी और INDIA गठबंधन का साथ छोड़ दिया. कहा जा रहा है कि उनकी बीजेपी के साथ बात लगभग तय है. आरएलडी नेताओं ने ईटीवी भारत को बताया कि 7 सीटों की डिमांड बीजेपी के सामने रखी गई है. 4 से 5 सीटों के बीच बात लगभग तय हो गई है. अब केवल आरएलडी मुखिया की तरफ से घोषणा का इंतजार है. वहीं सपा और INDIA गठबंधन का साथ छोड़ने को रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित जाखड़ ने बेबुनियाद बताया है.

सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी ने 4 लोकसभा सीटें राष्ट्रीय लोकदल को ऑफर की हैं. इनमें कैराना, मथुरा, बागपत और अमरोहा के नाम शामिल हैं. वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते थे कि राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार मुजफ्फरनगर, बिजनौर और कैराना लोकसभा सीटों पर RLD के चुनाव चिन्ह पर लड़ें. इसके चलते राष्ट्रीय लोकदल और सपा गठबंधन में टूटने के कगार पर पहले ही पहुंच गया था.

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पटखनी देने के लिए 28 दल मिलकर एक मंच पर खड़े हुए नजर आए थे. इन दलों के नेताओं ने कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन बनाया था. लोकसभा चुनावकी घोषणा भी नहीं हो पाई उससे पहले ही इंडी गठबंधन बिखरने लगा. इंडी गठबंधन का साथ सबसे पहले बिहार में नीतीश कुमार ने छोड़ा और बीजेपी का साथ पकड़ लिया. अब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से भी इंडी गठबंधन के साथ ही समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगने की सूचना है. "ईटीवी भारत" के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि आरएलडी ने यूपी में समाजवादी पार्टी से और इंडी गठबंधन से अपना गठबंधन तोड़ लिया है और लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी से नाता जोड़ लिया है.

राष्ट्रीय लोक दल इंडी गठबंधन के उन 28 दलों में शामिल था जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए तैयार था, लेकिन चुनाव की घोषणा भी नहीं हो पाई उससे पहले ही आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी ने पलटी मार दी. उत्तर प्रदेश में साल 2022 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने वाले राष्ट्रीय लोक दल उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी से भी नाता तोड़ सकती है. अभी 19 जनवरी को ही सपा मुखिया अखिलेश यादव और आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी की मुलाकात हुई थी.

इसके बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बताया था कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन जारी है. समाजवादी पार्टी ने आरएलडी को सात सीटें दी हैं और यह गठबंधन बरकरार है. हालांकि आरएलडी नेताओं ने पहले तो गठबंधन की पुष्टि की लेकिन बाद में उनके सुर बदलने लगे. यहां तक कहा जाने लगा कि यह तो समाजवादी पार्टी ने अपनी तरफ से सात सीटें दे दी हैं. हमारी 12 सीटों की मांग है, जो जारी है. आरएलडी नेताओं के इस तरह के बयानों के बाद समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर सवाल खड़े होने लगे.

आलम ये है कि आरएलडी ने समाजवादी पार्टी की सीटें ठुकराकर बीजेपी से बातचीत शुरू कर दी. आरएलडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर "ईटीवी भारत" को फोन पर एक्सक्लूसिव जानकारी दी कि आरएलडी और बीजेपी का गठबंधन लगभग तय हो गया है. चार से पांच सीटें हरहाल में बीजेपी आरएलडी को दे रही है. हालांकि हमारी सात सीटों की मांग है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की मीटिंग भाजपा नेताओं के साथ जारी है. गठबंधन पर मुहर लगना तय है. हम लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ेंगे.

सपा ने आरएलडी को विधानसभा चुनाव में दी थी 33 सीटें: समाजवादी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल को 33 सीटें दी थीं. दोनों दलों में गठबंधन हुआ था और इसके बाद नतीजा भी आरएलडी के पक्ष में आया था. आठ प्रत्याशी जीतने में सफल हुए थे. इसके बाद एक सीट पर उपचुनाव हुआ. यह भी सीट आरएलडी के खाते में ही आई. कुल मिलाकर वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आरएलडी के नौ विधायक हैं.

इसके साथ ही अखिलेश ने आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी को भी राज्यसभा पहुंचने में पूरी मदद की. आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी सपा की कृपा से ही राज्यसभा सांसद भी बने, लेकिन अब लगभग यह तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में न लड़कर जयंत चौधरी भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाने में पूरी मदद कर सकते हैं. यानी बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं.

कई दिनों पहले राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की लखनऊ में मुलाकात हुई. इसके बाद कहा जा रहा था कि सात सीटों पर आम सहमति बन गयी है. इन 7 सीटों में बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, मथुरा और हाथरस के नाम शामिल थे. वहीं आरएलडी की तरफ से 12 सीटों की मांग की जा रही थी. समाजवादी पार्टी 12 सीटें देने को राजी नहीं थी. इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीत के साथ हैट्रिक बनाना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी जीत के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है.

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Last Updated : Feb 7, 2024, 6:11 AM IST

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