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यूपी के नाम एक और उपलब्धि; टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल, 6.5 लाख के टागरेट से ज्यादा 6.73 लाख मरीजों की हुई स्क्रीनिंग - ANOTHER ACHIEVEMENT OF UP

उत्तर प्रदेश ने साल 2023 में भी तय किए गए लक्ष्य का आंकड़ा किया था पार

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योगी सरकार के नाम एक और उपलब्धि (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 5, 2025, 9:00 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नाम एक और उपलब्धि आई है. ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान और इलाज करने में यूपी साल 2024 में भी देशभर में अव्वल रहा है. प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था. तय लक्ष्य से ज्यादा 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई. जो एक नया रिकार्ड है. साल 2023 में भी प्रदेश ने तय लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था. दूसरे स्थान पर महराष्ट्र और तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है. इसके बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है.

बता दें कि विशेषज्ञों का मानना है कि देश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण और उनका इलाज किया जाए. इसी को लेकर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी राज्यों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था. उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था.

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक यूपी में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई. इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है. टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है. प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों यानी 40 फीसदी मरीज प्राइवेट डाक्टरों के जरिए पंजीकृत हुए हैं.

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ. तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके. मध्य प्रदेश में 1.78 लाख और राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ.

राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने कहा कि पूरे साल कई कार्यक्रम जैसे हर महीने की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान और दस्तक अभियान चलाए गए. जिससे ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोजना संभव हो पाया. इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है. जिसके जरिए उच्च जोखिम वाले और प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है.

शैलेंद्र भटनागर ने कहा कि टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता. यूपी में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर और झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है. लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और गाजियाबाद में भी प्राइवेट डॉक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं.

वहीं बात करें तो महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं. इन जिलों में प्राइवेट डॉक्टरों और ज्यादा एक्टिव होने की जरूरत है.


यह भी पढ़ें : सीएम योगी का मास्टर स्ट्रोक, यूपी में हर साल एक लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नाम एक और उपलब्धि आई है. ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान और इलाज करने में यूपी साल 2024 में भी देशभर में अव्वल रहा है. प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था. तय लक्ष्य से ज्यादा 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई. जो एक नया रिकार्ड है. साल 2023 में भी प्रदेश ने तय लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था. दूसरे स्थान पर महराष्ट्र और तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है. इसके बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है.

बता दें कि विशेषज्ञों का मानना है कि देश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण और उनका इलाज किया जाए. इसी को लेकर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी राज्यों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था. उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था.

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक यूपी में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई. इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है. टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है. प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों यानी 40 फीसदी मरीज प्राइवेट डाक्टरों के जरिए पंजीकृत हुए हैं.

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ. तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके. मध्य प्रदेश में 1.78 लाख और राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ.

राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने कहा कि पूरे साल कई कार्यक्रम जैसे हर महीने की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान और दस्तक अभियान चलाए गए. जिससे ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोजना संभव हो पाया. इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है. जिसके जरिए उच्च जोखिम वाले और प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है.

शैलेंद्र भटनागर ने कहा कि टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता. यूपी में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर और झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है. लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और गाजियाबाद में भी प्राइवेट डॉक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं.

वहीं बात करें तो महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं. इन जिलों में प्राइवेट डॉक्टरों और ज्यादा एक्टिव होने की जरूरत है.


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