भोपाल। मधुमक्खी का नाम सुनते ही लोगों के मन में उनके डंक मारने का डर सताने लगता है, लेकिन आज हम ऐसी मधुमक्खी की बात कर रहे हैं, जिसका पालन आप अपने घर की छत और टेरेस पर आसानी से कर सकते हैं. साथ ही इनके डंक नहीं होने से काटने का खतरा भी नहीं होता है. इस ट्राइगोन प्रजाति की मधुमक्खी को लोग शहर में स्थित छोटे घरों में भी पालन कर सकते हैं. ऐसा ही कुछ कारनामा राजधानी भोपाल के एक युवा उद्यमी ने कर दिखाया है. जिसने अपने घर की छत पर मधुमक्खी पालन किया हुआ है.
4 से 5 हजार रुपये किलो बिकता है शहद
बाजार में अमूमन शहद की कीमत 300 से 500 रुपये के बीच होती है, लेकिन इस देशी मधुमक्खी का शहद 4 से 5 हजार रुपये किलो बिकता है. इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, हालांकि एक साल में एक छत्ते से 300 से 400 ग्राम शहद ही प्राप्त होता है.
एमपी में पाई जाती है 5 प्रकार की मधुमक्खियां
दरअसल एमपी में पांच प्रकार की मधुमक्खियां पाई जाती हैं. इनमें दो प्रकार की मधुमक्खी जंगली होती है, इनका पालन नहीं किया जाता है. वहीं तीन प्रकार की मधुमक्खियों का पालन होता है. इनमें मालीफेरा, सतपुड़ी और ट्राइगोन शामिल है, लेकिन ट्राइगोन को छोड़कर अन्य मधुमक्खियों में डंक होता है.
कीट नाशक का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा
ट्राइगोन मधुमक्खी 300 से 400 मीटर के दायरे में भ्रमण करती है. इनका छत्ता लोग बालकनी, छत, गार्डन या टेरेस में लगाते हैं. खास बात यह है कि इनमें परागण के बाद सब्जियों और फलों की उत्पादकता तो बढ़ती ही है, साथ ही पौधों में कीटनाशक का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ता है.
अर्बन बीकीपिंग कितनी सुरक्षित है
स्टिंगलेस ट्राइगोन प्रजाति की मधुमक्खी को शहरी स्थानों में पालना बिलकुल सुरक्षित है. इस प्रजाति की मधुमक्खी में डंक नहीं होता है और यह 300-500 मीटर की दूरी तक फूलों और वनस्पतियों से रस, पराग आदि को एकत्रित कर उत्तम गुणवत्ता की शहद और पराग को तैयार करती है. साथ ही यह परागण क्रिया में बढ़ोतरी करती है. जिससे हमारे पेड़-पौधे में अधिक फल-फूल और गुणवता वाले तैयार होते है.