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जिंदा होगा इतिहास, जड़ से जुड़े आदिवासियों की यहां दिखेगी जीवनी, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

मध्य प्रदेश के बादलभोई आदिवासी राज्य संग्रहालय की तैयारियां जोरों पर. भारिया से लेकर सदियों पुरानी जनजाति का यहां कलेक्शन. 15 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे लोकार्पण.

BADALBHOI AADIWASI TRIBAL MUSEUM
बादलभोई आदिवासी राज्य संग्रहालय का नया स्वरूप (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 12, 2024, 12:02 PM IST

Updated : Nov 12, 2024, 12:23 PM IST

छिन्दवाड़ा : बादलभोई आदिवासी राज्य संग्रहालय का नया भवन इस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों उद्घाटन के लिए सज-संवर रहा है. इस भवन में स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नायकों के योगदान को विशेष रूप से चित्रांकित किया गया है. संग्रहालय में आदिवासी कलाकृतियों और संस्कृति को दीवार पर उकेरा गया है. ट्राइबल रिचर्स इंस्टीट्यूट (टीआरआई) भोपाल की टीम की मॉनिटरिंग में इसका कायाकल्प किया जा रहा है.

दीवारों पर आदिवासी नायकों की गाथा

म्यूजियम की दीवारों पर टंट्या भील, भीमा नायक, शंकर-शाह रघुनाथ शाह, रघुनाथ सिंह मंडलोई, राजा गंगाधर गोंड, बादल भोई और गंजन कोरकू, खज्या नायक, सीताराम कंवर, ढिल्लन शाह गोंड मालगुजार, राजा अर्जुन सिंह गोंड, राजा गंगाधर गोंड की गाथा नजर आती है. इसके अलावा बांस शिल्प, लौह शिल्प, मृदा शिल्प और पेंटिंग के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों के कार्य को प्रदर्शित किया गया है. इस समय संग्रहालय में मौजूद टीआरआई के अधिकारी बता रहे हैं कि इस संग्रहालय का उद्घाटन 15 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअली कर सकते हैं. इसके लिए यह तैयारी की जा रही है.

CHHINDWARA TRIBLE museum
राज्य में अपनी तरह का अनोखा संग्रहालय (Etv Bharat)

आदिवासियों की जीवनशैली के जीवंत दृश्य

संग्रहालय में आदिवासी जनजाति बैगा, गोंड, भारिया समेत अन्य जन जातियों की जीवन शैली, सांस्कृतिक धरोहर, प्रतीक चिन्हों और शिल्पों का प्रदर्शन किया गया है. उनके चिलम, बैलगाड़ी, गुल्ली का तेल निकालने का यंत्र, वाद्य यंत्र जैसे- ढोलक, इकतारा, मृदंग, टिमकी, चटकुले, पानी पीने का तुम्बा, आटा पीसने की चकिया, घट्टी, उडिया खेती, पातालकोट, कपड़े, जूते, रस्सी, घुरलु की छाल, मछली पकड़ने से संबंधित उपकरण झिटके, बूटी, मोरपंख का ढाल, मेला, झंडा (जेरी) लगाना, मदिरा निर्माण, कडरकी, चन्दरहार, हमेर जेवर, कोरकू जनजाति का मरोणपरांत स्तम्भ, लोह निर्माण और मेघनाथ के प्रदर्शन के जीवंत दृश्य वास्तविक जैसे दिखते हैं.

badalbhoi museum
आदिवासियों के इतिहास की मिलेंगी झलकियां (Etv Bharat)

1954 में हुई थी राज्य आदिवासी संग्रहालय की स्थापना

इस संग्रहालय की स्थापना 20 अप्रैल 1954 को हुई थी. 8 सितम्बर 1997 को इस संग्रहालय का नाम परिवर्तित कर बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय कर दिया गया. 9 एकड़ 75 डिसमिल क्षेत्र में फैले परिसर में मौजूद संग्रहालय 14 कक्ष और 4 गैलरियों में संचालित है. इस धरोहर को भव्य स्वरूप देने तीन साल पहले 33 करोड़ रुपए का नया भवन मंजूर किया गया था.

badalbhoi aadiwasi museum pics
अद्भुत कलाकृतियों से सज रहा बादलभोई आदिवासी राज्य संग्रहालय (Etv Bharat)

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संग्रहालय छिंदवाड़ा में मुख्यालय भोपाल में

20 अप्रैल 1954 को छिंदवाड़ा में शुरू किए गए ट्राइबल म्यूजियम को वर्ष 1975 में स्टेट म्यूजियम का दर्जा मिला था और 8 सितंबर 1997 को ट्राइबल म्यूजियम का नाम बदलकर ''श्री बादल भोई स्टेट ट्राइबल म्यूजियम'' कर दिया गया. 10 अप्रैल 1965 को संस्था का मुख्यालय भोपाल के श्यामला हिल्स में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन संग्रहालय छिंदवाड़ा में ही रखा गया. इसलिए मध्य प्रदेश का पहला जनजातीय संग्रहालय यहीं बनाया गया है.

CHHINDWARA TRIBLE museum
ट्राइबल रिचर्स इंस्टीट्यूट की टीमें कर रहीं मॉनिटरिंग (Etv Bharat)
जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम ने बताया, '' सरकार की मंशा अनुसार श्री बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय बनकर तैयार हो गया है. यहां पर जनजातियों की परंपरा और उनकी जीवन शैली को दर्शाया गया है जिससे लोग उनकी परंपरा से वाकिफ हो सकें.''

छिन्दवाड़ा : बादलभोई आदिवासी राज्य संग्रहालय का नया भवन इस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों उद्घाटन के लिए सज-संवर रहा है. इस भवन में स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नायकों के योगदान को विशेष रूप से चित्रांकित किया गया है. संग्रहालय में आदिवासी कलाकृतियों और संस्कृति को दीवार पर उकेरा गया है. ट्राइबल रिचर्स इंस्टीट्यूट (टीआरआई) भोपाल की टीम की मॉनिटरिंग में इसका कायाकल्प किया जा रहा है.

दीवारों पर आदिवासी नायकों की गाथा

म्यूजियम की दीवारों पर टंट्या भील, भीमा नायक, शंकर-शाह रघुनाथ शाह, रघुनाथ सिंह मंडलोई, राजा गंगाधर गोंड, बादल भोई और गंजन कोरकू, खज्या नायक, सीताराम कंवर, ढिल्लन शाह गोंड मालगुजार, राजा अर्जुन सिंह गोंड, राजा गंगाधर गोंड की गाथा नजर आती है. इसके अलावा बांस शिल्प, लौह शिल्प, मृदा शिल्प और पेंटिंग के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों के कार्य को प्रदर्शित किया गया है. इस समय संग्रहालय में मौजूद टीआरआई के अधिकारी बता रहे हैं कि इस संग्रहालय का उद्घाटन 15 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअली कर सकते हैं. इसके लिए यह तैयारी की जा रही है.

CHHINDWARA TRIBLE museum
राज्य में अपनी तरह का अनोखा संग्रहालय (Etv Bharat)

आदिवासियों की जीवनशैली के जीवंत दृश्य

संग्रहालय में आदिवासी जनजाति बैगा, गोंड, भारिया समेत अन्य जन जातियों की जीवन शैली, सांस्कृतिक धरोहर, प्रतीक चिन्हों और शिल्पों का प्रदर्शन किया गया है. उनके चिलम, बैलगाड़ी, गुल्ली का तेल निकालने का यंत्र, वाद्य यंत्र जैसे- ढोलक, इकतारा, मृदंग, टिमकी, चटकुले, पानी पीने का तुम्बा, आटा पीसने की चकिया, घट्टी, उडिया खेती, पातालकोट, कपड़े, जूते, रस्सी, घुरलु की छाल, मछली पकड़ने से संबंधित उपकरण झिटके, बूटी, मोरपंख का ढाल, मेला, झंडा (जेरी) लगाना, मदिरा निर्माण, कडरकी, चन्दरहार, हमेर जेवर, कोरकू जनजाति का मरोणपरांत स्तम्भ, लोह निर्माण और मेघनाथ के प्रदर्शन के जीवंत दृश्य वास्तविक जैसे दिखते हैं.

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1954 में हुई थी राज्य आदिवासी संग्रहालय की स्थापना

इस संग्रहालय की स्थापना 20 अप्रैल 1954 को हुई थी. 8 सितम्बर 1997 को इस संग्रहालय का नाम परिवर्तित कर बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय कर दिया गया. 9 एकड़ 75 डिसमिल क्षेत्र में फैले परिसर में मौजूद संग्रहालय 14 कक्ष और 4 गैलरियों में संचालित है. इस धरोहर को भव्य स्वरूप देने तीन साल पहले 33 करोड़ रुपए का नया भवन मंजूर किया गया था.

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जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम ने बताया, '' सरकार की मंशा अनुसार श्री बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय बनकर तैयार हो गया है. यहां पर जनजातियों की परंपरा और उनकी जीवन शैली को दर्शाया गया है जिससे लोग उनकी परंपरा से वाकिफ हो सकें.''
Last Updated : Nov 12, 2024, 12:23 PM IST
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