कांकेर: शास्त्रों के मुताबिक मां सरस्वती ज्ञान, कला, संगीत और प्रकृति की देवी हैं. बसंत पंचमी को देवी सरस्वती की उत्पत्ति यानी कि जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. आज बसंत पंचमी यानी कि सरस्वती पूजा के दिन कांकेर में बंगाली समाज ने अपने बच्चों के विद्या प्रारंभ की पूजा कराई. बंगाली समाज ने बुधवार को दो से तीन साल की उम्र के बच्चों का आज "हाथे खोड़ी" कराया. "हाथे खोड़ी"का अर्थ है "हाथ में चॉल्क". "हाथे खोड़ी" समारोह बंगालियों के बीच काफी लोकप्रिय है."हाथे खोड़ी" समारोह के लिए लोग आमतौर पर पास के मंदिर या सरस्वती पूजा पंडाल में जाते हैं, जहां पंडित समारोह करते हैं. कभी-कभी इसे घर पर भी आयोजित किया जाता है, जहां पंडित आते हैं और सरस्वती पूजा और हाथे खोड़ी करते हैं.
बंगाली समाज के लोग बच्चों को कराते हैं "हाथे खोड़ी":ईटीवी भारत ने कांकेर के काली मंदिर में सरस्वती पूजा के दौरान बंगाली समाज के लोगों से "हाथे खोड़ी" को लेकर बातचीत की. बातचीत के दौरान बंगाली समाज की अनामिका चक्रवर्ती ने बताया कि हमारे बंगाली समाज में बसंत पंचमी में बसंत ऋतु के आगमन में यह त्यौहार मनाया जाता है, इसकी मुख्य देवी मां सरस्वती है,. मां सरस्वती विद्या की देवी हैं, उनकी पूजा से इस त्यौहार का आरंभ किया जाता है. इसके लिए मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की जाती है. उनकी विधिवत पूजा की जाती है. मां को मुख्य प्रसाद के तौर पर लाई, दही और बेर चढ़ाया जाता है. मां सरस्वती के आशीर्वाद से बच्चों की पढ़ाई- लिखाई आज शुरू की जाती है. इसके लिए जो बच्चे प्रारंभिक शिक्षा के योग्य हो गए हैं, जिनकी उम्र 3 साल से ऊपर है, उनकी पढ़ाई लिखाई पंडित जी के हाथों से शुरू कराई जाती है. उसके बाद स्कूल में एडमिशन कराया जाता है."