गुवाहाटी: असम सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में एक नया विधेयक पेश किया, जिसमें राज्य में मुस्लिम विवाह और तलाक के रजिस्ट्रेशन से संबंधित मौजूदा कानून को निरस्त करने का प्रावधान है. असम के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को समाप्त करने के उद्देश्य से असम निरसन विधेयक, 2024 पेश किया.
इस कदम के उद्देश्य और कारणों को लेकर मंत्री ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता से पहले ब्रिटिश सरकार द्वारा एक कानून अपनाया गया था, जिसके तहत मुस्लिम विवाह और तलाक को रजिस्ट्र करना अनिवार्य नहीं था. मोहन ने कहा, "विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है और रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था अनौपचारिक है, जिससे मौजूदा मानदंडों के गैर-अनुपालन की बहुत गुंजाइश है."
'आपराधिक और दीवानी मुकदमेबाजी'
उन्होंने कहा कि पहले के कानून में 21 वर्ष से कम आयु के पुरुषों और 18 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के विवाह को पंजीकृत करने की गुंजाइश थी, लेकिन कोई निगरानी तंत्र नहीं था, जिसके कारण बहुत अधिक आपराधिक और दीवानी मुकदमेबाजी होती थी.
'बाल विवाह की गुंजाइश'
मोहन ने कहा, "अधिकृत लाइसेंसधारी (मुस्लिम विवाह रजिस्ट्रार) के साथ-साथ नागरिकों द्वारा कम उम्र/नाबालिगों की शादी और पार्टियों की सहमति के बिना जबरन तय की गई शादियों के लिए दुरुपयोग की गुंजाइश है."