रांचीः असम के चाय बागानों में काम कर रहे झारखंड के ट्राइबल्स को ओबीसी के बजाए एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग सीएम हेमंत सोरेन ने की है. इसको लेकर सीएम हेमंत सोरेन ने असम के सीएम को पत्र लिखा है.
इस पत्र के जवाब में असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि वे इसका लिखित में जवाब देंगे. इसके साथ ही उन्होंने कटाक्ष के अंदाज में यह भी कहा कि सीएम हेमंत सोरेन उस पत्र का जवाब खुद जानते हैं. हेमंत सोरेन से पूछा जाना चाहिए कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन झारखंड के किसी भी आदिवासी सीट से चुनाव क्यों नहीं लड़ सकती हैं, उत्तर तो उनके घर में ही है.
यहां बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों असम के सीएम को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कहा है कि असम के चाय बागानों में 70 लाख से ज्यादा लोगों को अभी-भी ओबीसी का दर्जा मिला हुआ है जबकि उन्हें एसटी का दर्जा मिलना चाहिए. इसकी वजह से टी-ट्राइब को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. यह तय करने में अगर असम सरकार को दिक्कत हो रही है तो हाई लेबल फैक्ट फाइंडिंग मिशन गठित करने के लिए झारखंड तैयार है.
25 सितंबर को सीएम हेमंत सोरेन द्वारा लिखे गये पत्र में कहा कि असम के चाय बागान समुदाय में शामिल अधिकांश जनजातियों को झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एसटी का दर्जा प्राप्त है. वे असम में भी एसटी का दर्जा प्राप्त करने का अर्हता रखते हैं. लेकिन वहां उन्हें ओबीसी का दर्जा दिया गया है. जिसके कारण इन्हें केंद्र सरकार के कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है और उनका विकास नहीं हो पाता.