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Jharkhand Election 2024: झारखंड के ट्राइबल नेताओं की महत्वाकांक्षा चरम पर! जानें, टिकट के लिए कितनों ने बदला पाला

झारखंड में विधानसभा चुनाव हो और खेल न हो, ये तो संभव नहीं. इस बार के चुनाव में भी पाला बदलने का खेल जारी है.

Analytical report on tribal leaders who changed parties for tickets during assembly election in Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 2 hours ago

रांचीः राजनीति में पाला बदलने की बातें अब आम हो गई हैं. यह अलग बात है कि चुनाव के वक्त इसमें तेजी आ जाती है. उसूल और आदर्श पीछे छूट जाते हैं. नेताओं को भी उनकी हैसियत का पता चल जाता है. पार्टियां भी जीत का नफा-नुकसान देखकर दल बदलने वालों को गले लगाने से नहीं हिचकतीं.

इसमें ट्राइबल नेता भी पीछे नहीं हैं. बड़े-बड़े ट्राइबल नेता पार्टियों के साथ वर्षों के संबंध को तोड़ रहे हैं. कुछ तो दोबारा पलटी मार चुके हैं. दल बदलने के सवाल पर ज्यादातर नेता अपमान की दुहाई दे रहे हैं. क्या वाकई यही वजह है या महत्वाकांक्षा ही कारण है.

चंपाई ने झामुमो को टाटा-बाय-बाय कह सबको चौंकाया

इस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम है चंपाई सोरेन का. सरायकेला सीट से झामुमो की टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. हेमंत सोरेन का जेल जाना इनके लिए वरदान साबित हुए. एकाएक सीएम बन गये. जितनी तेजी से कुर्सी मिली, उतनी ही तेजी से खिसक भी गई. अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ तो भाजपा में चले आए. भाजपा ने भी दरियादिली दिखाई. ना सिर्फ चंपाई को सरायकेला से टिकट दिया बल्कि उनके पुत्र बाबूलाल सोरेन को घाटशिला का प्रत्याशी भी बना दिया.

टिकट के लिए पाला बदलने वाले ट्राइबल नेता (ETV Bharat)

गुरुजी की बड़ी बहू का झामुमो से हुआ मोहभंग

दूसरा बड़ा नाम सीता सोरेन का है. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं. जामा सीट से चुनाव लड़ती रही हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उस झामुमो को छोड़कर भाजपा में आ गईं, जिसको उनके स्वर्गीय पति दुर्गा सोरेन ने सींचा था. अवार्ड के तौर पर सीटिंग भाजपा सांसद सुनील सोरेन की जगह उन्हें दुमका से प्रत्याशी बनाया गया. लेकिन चुनाव हार गईं. अब भाजपा ने उन्हें जामताड़ा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. सीता सोरेन सीधे तौर पर हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन पर निशाना साधती हैं. पार्टी में हुए अपमान की दुहाई देती हैं.

कांग्रेस छोड़ भाजपा में आईं गीता कोड़ा

तीसरा बड़ा नाम है गीता कोड़ा है. 'हो' आदिवासी बहुल चाईबासा में कोड़ा परिवार की जबरदस्त पैठ है. गीता कोड़ा ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़कर जीता था. वह चाईबासा जिला के जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से विधायक भी रहीं हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में आ गईं. सिंहभूम से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन झामुमो की जोबा मांझी से हार गईं. भाजपा ने उन्होंने उनकी परंपरागत सीट जगन्नाथपुर से प्रत्याशी बनाया है. वहां गीता का सामना उनके बेहद करीबी और कांग्रेस के वर्तमान विधायक सोनाराम सिंकू से है. वैसे गीता कोड़ा के डीएनए में भाजपा ही रही है क्योंकि इनके पति मधु कोड़ा ने भाजपा से ही जीत की शुरुआत की थी.

खुद को गुरुजी का चेला कहते हैं लोबिन हेंब्रम

इस लिस्ट में चौथा नाम लोबिन हेंब्रम का है. संथाल के बोरिया से झामुमो के विधायक रहे हैं. अपनी ही सरकार से नाराज चल रहे थे. बाद के दिनों में मुखर होकर अवैध स्टोन माइंस के मामले उठाते रहे. जब चंपाई सरकार को बहुमत साबित करना था तो झामुमो के साथ रहे. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय राजमहल सीट पर ताल ठोक दी. करीब 42 हजार वोट लाए. झामुमो को बर्दाश्त नहीं हुआ. उन्हें ना सिर्फ पार्टी से निष्कासित किया गया बल्कि स्पीकर ने विधानसभा की सदस्यता से भी अयोग्य करार दे दिया. लोबिन हेंब्रम अब बोरियो से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

भाजपा की लुईस अब झामुमो में तलाश रहीं भविष्य

पांचवा बड़ा नाम भाजपा नेता रहीं लुईस मरांडी का है. दुमका सीट पर हेमंत सोरेन से टकराती रहीं हैं. 2014 में उन्होंने हेमंत सोरेन को दुमका में मात भी दी थी. अवार्ड के तौर पर उन्हें रघुवर कैबिनेट में जगह भी मिली. हालांकि हेमंत सोरेन उन्हें 2009 और 2019 में हरा चुके हैं. दुमका सीट पर उपचुनाव में लुईंस मरांडी को बसंत सोरेन ने हरा दिया था. इसबार भाजपा ने सुनील सोरेन को दुमका से प्रत्याशी बना दिया है. लुईस के लिए यह सदमे से कम नहीं था. उन्होंने वक्त गंवाए बिना भाजपा से रिश्ते तोड़ दिए और झामुमो में चली गईं.

भाजपा के लक्ष्मण को अब झामुमो से उम्मीद

छठा बड़ा नाम भाजपा विधायक रहे लक्ष्मण टुडू का है. इन्होंने भाजपा प्रत्याशी बनकर घाटशिला सीट पर 2014 का चुनाव जीता था. वर्तमान मंत्री और विधायक रामदास सोरेन को हराया था. इससे पहले 2005 और 2009 का चुनाव सरायकेला सीट पर चंपाई सोरेन के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी बनकर हार चुके थे. लेकिन 2019 में टिकट कट गया. लखन चंद्र मार्डी भाजपा प्रत्याशी बन गये. यह चुनाव झामुमो के रामदास सोरेन जीत गये. इसबार लक्ष्मण टुडू को भाजपा से उम्मीदें थी. लेकिन भाजपा ने चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को घाटशिला का प्रत्याशी बना दिया. राजनीति के मझधार में फंसे लक्ष्मण टुडू अब झामुमो में जा चुके हैं.

भाजपा के गणेश को दिख रहा झामुमो में भविष्य

सांतवा नाम भाजपा नेता रहे गणेश महली का है. इनको भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनाव में सरायकेला से चंपाई सोरेन के खिलाफ उतारा था. 2014 में इन्होंने जबरदस्त टक्कर भी दी थी. लेकिन चंपाई सोरेन के भाजपा प्रत्याशी बनने से सरायकेला में इनका रास्ता बंद हो गया. लिहाजा, इन्होंने भी झामुमो ज्वाइन कर लिया. उम्मीद लगाए बैठे हैं कि चंपाई सोरेन के खिलाफ झामुमो उन्हें टिकट देगी.

कांग्रेस के दो और भाजपा के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी लिस्ट में

दल बदलने वाले ट्राइबल नेताओं की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती. इसमें कई और बड़े नाम शामिल है. कुछ ने तो पलटी मारने के बाद घर वापसी भी कर ली है. इसमें सबसे बड़ा नाम है ताला मरांडी का. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. टिकट नहीं मिलने पर आजसू में चले गये थे. वहां कुछ नहीं कर पाए तो फिर भाजपा में लौट गये. पिछला लोकसभा चुनाव भी राजमहल से लड़े लेकिन हार गये. इस बार बोरियो सीट से उम्मीदें पाल बैठे थे. लेकिन भाजपा ने लोबिन हेंब्रम को प्रत्याशी बना दिया है.

टिकट के लिए पाला बदलने वाले ट्राइबल नेता (ETV Bharat)

कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रदीप बलमुचू का भी रहा. पिछले चुनाव के वक्त आजसू में चले गये थे. घाटशिला में तीसरे स्थान पर थे. अब फिर कांग्रेस में आ गये हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत भी भाजपा में गये थे. सफलता नहीं मिली तो कांग्रेस में लौट गये और अब लोहरदगा से कांग्रेस के सांसद हैं.

हेमलाल, बंधु, देवकुमार के बाद नई पीढ़ी भी रेस में

झामुमो के कद्दावर नेता रहे हेमलाल मुर्मू भी भाजपा में आए थे. कई मौके मिले लेकिन जीत नहीं पाए. अब झामुमो में हैं. बंधु तिर्की ने बतौर निर्दलीय अपनी पहचान बनायी थी. 2019 में जेवीएम प्रत्याशी बनकर मांडर से लड़े और जीते. अब कांग्रेस में जा चुके हैं. तमाड़ में आजसू ने विकास सिंह मुंडा को मौका दिया था. 2014 में पहली बार चुनाव जीते. लेकिन 2019 में झामुमो का दामन थाम लिया. वर्तमान में तमाड़ से झामुमो विधायक हैं.

टिकट के लिए पाला बदलने वाले ट्राइबल नेता (ETV Bharat)

दल बदलने वाले ट्राइबल नेताओं में देवकुमार धान भी शामिल हैं. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे. 2019 में मांडर में हार गये. अब भाजपा से नाता तोड़ चुके हैं. मांडर में सन्नी टोप्पो ने बंधु तिर्की के खिलाफ गोलबंदी की थी. लेकिन शिल्पी नेहा तिर्की को टिकट मिलने पर उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया. अब मांडर में कमल खिलाने निकले हैं.

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