रांचीः आतंक की जड़ें कितनी गहरी हैं और कहां-कहां तक फैली हैं. इसका खुलासा परत-दर-परत हो रहा है. झारखंड के जंगलों में इसकी नींव रखी जाने वाली थी. लेकिन झारखंड एटीएस ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. अब एटीएस ने इसे नेस्तनाबूद करने की पूरी तैयारी कर ली है.
आतंकी संगठन अलकायदा झारखंड मॉड्यूल को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने की तैयारी की जा रही है. पूर्व में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों की सूचना पर झारखंड एटीएस की टीम ने एक दर्जन से ज्यादा संदिग्धों को रडार पर रखा है जो तथाकथित रूप से स्लीपर सेल के तौर पर काम कर रहे हैं. ऐसे एक दर्जन से ज्यादा संदिग्धों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
स्लीपर सेल की तलाश
झारखंड में अलकायदा के इंडियन सब कॉन्टिनेंट की जड़े कितनी गहरी हैं, प्रतिबंधित संगठन के कौन-कौन से स्लीपर सेल अभी भी एक्टिव हैं, इसकी गहराई से जांच चल रही है. यह तो साफ हो चुका है कि आतंकी संगठन अलकायदा इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (एक्यूआइएस) झारखंड में भी अपना माड्यूल तैयार करने में लगा हुआ था. जांच में यह बात सामने आई है कि झारखंड के गरीब तबके के युवाओं को तकरीर के जरिये ब्रेनवॉश कर उन्हें संगठन से जोड़ा जा रहा था.
झारखंड एटीएस एसपी ऋषभ झा ने बताया कि हाल में ही रांची के चान्हो के रहने वाले संदिग्ध आतंकी शाहबाज को गिरफ्तार किया गया. शाहबाज से पूछताछ में भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां हाथ लगी हैं. जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है.
जिनपर संदेह उन्हें जारी हुआ नोटिस
झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ झा ने बताया कि आतंकी संगठन अलकायदा इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (एक्यूआइएस) के झारखंड माड्यूल को लेकर टेक्निकल सर्विलांस लगातार जारी. वहीं एटीएस की ओर से रांची समेत राज्य के कई इलाकों के 10 से 15 संदेही को नोटिस देकर उनसे पूछताछ की गई है. इसके अलावा अन्य संदेही को नोटिस जारी कर पूछताछ की तैयारी भी की जा रही है. एटीएस एसपी के अनुसार उनका मकसद साफ है कि हर हाल में अलकायदा के झारखंड मॉड्यूल को ध्वस्त करना है.
मोबाइल के साथ-साथ बैंक खाते भी खंगाले जा रहे
झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ झा ने बताया कि ऐसे सभी जो संदेह के घेरे में हैं उनके मोबाइल से लेकर तमाम बैंक खाते भी खंगाले जा रहे हैं. जितने लोग भी संदेह में है सब पर नजर रखी जा रही है.
लोहरदगा में मिला था हथियार, चार संदिग्धों की तलाश मे शाहबाज भी शामिल
साल 2024 के अगस्त महीने में एटीएस की टीम ने लोहरदगा में कुड़ू के हेंजला कौवाखाप गांव में छापेमारी की थी. एटीएस की टीम यहां अलताफ उर्फ इल्ताफ की तलाश में पहुंची लेकिन वह घर पर नहीं मिला. छापेमारी के क्रम में उसके घर से दो हथियार और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए. इस दौरान शाहबाज के घर पर भी छापेमारी की गई थी लेकिन वह फरार था. जिसके बाद 10 जनवरी 2025 को झारखंड एटीएस और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शाहबाज को गिरफ्तार करने में कामयाबी पाई.
ट्रेनिंग देने की थी तैयारी
इसकी गहनता से जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि झारखंड के युवाओं को न सिर्फ संगठन में जोड़ा जा रहा था बल्कि उनको यहीं पर ट्रेनिंग देने की भी योजना बनायी गई थी. इसके लिए संगठन से जुड़े संदिग्धों ने स्थल का भी चयन कर लिया था. एक्यूआइएस संगठन ने रांची के चान्हो और चंदवा बार्डर पर स्थित नटका पहाड़ के घने जंगल को चुना था. इस घने जंगल के बीच में ट्रेनिंग कैंप खोलने की तैयारी की गई थी. इसका खुलासा झारखंड एटीएस की जांच में हुआ है. गिरफ्तार शाहबाज अंसारी से भी एटीएस ने पूछताछ की थी, उसने भी ट्रेनिंग कैंप खोलने की जानकारी दी है.
कटकी के जरिए जुड़ा था संगठन से
अलकायदा के झारखंड मॉड्यूल को डॉक्टर इश्तियाक अहमद तैयार कर रहा था. डॉक्टर इश्तियाक अलकायदा से कैसे जुड़ा यह भी जांच में सामने आ चुका है. डॉक्टर अब्दुल रहमान कटकी के कोर ग्रुप से ही अलकायदा के संर्पक में आया. करीब पांच साल से डॉक्टर कटकी के ग्रुप के संर्पक में था. वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद आतंकी कटकी और डॉक्टर इश्तियाक को लेकर भी सुरक्षा एजेंसियां अभी-भी जांच कर रही हैं.
साल 2010 के बाद डॉक्टर अब्दुल रहमान कटकी ने झारखंड के जमशेदपुर, रांची, लोहरदगा, हजारीबाग समेत कई शहरों का दौरा किया था. इन शहरों में तकरीर के जरिए वह लोगों को प्रभावित करता था, इसके बाद रेडिक्लाइज कर उसने सैकड़ों लोगों को स्लीपर सेल से जोड़ता था. 18 जनवरी 2016 को कटकी को पहली बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेवात से गिरफ्तार किया था. कटकी की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ था कि झारखंड के कई बच्चों को वह कटक भी ले गया था, जहां तकरीर के बहाने आतंक के लिए उकसाया जाता था.
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