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NEET और UGC NET परीक्षा गड़बड़ी से आया राजनीतिक भूचाल, उत्तराखंड भी रहा है पेपर लीक का एपिक सेंटर - uttarakhand paper leak

Uttarakhand paper leak incident between NEET and UGC NET पूरे देश में नीट (NEET) प्रवेश परीक्षा पेपर लीक पर हंगाम चल ही रहा था कि यूजीसी नेट (UGC NET) परीक्षा में धांधली की शिकायतों के बीच परीक्षा ही रद्द कर दी गई. इस हंगामे के बीच उत्तराखंड पेपर लीक प्रकरण की यादें ताजा हो गई हैं. साल 2021 में जब उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक होने का खुलासा हुआ था तो हड़कंप मच गया था. इसके बाद तो एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं सामने आ गईं. पेपर लीक की जांच करने वाली एसटीएफ 62 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.

Uttarakhand paper leak
पेपर लीक कांड की याद ताजा हुई (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 22, 2024, 10:08 AM IST

Updated : Jun 22, 2024, 11:54 AM IST

देहरादून: पेपर लीक प्रकरण इस समय देश का सबसे बड़ा पॉलिटिकल मुद्दा बन गया है. पटना में नीट (NEET) के पेपर लीक से लेकर UGC NET की परीक्षा रद्द किये जाने तक पर राजनीतिक भूचाल मचा हुआ है. उधर राष्ट्रीय स्तर पर पेपर लीक के इस मामले ने उत्तराखंड की भी पुरानी यादें ताजा कर दी हैं. दरअसल एक समय उत्तराखंड भी पेपर लीक के मामलों का एपिक सेंटर रह चुका है. यहां एक या दो नहीं बल्कि कई परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं.

नीट परीक्षा पर बवाल (ETV Bharat Graphics)

नीट और नेट के रिजल्ट पर हंगामा: देश में आज NEET (National Eligibility Cumulative Entrance Test)पेपर लीक मामला सुर्खिया बटोर रहा है. अभी पटना में नीट (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) का पेपर लीक होने पर विवाद चल रही रहा था कि UGC NET (University Grants Commission–National Eligibility Test) परीक्षा में भी इसी तरह की शिकायत आने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने इस परीक्षा को रद्द करने का फैसला ले लिया. उधर मामले की जांच सीबीआई को भी सौंप दी गई. हालांकि यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है, लेकिन उत्तराखंड में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है. हालांकि उत्तराखंड के लिए पेपर लीक जैसे मामले कोई नई बात नही हैं.

नीट मेडिकल एंट्रेस एग्जाम है (ETV Bharat Graphics)

उत्तराखंड रह चुका है पेपर लीक का एपिक सेंटर: उत्तराखंड पेपर लीक के मामलों का एपिक सेंटर भी रह चुका है. यूं तो समय-समय पर कई पेपर लीक होने की चर्चाएं प्रदेश में बनी रही हैं, लेकिन पेपर लीक से जुड़ी सबसे ज्यादा सुर्खियां साल 2021 में रहीं. जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित कराई जाने वाली स्नातक स्तरीय परीक्षा 2021 में गड़बड़ी होने की बात सामने आयी. पेपर लीक होने की खबर आते ही युवाओं ने सड़कों पर आकर मोर्चा खोल दिया. बॉबी पंवार नाम के युवा के नेतृत्व में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए. बस यहीं से प्रदेश में पेपर लीक प्रकरण राष्ट्रीय स्तर पर भी बहस की वजह बन गया. चौंकाने वाली बात यह है कि इसके बाद एक-एक कर कई दूसरी परीक्षाओं में भी पेपर लीक होने की बात सामने आने लगी. इनमें सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा, वन दरोगा भर्ती, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा जैसी भर्तियां शामिल रहीं.

नेट परीक्षा रद्द की गई (ETV Bharat Graphics)

एसटीएफ ने की पेपर लीक की जांच: इन सभी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आने के बाद सरकार ने भी एसटीएफ के माध्यम से परीक्षाओं की जांच के आदेश दे दिए. एक परीक्षा की जांच के दौरान अन्य कुछ परीक्षाओं में भी धांधली होने की बात सामने आती रही. इस तरह एक के बाद एक परीक्षाओं पर गड़बड़ी सामने आने से उत्तराखंड पेपर लीक के मामले पूरे देश में चर्चाओं में आ गए.

उत्तराखंड पेपर लीक में हो चुकी हैं 62 गिरफ्तारियां: पेपर लीक को लेकर कई मुकदमे दर्ज किए गए और इसमें तमाम आरोपियों की भी गिरफ्तारी की गई. प्रकरण में उत्तरकाशी के रहने वाले हाकम सिंह को मास्टरमाइंड बनाकर सलाखों के पीछे भी भेजा गया. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में स्नातक स्तरीय परीक्षा में कुल 47 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. वन दरोगा परीक्षा में गड़बड़ी करने के आरोप में आठ लोगों की गिरफ्तारी हुई. इसी तरह सचिवालय रक्षक परीक्षा के लिए एक और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा में गड़बड़ी के लिए छह आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. इस तरह देखा जाए तो कुल 62 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.

नेट क्वालिफाई करके असिस्टेंट प्रोफेसर बनते हैं (ETV Bharat Graphics)

ऐसा है उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून: पेपर लीक के ऐसे मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार इसके लिए कठोर कानून लेकर आई. ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान इसमें जोड़ा गया. उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर आजीवन कारावास (Life imprisonment) की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना भी भरना पड़ेगा. इसे गैर जमानती अपराध बनाया गया तो इसमें दोषियों की संपत्ति भी जब्त हो जाएगी.

इस कानून के तहत यदि कोई अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में खुद नकल करते अथवा नकल कराते हुए अनुचित साधनों में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे तीन साल की सजा होगी. इसके साथ ही मिनिमम पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. दूसरी बार भी यदि वही अभ्यर्थी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में फिर दोषी पाया जाता है, तो उसे इस बार कम से कम 10 साल की जेल होगी. इसके साथ ही उसे मिनिमम 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा.

उत्तराखंड के नकल विरोधी कानून में और प्रावधान भी हैं. अभ्यर्थी को नकल करते पाए जाने पर, आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से 2 से 5 वर्ष के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. दोष सिद्ध होने पर वो दस साल के लिए सभी परीक्षाओं से निलंबित होगा. दोबारा नकल करते पाए जाने पर आरोप पत्र दाखिल करने से पांच से 10 साल के लिए निलंबित होगा. दोष साबित होने पर उसके आजन्म सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लग जाएगी.
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Last Updated : Jun 22, 2024, 11:54 AM IST

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