बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पत्नी को दिए जाने वाले मेंटीनेंस के मामले में आज बेहद अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पति के वेतन से भविष्य निधि, घर का किराया, फर्नीचर की खरीद पर होने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए पत्नी को दी जाने वाली गुजारा भत्ता की राशि में कटौती नहीं की जा सकती है. इस संबंध में फैमिली कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाने के परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता (पति) पर 15 हजार का जुर्माना लगाया गया और पत्नी को भुगतान करने का निर्देश दिया गया.
यह आदेश न्यायमूर्ति हंचेट संजीव कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने जारी किया, जिसने मैसूर जिले में एसबीआई बैंक प्रबंधक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें फैमिली कोर्ट के पत्नी के गुजारा भत्ते के लिए 15,000 रुपये प्रति माह और बच्चे के गुजारा भत्ते के लिए 10,000 रुपये देने के आदेश को चुनौती दी गई थी.
कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता पति एसबीआई प्रबंधक के रूप में काम करता है और उसने यह दावा करने के लिए अपनी वेतन पर्ची प्रस्तुत की कि उसके वेतन से कई कटौतियों के मद्देनजर, रखरखाव राशि अत्यधिक है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के आय की सराहना करते समय, उपरोक्त कटौती पर विचार नहीं किया जा सकता है. यदि इसकी अनुमति दी जाती है, तो सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दायर याचिका के हर मामले में पति द्वारा कृत्रिम कटौती करने की प्रवृत्ति होगी, जो कोर्ट को गुमराह करने के इरादे से कम टेक होम वेतन दिखाने की कोशिश करेगा ताकि रखरखाव देने से इनकार किया जा सके.