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पत्नी के गुजारा भत्ता को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, पढ़ें खबर

Karnataka High Court : कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि तलाक की मांग करने वाले पति के भुगतान की जाने वाली रखरखाव राशि का आकलन करते समय भविष्य निधि, घर का किराया, फर्नीचर की खरीद पर होने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए पत्नी को दी जाने वाली गुजारा भत्ता की राशि में कटौती नहीं की जा सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 5, 2024, 1:32 PM IST

Karnataka High Court
कर्नाटक हाईकोर्ट

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पत्नी को दिए जाने वाले मेंटीनेंस के मामले में आज बेहद अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पति के वेतन से भविष्य निधि, घर का किराया, फर्नीचर की खरीद पर होने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए पत्नी को दी जाने वाली गुजारा भत्ता की राशि में कटौती नहीं की जा सकती है. इस संबंध में फैमिली कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाने के परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता (पति) पर 15 हजार का जुर्माना लगाया गया और पत्नी को भुगतान करने का निर्देश दिया गया.

यह आदेश न्यायमूर्ति हंचेट संजीव कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने जारी किया, जिसने मैसूर जिले में एसबीआई बैंक प्रबंधक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें फैमिली कोर्ट के पत्नी के गुजारा भत्ते के लिए 15,000 रुपये प्रति माह और बच्चे के गुजारा भत्ते के लिए 10,000 रुपये देने के आदेश को चुनौती दी गई थी.

कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता पति एसबीआई प्रबंधक के रूप में काम करता है और उसने यह दावा करने के लिए अपनी वेतन पर्ची प्रस्तुत की कि उसके वेतन से कई कटौतियों के मद्देनजर, रखरखाव राशि अत्यधिक है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के आय की सराहना करते समय, उपरोक्त कटौती पर विचार नहीं किया जा सकता है. यदि इसकी अनुमति दी जाती है, तो सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दायर याचिका के हर मामले में पति द्वारा कृत्रिम कटौती करने की प्रवृत्ति होगी, जो कोर्ट को गुमराह करने के इरादे से कम टेक होम वेतन दिखाने की कोशिश करेगा ताकि रखरखाव देने से इनकार किया जा सके.

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आवेदक के वेतन से केवल प्रोफेशनल टैक्स और इनकम टैक्स ही अनिवार्य रूप से काटा जाता है. अन्य एलआईसी, फर्नीचर की खरीद सभी में आवेदक के लाभ के लिए कटौती की जा रही है. इस प्रकार, पत्नी को भरण-पोषण देते समय, इन राशियों को ध्यान में रखते हुए, गुजारा भत्ता कम करने की अनुमति नहीं है. सीआरपीसी की धारा 125 (भरण-पोषण) के तहत दायर याचिका के प्रत्येक मामले में यदि याचिकाकर्ता की दलील को बरकरार रखा जाता है, तो पति द्वारा कृत्रिम कटौती करने की प्रवृत्ति होती है.

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पति भारतीय स्टेट बैंक में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत है और प्रति माह एक लाख से अधिक कमा रहा है. तब हाई कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश में कोई त्रुटि नहीं पाई गई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एसबीआई मैनेजर ने उन्हें मिलने वाले वेतन की रसीद जमा की थी. साथ ही वेतन से कटौती को ध्यान में रखते हुए रखरखाव भी बढ़ाया जाएगा. इस वजह से उन्होंने अनुरोध किया कि गुजारा भत्ता कम किया जाए. पीठ ने दस्तावेजों की जांच के बाद याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी.

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