लखनऊःआजादी के बाद भारत में इस बार 18वां आम चुनाव हो रहा है. जिसको लेकर देश के साथ उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. कहते हैं कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश से ही तय होती है. इसके प्रमाण अभी तक हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े भी बताते हैं. देश की आजादी के 74 साल में अब तक 15 प्रधानमंत्री बने, उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों से जीतकर संसद तक पहुंचे हैं. अब तक देश के 9 प्रधानमंत्री यूपी की अलग-अलग लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे और लगभग 54 सालों तक देश की बागडोर संभाली. इनमें से 6 प्रधानमंत्री तो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रहे हैं. जिसकी शुरुआत भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से हुई थी. जवाहर लाल नेहरू ने भी यूपी की इलाहाबाद से सांसद चुने गए थे. वहीं, वर्तमान में प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद हैं.
इलाहाबाद ने दिया था देश को पहला प्रधानमंत्री
वैसे तो पंडित जवाहर लाल नेहरू 1947 में ही भारत के प्रधानमंत्री बन गए थे. लेकिन उस समय कोई चुनाव नहीं हुआ था. 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ. जिसमें सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले। इसके बाद सर्वाधिक वोट आचार्य कृपलानी को मिले थे. लेकिन महात्मा गांधी के के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। वहीं, 1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951-1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. जिसमें जवाहर लाल नेहरू ने अपने जन्म स्थान इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर भारत के पहले प्रधानंमत्री चुने गए. इसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली. जवाहर लाल नेहरु अपनी मृत्यु 1964 तक यहीं से सांसद रहे.
लाल बहादुर शास्त्री ने 18 महीने तक संभाली देश की बागडोर, रूस में हुई थी मौत
1964 में जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. लाल बहादुर शास्त्री भी इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लाल बहादुर शास्त्री 11 जनवरी 1966 लगभग 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे थे. मुगलसराय में 1904 में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री रहते हुए 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. जिसमें पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी. ताशकंद (सोवियत संघ रूस) में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी.
पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रायबरेली से थीं सांसद
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से दो बार सांसद थीं. हालांकि जब वह 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री बनी तो राज्यसभा सदस्य थी. इसके एक साल बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट सीट से चुनाव लड़कर जीतीं और प्रधानमंत्री बनी रहीं. इसी तरह 1971 में हुए चुनाव में भी इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंची. हालांकि 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से हार गईं और कांग्रेस की भी सरकार नहीं बन पाई. इंदिरा गांधी को 1977 में रायबरेली से राजनारायण ने बड़ी अंतर से हरा दिया था. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया. इस बार इंदिरा गांधी एहतियातन रायबरेली के साथ आंध्र प्रदेश की मेडक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि यह सीट अब तेलांगना में है. इंदिरा गांधी दोनों सीटों से चुनाव जीतने के बाद रायबरेली सीट छोड़ दी थी.
23 दिन तक ही प्रधानमंत्री रह पाए थे चौधरी चरण सिंह
भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी यूपी की बागपत लोकसभा सीट से सांसद थे. किसान नेता और कई बार विधायक रहे चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री रहे. चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद इंदिरा गांधी के समर्थन से चौधरी चरण सिंह इंदिरा गांधी की पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन जब सदन में बहुमत साबित करने की बारी आई तो इंदिरा गांमधी ने समर्थन वापस ले लिया और उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद चौधरी चरण सिंह को 1979 को अपना इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि 14 जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहे. इस तरह सिर्फ 23 दिन तक ही प्रधानमंत्री पद काबिज रह सके. पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो संसद का मुंह तक नहीं देख पाए थे.