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आज से शुरू होगा 348 साल पुराना झंडे जी मेला, गिलाफ चढ़ाने का है रोचक इतिहास, 2132 तक के लिए फुल है बुकिंग - Jhande Ji Mela

Preparation for Jhande ji fair in Dehradun सिख शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द शिष्य से हुई है. इसका अर्थ है शिष्य या सीखने वाला. गुरु नानक जी से लेकर गुरु गोविंद सिंह जी तक कुल 10 गुरु हुए. सिख इन गुरुओं का बहुत सम्मान करते हैं. सिखों के 7वें गुरु हर राय जी के बड़े बेटे श्री गुरु राम राय जी की याद में देहरादून में ऐतिहासिक झंडे जी मेला लगता है. आज से ये ऐतिहासिक मेला शुरू हो रहा है. इस मेले से अद्भुत परंपराएं, यादें और कार्यक्रम जुड़े हुए हैं. इस खबर में जानिए झंडे जी मेले के बारे में सब कुछ.

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 28, 2024, 7:53 AM IST

Updated : Mar 30, 2024, 6:11 AM IST

Jhande ji fair
झंडे जी मेला

देहरादून का 348 साल पुराना झंडे जी मेला

देहरादून:श्री दरबार साहिब में संगतों के पहुंचने से रौनक बढ़ने लगी है. उधर मीलों का पैदल सफर कर श्री दरबार साहिब में पहुंचने वाली संगतों को झंडे जी के आरोहण का इंतजार है. देहरादून में हर साल श्री गुरु राम राय जी के जन्मोत्सव पर परंपरागत रूप से मनाया जाने वाला ऐतिहासिक झंडा मेला इस बार 30 मार्च 2024 यानि आज से शुरू होगा. ऐसे में इस दिन के लिए जहां श्री दरबार साहिब को सजाया जा रहा है तो वहीं संगतों की सुविधाओं के लिए भी सभी तैयारियां की जा चुकी हैं. इसमें सबसे खास ध्वजदंड की मान्यता है, जिसपर चढ़ने वाले गिलाफ की अपनी विशेष परंपराएं हैं.

झंडे जी मेला का तैयारी:देहरादून में श्री दरबार साहिब इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है. देश-विदेश की संगतें यहां आकर आस्था की डुबकी लगा रही हैं. सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए जहां संगतें सेवाभाव से यहां पहुंच रही हैं, तो श्री दरबार साहिब में मेला आयोजन समिति ने भी झंडा मेला की सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है. खास बात यह है कि बुधवार से गिलाफ सिलने का काम भी शुरू कर दिया गया. झंडे जी मेले में गिलाफ की भी अपनी खास परंपरा है.

श्री झंडे जी मेले का ये है पौराणिक इतिहास:सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय जी के बड़े बेटे श्री गुरु राम राय जी का जन्म होली के पांचवें दिन 1646 में चैत्रवदी पंचमी को हुआ था. साल 1676 में श्री गुरु राम राय जी दून घाटी में आए थे. उस दौरान गढ़वाल नरेश फतेहशाह ने उन्हें तीन गांव खुदबुड़ा, राजपुर और चामासारी दान किए थे. इसके बाद फतेह शाह के पोते प्रदीप शाह ने भी धामावाला, मियां वाला, पंडितवाड़ी और छतरावाला उन्हें दान किए थे. कहा जाता है कि श्री गुरु राम राय जी महाराज ने दून में डेरा डाला था, इसीलिए इस जगह का नाम देहरादून पड़ा. इसके साथ ही श्री गुरु राम राय जी महाराज के जन्मदिन पर हर साल श्री झंडा जी मेले की शुरुआत हुई. कहा जाता है कि इसी दिन महाराज जी देहरादून भी पहुंचे थे, इसलिए उनकी याद में श्री झंडा जी को चढ़ाया जाता है.

ये है झंडे जी की खासियत:इस साल श्री झंडा जी के ध्वजदंड की लंबाई 86 फीट और मोटाई 30 इंच है. परंपरा के अनुसार झंडा जी में तीन तरह के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं. इसमें सबसे नीचे सादा गिलाफ चढ़ता है. इसके ऊपर सनील गिलाफ होता है, जिनकी संख्या 20 से 50 होती हैं. इस गिलाफ को चढ़ाने के लिए श्री दरबार जी महाराज में बुकिंग करने पर करीब 25 साल के दौरान संगत का नंबर आता है. सबसे ऊपर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है, जिसके लिए श्री दरबार जी महाराज में दरख्वास्त करने पर करीब 100 साल बाद इसे चढ़ाने का मौका मिलता है. इस साल पंजाब के हरभजन सिंह द्वारा दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाएगा. करीब 104 साल पहले हरभजन के परिजनों ने इसके लिए बुकिंग करवाई थी. दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए साल 2132 तक के लिए बुकिंग हो चुकी है.

17 अप्रैल तक चलेगा झंडे जी मेला:वैसे तो श्री दरबार जी महाराज में लगने वाले झंडे मेले के लिए देश भर से संगतें आती हैं. लेकिन खासतौर पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान की सबसे ज्यादा संगतें यहां पहुंचती हैं. झंडे जी का मेला करीब एक महीना चलता है. इस बार आज को श्री झंडे जी का भव्य आरोहण किया जाएगा. 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ श्री झंडे जी का मेला संपन्न होगा.

झंडे जी मेले की व्यवस्था के लिए 42 सीसीटीवी कैमरे:श्री झंडा जी मेला में लाखों की संख्या में संगतें पहुंचती हैं. ऐसे में श्री दरबार जी महाराज द्वारा भी इनके रहने से लेकर खाने-पीने और तमाम दूसरी व्यवस्थाओं को किया जाता है. इसके अलावा देहरादून में लाखों की संख्या में पहुंचने वाली भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस भी इसमें अपना सहयोग देती है और तमाम जगहों पर यातायात की व्यवस्था को सुचारू किया जाता है. इस बार श्री दरबार साहिब में होने वाले श्री झंडे जी मेले के लिए 42 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

ये रहेगा झंडे जी मेले का कार्यक्रम:झंडे मेले के लिए तय कार्यक्रम के अनुसार आज सुबह 8 से 9 तक श्री झंडे जी को उतारने का काम किया जाएगा. इसके बाद श्री झंडा जी को दही घी और गंगाजल के साथ ही पंचामृत से स्नान करवाया जाएगा. इसके बाद 10:00 बजे सादा गिलाफ चढ़ाए जाएंगे. दिन में 1 बजे से सनील गिलाफ चढ़ने शुरू होंगे. इसके बाद सबसे बाहर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाएगा. ठीक शाम करीब 5:00 बजे महेंद्र श्री देवेंद्र जी महाराज, सज्ज़ादा गद्दी नशीन, दरबार श्री गुरु रामराय जी महाराज द्वारा श्री झंडे जी का आरोहण किया जाएगा.

इसके अगले दिन 31 मार्च को संगतें महेंद्र श्री देवेंद्र जी महाराज, सज्ज़ादा गद्दी नशीन, दरबार श्री गुरु रामराय जी महाराज का आशीर्वाद लेने आएंगी. फिर 1 अप्रैल को नगर परिक्रमा का कार्यक्रम किया जाएगा. इसके बाद 17 अप्रैल को श्री झंडा जी मेला का समापन होगा.

आकर्षण का बना केंद्र श्री दरबार जी साहब का भक्ति सरोवर:श्री दरबार जी साहब परिसर में स्थित एक बड़ा तालाब भी संगतों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस बार गुरुद्वारा अमृतसर की तर्ज पर श्री दरबार जी साहिब के भक्ति सरोवर को भी तैयार किया जा रहा है. इस भक्ति सरोवर को इस बार रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जा रहा है. इसके बाद अब रात के समय भक्ति सरोवर का दृश्य बेहद मनमोहक दिखाई देगा.

विभिन्न राज्यों की संगतें ही लगाती हैं मेले की दुकानें:श्री झंडे जी मेले को लेकर एक खास बात यह भी है कि यहां पर लगने वाला मेला स्थानीय व्यापारियों के साथ ही विभिन्न राज्यों से आने वाली संगतों द्वारा भी लगाया जाता है. पिछले सैकड़ों साल से मेले में दुकान लगाने के लिए जिन लोगों को जगह दी गई है, उन्हीं लोगों के परिजन हर साल यहां आकर दुकान लगाते हैं और मेले को सफल बनाने में अपना योगदान देते हैं. इसी तरह श्री दरबार साहिब में संगतें सेवा भाव करती हुई दिखाई देती हैं. खाना बनाने से लेकर साफ सफाई तक भी सेवा भाव के साथ संगतें करती हैं.
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Last Updated : Mar 30, 2024, 6:11 AM IST

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