हिंगोली में चार सालों में आए 25 भूकंप के झटके, नासा की लिगो लैब परियोजना पर छाया संकट - NASA LIGO Lab Project - NASA LIGO LAB PROJECT
महाराष्ट्र के हिंगोली में बुधवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. यह भूकंप पिछले चार सालों में 25वां भूकंप था. इससे जिले में खोली जाने वाली एक प्रयोगशाला की योजना खतरे में आ गई है. दलअसल नासा इस जिले में एक प्रयोगशाला खोलने की योजना बना रही थी.
भूगर्भशास्त्री और मौसम विज्ञानी श्रीनिवास औंधकर (फोटो - ETV Bharat Maharashtra Desk)
भूगर्भशास्त्री और मौसम विज्ञानी श्रीनिवास औंधकर (वीडियो - ETV Bharat Maharashtra Desk)
छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र में हिंगोली के वासमत तालुका के रामेश्वर तांडा में दूसरी बार 4.5 तीव्रता का भूकंप आया. नासा इस जगह पर प्रयोगशाला बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन इस भूकंप के कारण इस परियोजना के मुश्किल में पड़ने की संभावना है. बुधवार सुबह करीब 7:10 बजे मराठवाड़ा में भूकंप के झटके महसूस किए गए.
जानकारी के अनुसार इस भूकंप का केंद्र महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में पाया गया है. पिछले चार सालों में अब तक इस इलाके में 25 भूकंप आ चुके हैं. भूगर्भशास्त्री और मौसम विज्ञानी श्रीनिवास औंधकर ने राय व्यक्त की कि इस स्थान पर भूविज्ञान का अध्ययन करने की आवश्यकता है. यह भूकंप जिले के वासमत तालुक के रामेश्वर टांडा में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे आया.
हैरानी की बात यह है कि हिंगोली जिला, जिसने कभी भूकंप का अनुभव नहीं किया था, 27 फरवरी, 2020 से आज तक 25 भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. आशंका है कि इनकी गंभीरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. रिक्टर स्केल पर न्यूनतम 1.5 से लेकर अधिकतम 4.5 तक की तीव्रता अब तक दर्ज की गई है.
इससे पहले 21 मार्च 2024 को भी इसी स्थान पर 4.5 तीव्रता का भूकंप आया था. शोधकर्ता श्रीनिवास औंधकर ने राय व्यक्त की कि यह चिंता का विषय है, क्योंकि उसी तीव्रता का झटका फिर से उसी स्थान पर आया है. 2020 में, नासा ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों का अध्ययन करने के लिए LIGO को एक प्रयोगशाला के रूप में मंजूरी दी.
पिछले कुछ वर्षों में, इस प्रयोगशाला के लिए विभिन्न तरीकों की कोशिश की गई है. राज्य में पहली बार केंद्र सरकार ने हिंगोली जिले में ऐसी प्रयोगशाला शुरू करने की अनुमति दी थी. इस वजह से इस हिस्से को एक अलग महत्व मिलता. इस प्रयोगशाला को मंजूरी देते समय एक शर्त रखी गई थी कि इस क्षेत्र में भूकंप नहीं आना चाहिए. हिंगोली में पहले कभी ऐसा भूकंप नहीं आया था.
इसलिए वहां अनुमति दे दी गई. लेकिन बाद की अवधि में 25 भूकंप आने के कारण इस स्थान पर शुरू होने वाली प्रयोगशाला के संकट में पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. भूवैज्ञानिक और मौसम विज्ञानी श्रीनिवास औंधकर ने आशंका जताई कि यह परियोजना किसी दूसरे राज्य में चली जाएगी.