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बाबा भोलेनाथ का स्वरूप माने जाने वाले 106 वर्ष के स्वामी शिवानंद भारती का निधन, पीएम मोदी-सीएम योगी ने जताया शोक - Swami Shivanand Bharti passes away

वाराणसी में रविवार को 106 वर्ष के स्वामी शिवानंद भारती का निधन हो गया. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी ने उनके निधन पर शोक जताया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 7, 2024, 10:33 PM IST

Updated : Apr 7, 2024, 10:49 PM IST

वाराणसी: काशी के विशिष्ट साधक और काशी वासियों के लिए भगवान विश्वनाथ का साक्षात स्वरूप माने जाने वाले 106 वर्ष के स्वामी शिवानंद भारती का रविवार को तिरोधान हो गया. वह ऐसे साधक थे जो लगभग सौ वर्षों से अनवरत भगवान विश्वनाथ की उपासना, साधना कर रहे थे. बात यह है कि आज जब संत महात्मा और हर कोई सोशल मीडिया के युग में पब्लिक फ्रेंडली हो चुका है तो वही भारती जी महाराज किसी से भी नहीं मिलते थे. किसी से कोई दक्षिणा आदि ग्रहण नहीं करते थे. इतना ही नहीं अपने इस पंचतत्व शरीर को भी उन्होंने समाज से विरक्त होकर 20 वर्ष की उम्र में संन्यास धर्म स्वीकार कर लिया था.

उन्होंने पत्नी का त्याग कर दिया और घोर कठिन तपस्या भगवान विश्वनाथ के सानिध्य में प्रात: ढाई बजे से सायंकाल छह बजे तक अनवरत गर्भगृह में बैठ कर अभिषेक करते थे. यह क्रम उनका लगभग आठ दशकों तक चला. ऐसे संत की तपस्या को देखकर उनके छोटे भाई प्रो.सुधांशु शेखर शास्त्री, जो बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डीन आदि के पद पर रहते हुए. वे अपना जीवन अपने बड़े भाई की सेवा में लगा दिया. उन्होंने भी विवाह नहीं किया. उन्होंने कहा कि हमारा बड़ा भाई इतनी तपस्या कर रहा है.

इनकी सेवा से ही हमारा जीवन सफल होगा. इस संकल्प के साथ उनकी सेवा करते थे. ऐसे साधक उपासक उत्तर भारत में वर्तमान समय में देखने को नहीं मिलता. जहां देवरहवा बाबा, मां आनंदमयी एवं स्वामी करपात्री जी जैसे सिद्ध साधक इस देश में हुए उसी परंपरा में पूज्य स्वामी शिवानंद भारती जी राजस्थान में पैदा हुए और अपना साधना स्थली काशी में भगवान विश्वेश्वर के सानिध्य में ललिता घाट स्थित राजराजेश्वरी मंदिर के तृतीय तल पर एकाकी जीवन बिताते हुए अखंड तपस्या की. सबसे बड़ी बात यह है कि वह नियमित बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते थे और मंगला आरती में भी शामिल होते थे.

वाराणसी में रविवार को 106 वर्ष के स्वामी शिवानंद भारती का निधन

उनके गुरुदेव का नाम शंकर भारती महाराज था. उनका जन्म राजस्थान के जयपुर जिले मे निमेड़ा गांव में हुआ था. उनके पिता जगदीश चंद्र मिश्र संस्कृत के बड़े विद्वान थे. माता का नाम बाई बच्ची देवी था. श्रीविद्या के भारतवर्ष के अद्वितीय साधक विद्वान थे. उन्हें न्याय, वेदान्त, आगम तंत्र, व्याकरण, दर्शन आदि शास्त्रों के अप्रतिम ज्ञान था. पद्मभूषण डॉ. देवी प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि वह काशीवासी ही नहीं संपूर्ण उत्तर भारत ने आज एक साधक को खो दिया. यूं कहा जाए कि काशीवासी अनाथ हो गए. इस स्तर के संत अब काशी में कोई नहीं है. उत्तर भारत एवं काशी में ऐसा साधक, तपस्वी मेरी दृष्टि में नहीं है. काशी शून्य हो गई. बड़ी भारी क्षति हुई है. वह विगत 25 दिनों से लक्सा स्थित रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती थे. रविवार को सायंकाल मणिकर्णिका घाट के सामने उन्हें गंगा में जलसमाधि दी गई.

अपनी अखंड तपस्या और योग के बल पर 2020 में जब कोविड का भयानक दौर था. उस वर्ष 103 वर्ष की अवस्था में बहुत ज्यादा तबियत बिगड़ने और कोविड पॉजिटिव होने की वजह से उन्हें बीएचयू में भर्ती किया गया था. जहां वह बिल्कुल स्वस्थ होकर वापस लौटे थे.

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Last Updated : Apr 7, 2024, 10:49 PM IST

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