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جھارکھنڈ: ایک گاؤں ایسا بھی ۔۔۔ - مانسدھاری گاؤں

ضلع پاکوڑ کے لٹی پاڑہ حلقے کے مانسدھاری گاؤں میں لوگوں کو پینے کے لیے صاف پانی بھی میسر نہیں ہے۔ یہاں انسان اور جانور ایک ساتھ اپنی پیاس بجھانے کے لیے مجبور ہیں۔

جھارکھنڈ: ایک گاؤں ایسا بھی
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Published : Jul 29, 2019, 9:19 PM IST

ملک کے سب سے پسماندہ 12 بلاک میں شامل ضلع پاکوڑ کے لٹی پاڑہ حلقے کے ایک گاؤں میں پینے کے پانی کے لیے انسان اور جانور ایک ساتھ پہنچتے ہیں۔ اس گاؤں میں نہ پانی کی سہولیات ہیں، نہ سڑکیں ہیں اور نہ ہی بچوں کے لیے کوئی اسکول ہے۔

ریاست جھارکھنڈ کے وجود میں آنے کے کئی برسوں کے بعد بھی مانسدھاری گاؤں میں بنیادی سہولیات مقامی لوگوں کو مہیا نہیں کرائی جا سکی ہیں۔

جھارکھنڈ: ایک گاؤں ایسا بھی

نمائندہ ای ٹی وی بھارت نے جب ڈی سی کلدیپ چودھری سے بات چیت کی تو انہوں نے بتایا کہ اس بات کی اطلاع آپ کے ذریعے مجھے ملی ہے۔

ڈی سی نے کہا کہ ایک ٹیم گاؤں میں بھیجی جائے گی تاکہ جانچ کے بعد رپورٹ ملے۔ انہوں نے بتایا کہ پینے کے پانی کا بندوبست کیا جائے گا اور ساتھ ہی اس کا جائزہ بھی لیا جائے گا۔

ملک کے سب سے پسماندہ 12 بلاک میں شامل ضلع پاکوڑ کے لٹی پاڑہ حلقے کے ایک گاؤں میں پینے کے پانی کے لیے انسان اور جانور ایک ساتھ پہنچتے ہیں۔ اس گاؤں میں نہ پانی کی سہولیات ہیں، نہ سڑکیں ہیں اور نہ ہی بچوں کے لیے کوئی اسکول ہے۔

ریاست جھارکھنڈ کے وجود میں آنے کے کئی برسوں کے بعد بھی مانسدھاری گاؤں میں بنیادی سہولیات مقامی لوگوں کو مہیا نہیں کرائی جا سکی ہیں۔

جھارکھنڈ: ایک گاؤں ایسا بھی

نمائندہ ای ٹی وی بھارت نے جب ڈی سی کلدیپ چودھری سے بات چیت کی تو انہوں نے بتایا کہ اس بات کی اطلاع آپ کے ذریعے مجھے ملی ہے۔

ڈی سی نے کہا کہ ایک ٹیم گاؤں میں بھیجی جائے گی تاکہ جانچ کے بعد رپورٹ ملے۔ انہوں نے بتایا کہ پینے کے پانی کا بندوبست کیا جائے گا اور ساتھ ہی اس کا جائزہ بھی لیا جائے گا۔

Intro:बाइट : बामड़ी पहाड़िन, ग्रामीण
बाइट : नारा पहाड़िया, ग्रामीण
बाइट : बैदा पहाड़िया, ग्रामप्रधान
बाइट : कुलदीप चैधरी, डीसी

पाकुड़ : आजादी के वर्षो बाद भी देश के सबसे पिछड़े 12 प्रखंडो में सुमार पाकुड़ जिले लिट्टीपाड़ा प्रखंड का एक गांव है जहां पीने का पानी लेने के लिए आदमी और जानवर एकसाथ पहुंचते है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि शासन प्रशासन में बैठे लोगो ने इस गांव की ऐसी अनदेखी की है कि यहां रह रहे लोगो की दुर्दशा ही हो रही है। वह गांव में लिट्टीपाड़ा प्रखंड के करमाटांढ़ पंचायत का आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल गांव मांसधारी।


Body:देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आज जलशक्ति से जनशक्ति अभियान चलाकर जल को सिंचित करने एवं भुर्गव में जा रहे जलस्तर को उपर उठाने का काम हो रहा है। पूरा शासन प्रशासन जलशक्ति अभियान को व्यापक रूप देने में जुटा है पर झारखंड राज्य के पाकुड़ के सबसे लिट्टीपाड़ा प्रखंड में एक ऐसा गांव भी जहां खासकर पीने का पानी के लिए जानवर और आदमी एकसाथ पहुंचते है क्योंकि इन्हे अपनी प्यास जो बुझानी है।
न केवल देश को आजाद हुए बल्कि झारखंड राज्य अलग होने के वर्षो बितने के बाद भी मांसधारी गांव में मुलभुत एवं बुनियादी सुविधाए ग्रामीणो को मुहैया नही करायी जा सकी है। जल जंगल और जमीन का नारा बुलंद कर शासन का सुख भोगने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा हो या सबका साथ सबका विकास का सपना दिखाने वाली भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में भी यह गांव आज भी उपेक्षित है। इस गांव की दशा और दिशा नही बदली। लिहाजा यहां रह रहे लोगो की दुर्दशा साफ झलक रही है। 
लगभग 150 की आबादी वाले इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नही है। चापानल का अधिष्ठापन नही हो पाया है जिसके चलते गांव के एक पूराने झरने में आदमी और जानवर दोनो पीने का पानी लेने को विवश है। यह पूराना झरना ही है जो इंसान और जानवर को एक सुत्र में पिरोयो हुए है क्योंकि यहां पीने का पानी जो मिल रहा। स्वास्थ की दुर्दशा ऐसी कि गांव का 55 वर्षीय धोलिया पहाड़िया इलाज के अभाव में खाट पर अपनी जिंदगी बिता रहा, क्योंकि स्वस्थ झारखंड सुखी झारखंड का सपना दिखाने वाले बाबु धोलिया के घर की चैखट तक अबतक नही पहुंच पाये है। स्कूल है पर शिक्षक नही आते। गांव के बच्चे पढ़ने के बजाय दिनभर मौज मस्ती और कुछ देर के लिए मवेशी चराने का काम करते है।
सरकार की कौशल विकास, मुद्रा आदि रोजगार मुहैया करायी जाने वाली योजनाए इस गांव के लोगो को अबतक लाभांवित नही कर पायी है। परंपरागत बरबट्टी, मकई, बाजरा, अरहर, सुतनी, खुरसा, बाजरा की खेती के अलावे वनोउत्पादो का दोहन कर इस गांव में रहने वाले पहाड़िया ग्रामीण अपना पेट भर रहे है।


Conclusion:मांसधारी गांव की दुर्दशा को लेकर जब डीसी कुलदीप चैधरी से पुछा गया तो उन्होने बताया कि इसकी सूचना आपके माध्यम से मुझे मिली है और एक टीम इस गांव में भेजी जायेगी ताकि जांच कर रिपोर्ट दे और सड़क निर्माण का कार्य करा सके। उन्होने बताया कि पेयजल की भी उस गांव में व्यवस्था की जायेगी साथ ही इसकी समीक्षा हम करेंगे।
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