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گرودوارہ پانٹا صاحب میں کوی دربار کا انعقاد

ریاست ہماچل پردیش کے پونٹا صاحب میں گزشتہ350 برس سے کوی دربار کی روایت قائم ہے۔

گرودوارہ پانٹا صاحب میں کوی دربار کا انعقاد
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Published : Nov 13, 2019, 10:27 AM IST

گرو گوند سنگھ نے کوی دربار کو شروع کیا تھا، اس وقت بھی اس دربار میں مختلف مذاہب و ثقافت سے وابستہ افراد آیا کرتے تھے۔

گرو ناننک دیبو جی کے 550 ویں پرکاش ورش کے موقع پر ایک طرف جہاں ریاست کے مختلف گرودوارے میں اکھنڈ پاٹ صاحب کو بھگو دیا گیا، وہیں دوسری جانب راگی اور ٹھاڑی نے سری گرو وانی کا پر گفتگو کی۔

گرودوارہ پانٹا صاحب میں کوی دربار کا انعقاد

اس موقع پر گرو دوارہ پانٹا صاحب میں تزک و احتشام کے ساتھ کوی دربار کا انعقاد کیا گیا۔

اس سہنرے موقع سکھ برادری کے علاوہ مسلم اور ہندو شعرا کرام نے شرکت کی اور اپنےاشعار پڑھ کر سامعین کو محظوظ کیا ۔

اس مشاعرے کی خاص بات یہ رہی کےشعرا کرام نےاپنے کلام کے ذریعہ گرو نانک دیو جی کی تعلیمات کو سامعین کے روبرو پیش کیا

گرو گوند سنگھ نے کوی دربار کو شروع کیا تھا، اس وقت بھی اس دربار میں مختلف مذاہب و ثقافت سے وابستہ افراد آیا کرتے تھے۔

گرو ناننک دیبو جی کے 550 ویں پرکاش ورش کے موقع پر ایک طرف جہاں ریاست کے مختلف گرودوارے میں اکھنڈ پاٹ صاحب کو بھگو دیا گیا، وہیں دوسری جانب راگی اور ٹھاڑی نے سری گرو وانی کا پر گفتگو کی۔

گرودوارہ پانٹا صاحب میں کوی دربار کا انعقاد

اس موقع پر گرو دوارہ پانٹا صاحب میں تزک و احتشام کے ساتھ کوی دربار کا انعقاد کیا گیا۔

اس سہنرے موقع سکھ برادری کے علاوہ مسلم اور ہندو شعرا کرام نے شرکت کی اور اپنےاشعار پڑھ کر سامعین کو محظوظ کیا ۔

اس مشاعرے کی خاص بات یہ رہی کےشعرا کرام نےاپنے کلام کے ذریعہ گرو نانک دیو جی کی تعلیمات کو سامعین کے روبرو پیش کیا

Intro:ऐतिहासिक पांवटा साहिब गुरुद्वारे में कवि दरबार का विशेष आयोजन
दरबार में लगभग 52 हिंदू मुस्लिम और सिख कवि साहिबान
कवि दरबार की विशेषता यह है कि यहां न सिर्फ सिख बल्कि हिंदू और मुस्लिम कभी भी कविता पाठ करतेBody:एंकर- श्री गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाश उत्सव के अवसर पर ऐतिहासिक पांवटा साहिब गुरुद्वारे में कवि दरबार का विशेष आयोजन किया गया। कवि दरबार की विशेषता यह है कि यहां न सिर्फ सिख बल्कि हिंदू और मुस्लिम कभी भी कविता पाठ करते हैं। दरअसल गुरुद्वारों में कवि दरबार की शुरुआत श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने पांवटा साहिब से ही की थी। श्री गुरु गोविंद सिंह जी के दरबार में लगभग 52 हिंदू मुस्लिम और सिख कवि साहिबान थे।

वीओ- श्री गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर जहां अखंड पाठ साहिब के भोग पड़े, वहीं दिनभर रागी और ठाड़ी जत्थों ने श्री गुरु वाणी का बखान किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब में भव्य कभी दरबार का भी आयोजन किया गया। कवि दरबार में बिभिन्न राज्यों से आए कवियों ने श्री गुरु नानक देव जी सहित सिख गुरुओं के चरित्र, उनकी शिक्षाओं और गुरुओं की वीर गाथाओं का कविता के माध्यम से बखान किया।
बाइट - कवियों का कविता पाठ।
वीओ- विभिन्न राज्यों से आए कवियों को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता यहां उमड़े। कविता पाठ के लिए पहुंचे कवि भी गुरुद्वारे में कविता पाठ कर स्वयं को कृतार्थ महसूस करते है।
बाइट - गुरबचन सिंह, पंजाब के कवि।
वीओ- पावटा साहिब में कवि दरबार की परंपरा लगभग 350 सालों से चली आ रही है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पांवटा साहिब में साढे 4 साल के प्रवास के दौरान यह परंपरा शुरू हुई थी। श्री गुरु गोविंद सिंह जी के दरबार में 52 कवि साहिबान हुआ करते थे। जो नित्य उनके समक्ष कविता पाठ करते थे और श्री गुरु गोविंद सिंह जी से पुरस्कार प्राप्त करते थे। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के कवि दरबार में विभिन्न राज्यों, विभिन्न संप्रदायों और धर्मों के कवि होते थे। पावटा साहिब गुरुद्वारे में आज भी कवि दरबार की परंपरा कायम है।
बाइट - कुलवंत सिंह, पूर्व मैनेजर गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी।
बाइट - हरभजन सिंह, उप प्रधान, पावटा साहिब गुरद्वारा।Conclusion:
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