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نوح: مدھو مکھیاں آمدنی کا ذریعہ

نوح ضلع سرسوں کی پیداوار میں دوسرے نمبر پر آتا ہے اور مدھو مکھیاں آسانی سے سرسوں کے پھولوں سے شہد تیار کر لیتی ہیں، جسے نوجوان فروخت کرکے اچھا منافع کماتے لیتے ہیں۔

نوح: مدھو مکھیاں بنی آمدنی کا ذریعہ
نوح: مدھو مکھیاں بنی آمدنی کا ذریعہ
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Published : Dec 10, 2019, 2:37 PM IST

ریاست ہریانہ کے ضلع نوح میں بہت سے نوجوان تعلیم یافتہ ہونے کے باوجود بھی بے روزگار ہیں۔

نوح: مدھو مکھیاں بنی آمدنی کا ذریعہ

ایسے میں نوجوان اگر چاہیں تو مدھو مکھی سے شہد تیار کرکے اچھی آمدنی حاصل کر سکتے ہیں۔

مذید پڑھیں: مشن اندر دھنش ٹو کا آغاز

در اصل ضلع نوح میں سرسوں کی پیداوار میں دوسرے نمبر پر آتا ہے اور سرسوں کے پھولوں سے مدھو مکھیاں بہت آسانی سے اور بہت جلد شہد بناتی ہیں، جسے فروخت کرکے نوجوان اچھا منافع کماتے ہیں۔

مذید پڑھیں: 'ہماری زمین ہماری ذمہ داری' عنوان سے پروگرام کا انعقاد

وہیں اترپردیش سے آئے ہوئے نوجوانوں نے بتایا کہ وہ ہر سال یہاں آتے ہیں اور دو تین مہینے مکھیوں کے پالنے کے بعد واپس چلے جاتے ہیں۔

اس سلسلے میں کسانوں کو لگتا ہے کہ اگر مکھی اپنے پھول کا رس کھا رہی ہے تو اس سے ان کا پھول مرجھا جائے گا، لیکن سچائی یہ ہے کہ ایسا کرنے سے مکھی فصلوں میں لگنے والے کیڑے مار دوا کے اثر کو کم کردیتی ہے۔

نہ صرف شہد کی مکھیوں کے لئے سرسوں کی فصل فائدے مند ہے بلکہ مدھو مکھیوں کی آمد سے سرسوں کی پیداوار میں بھی اضافہ ہوتا ہے۔

ریاست ہریانہ کے ضلع نوح میں بہت سے نوجوان تعلیم یافتہ ہونے کے باوجود بھی بے روزگار ہیں۔

نوح: مدھو مکھیاں بنی آمدنی کا ذریعہ

ایسے میں نوجوان اگر چاہیں تو مدھو مکھی سے شہد تیار کرکے اچھی آمدنی حاصل کر سکتے ہیں۔

مذید پڑھیں: مشن اندر دھنش ٹو کا آغاز

در اصل ضلع نوح میں سرسوں کی پیداوار میں دوسرے نمبر پر آتا ہے اور سرسوں کے پھولوں سے مدھو مکھیاں بہت آسانی سے اور بہت جلد شہد بناتی ہیں، جسے فروخت کرکے نوجوان اچھا منافع کماتے ہیں۔

مذید پڑھیں: 'ہماری زمین ہماری ذمہ داری' عنوان سے پروگرام کا انعقاد

وہیں اترپردیش سے آئے ہوئے نوجوانوں نے بتایا کہ وہ ہر سال یہاں آتے ہیں اور دو تین مہینے مکھیوں کے پالنے کے بعد واپس چلے جاتے ہیں۔

اس سلسلے میں کسانوں کو لگتا ہے کہ اگر مکھی اپنے پھول کا رس کھا رہی ہے تو اس سے ان کا پھول مرجھا جائے گا، لیکن سچائی یہ ہے کہ ایسا کرنے سے مکھی فصلوں میں لگنے والے کیڑے مار دوا کے اثر کو کم کردیتی ہے۔

نہ صرف شہد کی مکھیوں کے لئے سرسوں کی فصل فائدے مند ہے بلکہ مدھو مکھیوں کی آمد سے سرسوں کی پیداوار میں بھی اضافہ ہوتا ہے۔

Intro:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी :- मधुमक्खी पालन पर विशेष
पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बेहद अधिक है सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव इस मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है दशकों पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा महज 3 किलोग्राम रह गया है। यूपी के मधुमक्खी पालन करने वाले युवा ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि कई बार किसान भी गलतफहमी में आकर उन्हें तंग करते हैं किसानों का आरोप होता है कि मधुमक्खियां उनके सरसों के फूल का रस चूस लेती हैं जिससे फसल खराब होती हैं लेकिन मधुमक्खी पालक ने साफ तौर पर कहा कि फसलों में मधुमक्खियां उन कीटनाशकों को खत्म कर देती हैं जिन से फसलों को नुकसान पहुंचता है सरसों की फसल से न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी लाभ होता है कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालन करके अच्छा व्यवसाय कमा सकते हैं

बाइट ;- सुरेश कुमार मधुमक्खी पालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Body:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी :- मधुमक्खी पालन पर विशेष
पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बेहद अधिक है सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव इस मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है दशकों पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा महज 3 किलोग्राम रह गया है। यूपी के मधुमक्खी पालन करने वाले युवा ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि कई बार किसान भी गलतफहमी में आकर उन्हें तंग करते हैं किसानों का आरोप होता है कि मधुमक्खियां उनके सरसों के फूल का रस चूस लेती हैं जिससे फसल खराब होती हैं लेकिन मधुमक्खी पालक ने साफ तौर पर कहा कि फसलों में मधुमक्खियां उन कीटनाशकों को खत्म कर देती हैं जिन से फसलों को नुकसान पहुंचता है सरसों की फसल से न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी लाभ होता है कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालन करके अच्छा व्यवसाय कमा सकते हैं

बाइट ;- सुरेश कुमार मधुमक्खी पालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Conclusion:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी :- मधुमक्खी पालन पर विशेष
पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बेहद अधिक है सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव इस मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है दशकों पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा महज 3 किलोग्राम रह गया है। यूपी के मधुमक्खी पालन करने वाले युवा ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि कई बार किसान भी गलतफहमी में आकर उन्हें तंग करते हैं किसानों का आरोप होता है कि मधुमक्खियां उनके सरसों के फूल का रस चूस लेती हैं जिससे फसल खराब होती हैं लेकिन मधुमक्खी पालक ने साफ तौर पर कहा कि फसलों में मधुमक्खियां उन कीटनाशकों को खत्म कर देती हैं जिन से फसलों को नुकसान पहुंचता है सरसों की फसल से न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी लाभ होता है कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालन करके अच्छा व्यवसाय कमा सकते हैं

बाइट ;- सुरेश कुमार मधुमक्खी पालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात।
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