اضافی فیس کو واپس کرنے سمیت کئی مطالبات کو لیکر احتجاج کر رہے جے این یو طلبہ کا احتجاج رکنے کا نام نہیں لے رہاہے۔
جے این یو: پوری طرح سے اضافی فیس کو واپس کرنے کا مطالبہ
جے این یو کے طلبہ نے اعلیٰ سطحی جانچ کمیٹی کی رپورٹ کو خارج کر دیا ہے۔ طلبہ کا کہنا ہے کہ ہم پوری طرح سے اضافی فیس کو واپس کرنے کا مطالبہ کر رہے ہیں۔
اضافی فیس کو واپس کرنے کا مطالبہ
اضافی فیس کو واپس کرنے سمیت کئی مطالبات کو لیکر احتجاج کر رہے جے این یو طلبہ کا احتجاج رکنے کا نام نہیں لے رہاہے۔
Intro:नई दिल्ली ।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को लेकर चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए जेएनयू प्रशासन द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया जिसने छात्रों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर अपना निर्णय जारी कर दिया है. इस निर्णय के अनुसार सर्विस चार्ज में बीपीएल छात्रों को 75 फ़ीसदी और सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 फ़ीसदी छूट दी गई है. वहीं प्रदर्शनकारी छात्र इस निर्णय से नाखुश हैं और उन्होंने कहा कि हमें लॉलीपॉप नहीं बल्कि पूरा फीस रोलबैक चाहिए.
Body:समिति द्वारा फीस में छूट दिए जाने के निर्णय को लेकर छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि जेएनयू प्रशासन उनके साथ मोलभाव करने पर तुला हुआ है. पहले मीटिंग करके थोड़ी छूट दी जाती है और दोबारा समिति गठित होती है तो थोड़ी ज्यादा छूट दी जाती है जो कि छात्रों को किसी भी तरह मान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक छात्रों की मांगों को पूरी नहीं किया जाता वह इसी तरह अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. साथ ही कहा कि यह जेएनयू प्रशासन का पुराना रवैया है कि जब भी छात्र अपने अधिकार की लड़ाई लड़ता है तो जेएनयू प्रशासन उसके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाई करके, लाठीचार्ज करवा कर या फिर धमकी भरे सर्कुलर जारी कर उन्हें डराने की कोशिश करता है लेकिन अब जेएनयू का कोई छात्र इस तरह के शिकंजे में आने वाला नहीं. साथ ही कहा कि चाहे उन्हें लाठियां सहनी पड़े या आंसू गैस के गोले खाने पड़े लेकिन अब वह पीछे हटने वाले नहीं है.
वहीं छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून, महासचिव सतीश चंद्र यादव सहित अन्य प्रदर्शनकारी छात्रों ने समिति द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को जला दिया और कहा कि इस समिति को खारिज कर दिया जाए और नई आईएचए समिति का गठन किया जाए जिसमें छात्र संघ के प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया जाए. वहीं साकेत मून ने आरोप लगाया है कि इस उच्चस्तरीय समिति ने शाम तक छात्रों से सुझाव मांगा था जिसमें सभी छात्रों ने यही सुझाव दिया था कि आईएचए का पुनर्गठन किया जाए जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ जेएनयू छात्र संघ के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए लेकिन समिति ने छात्रों द्वारा दिए गए सुझाव को दरकिनार किया और अपना तानाशाही फरमान सुना दिया. उन्होंने कहा कि समिति गठन होने के बाद यदि इस बार चुपचाप समिति का निर्णय मान लिया जाता है तो आगे जब भी फीस बढ़ानी होगी तो जेएनयू प्रशासन बिना छात्रों को कोई जानकारी दिए इसी तरह समिति गठित करके एक दिन में ही अपने मनमाने फैसले ले लिया करेगा.
Conclusion:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को लेकर चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए जेएनयू प्रशासन द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया जिसने छात्रों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर अपना निर्णय जारी कर दिया है. इस निर्णय के अनुसार सर्विस चार्ज में बीपीएल छात्रों को 75 फ़ीसदी और सामान्य वर्ग के छात्रों को 50 फ़ीसदी छूट दी गई है. वहीं प्रदर्शनकारी छात्र इस निर्णय से नाखुश हैं और उन्होंने कहा कि हमें लॉलीपॉप नहीं बल्कि पूरा फीस रोलबैक चाहिए.
Body:समिति द्वारा फीस में छूट दिए जाने के निर्णय को लेकर छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि जेएनयू प्रशासन उनके साथ मोलभाव करने पर तुला हुआ है. पहले मीटिंग करके थोड़ी छूट दी जाती है और दोबारा समिति गठित होती है तो थोड़ी ज्यादा छूट दी जाती है जो कि छात्रों को किसी भी तरह मान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक छात्रों की मांगों को पूरी नहीं किया जाता वह इसी तरह अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. साथ ही कहा कि यह जेएनयू प्रशासन का पुराना रवैया है कि जब भी छात्र अपने अधिकार की लड़ाई लड़ता है तो जेएनयू प्रशासन उसके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाई करके, लाठीचार्ज करवा कर या फिर धमकी भरे सर्कुलर जारी कर उन्हें डराने की कोशिश करता है लेकिन अब जेएनयू का कोई छात्र इस तरह के शिकंजे में आने वाला नहीं. साथ ही कहा कि चाहे उन्हें लाठियां सहनी पड़े या आंसू गैस के गोले खाने पड़े लेकिन अब वह पीछे हटने वाले नहीं है.
वहीं छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून, महासचिव सतीश चंद्र यादव सहित अन्य प्रदर्शनकारी छात्रों ने समिति द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को जला दिया और कहा कि इस समिति को खारिज कर दिया जाए और नई आईएचए समिति का गठन किया जाए जिसमें छात्र संघ के प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया जाए. वहीं साकेत मून ने आरोप लगाया है कि इस उच्चस्तरीय समिति ने शाम तक छात्रों से सुझाव मांगा था जिसमें सभी छात्रों ने यही सुझाव दिया था कि आईएचए का पुनर्गठन किया जाए जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ जेएनयू छात्र संघ के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए लेकिन समिति ने छात्रों द्वारा दिए गए सुझाव को दरकिनार किया और अपना तानाशाही फरमान सुना दिया. उन्होंने कहा कि समिति गठन होने के बाद यदि इस बार चुपचाप समिति का निर्णय मान लिया जाता है तो आगे जब भी फीस बढ़ानी होगी तो जेएनयू प्रशासन बिना छात्रों को कोई जानकारी दिए इसी तरह समिति गठित करके एक दिन में ही अपने मनमाने फैसले ले लिया करेगा.
Conclusion: