لیکن ابھی ریاست سینک بورڈ نے یہاں رہنے والے سینک اہل خانہ خالی کرنے کا نوٹس دیا ہے۔
دہلی کینٹ سے عام آدمی پارٹی کے رکن اسمبلی کمانڈر سریندر سنگھ آج اس معاملے کو اس دہلی اسبملی میں اٹھانا چاہتے تھے، لیکن انہیں اس کی اجازت نہیں دی گئی۔ ای ٹی وی بھارت نے کمانڈر سریندر سنگھ سے اس پورے معاملات پر خاص بات چیت کی۔
دہلی: فوجیوں کو گھر خالی کرنے کا فرمان - دہلی: فوجیوں کو گھر خالی کرنے کا فرمان
سنہ 1962 اور 1965 کی جنگ میں فوت ہونے والے فوجیوں کے لواحقین اور معذور فوجیوں کے اہل خانہ کو 1968 میں دہلی کے نارائنا علاقے میں ایک فلیٹ دیا گیا تھا، جسے اب سینک سدن کے نام سے جانا جاتا ہے۔
سریندر سنگھ ، عام آدمی پارٹی
لیکن ابھی ریاست سینک بورڈ نے یہاں رہنے والے سینک اہل خانہ خالی کرنے کا نوٹس دیا ہے۔
دہلی کینٹ سے عام آدمی پارٹی کے رکن اسمبلی کمانڈر سریندر سنگھ آج اس معاملے کو اس دہلی اسبملی میں اٹھانا چاہتے تھے، لیکن انہیں اس کی اجازت نہیں دی گئی۔ ای ٹی وی بھارت نے کمانڈر سریندر سنگھ سے اس پورے معاملات پر خاص بات چیت کی۔
Intro:1962 और 1965 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों और दिव्यांग सैनिकों के परिवार को 1968 में दिल्ली के नारायणा इलाके में फ्लैट दिया गया था, जिसे अभी सैनिक सदन के नाम से जाना जाता है. लेकिन अभी राज्य सैनिक बोर्ड ने यहां रहने वाले सैनिक परिवारों को घर खाली करने का नोटिस दिया है. दिल्ली कैंट से आम आदमी पार्टी के विधायक कमांडो सुरेंद्र सिंह आज इस मुद्दे को दिल्ली विधानसभा में उठाना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई. ईटीवी भारत ने कमांडो सुरेंद्र सिंह से इस पूरे मुद्दे पर खास बातचीत की.
Body:नई दिल्ली: कमांडो सुरेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 1962 और 1965 की लड़ाई में हमारे जिन वीर सैनिकों ने अपनी शहादत दी और जो दिव्यांग हो गए उनकव घर आज राज्य सैनिक बोर्ड खाली करा रहा है. उन्होंने बताया कि राज्य सैनिक बोर्ड उपराज्यपाल के अंतर्गत आता है. इसे लेकर कमांडो सुरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि जो सरकार वीरों के नाम पर देश भक्ति दिखाती है, राजनीति करती है, वही नारायणा के सैनिक सदन में रहने वाले सैनिक परिवारों को 54 साल बाद उन्हें उनके घर से निकाल रही है.
उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर मैं दिल्ली विधानसभा में सवाल उठाना चाहता था. मैंने चार बार कोशिश की, नियम 56 के तहत स्पीकर साहब को लिखकर भी दिया, लेकिन मुझे इसके लिए समय नहीं मिला. हालांकि उन्होंने कहा कि आप लिख कर दीजिए हम इसे कमेटी को रेफर करेंगे. सुरेंद्र सिंह इस बात से तो दुखी दिखे कि इस मुद्दे पर उन्हें सदन में नहीं बोलने दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे लेकर संतुष्टि जाहिर की कि स्पीकर ने इस मुद्दे को कमेटी को रेफर करने की बात कही है और कमिटी इसे जुड़े तमाम विभागों के लोगों से जवाब लेकर इसकी जांच करेगी.
इस सवाल पर कि क्या विधानसभा में सवाल उठाने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री को इस मुद्दे से अवगत कराया है, कमांडो सुरेंद्र सिंह ने बताया कि वे मुख्यमंत्री को बता चुके हैं और मुख्यमंत्री से इसके लिए सकारात्मक आश्वासन मिला है. उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार है, जो सैनिकों की शहादत पर उन्हें एक करोड़ रुपए देती है, वहीं केंद्र सरकार उन्हें उनके घर से बेघर करने पर आमादा है.
कमांडो सुरेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि मैं इन सैनिक परिवारों के साथ हूं और जब तक इन्हें लिखित में आश्वासन नहीं दिया जाता कि इनका घर खाली नहीं कराया जाएगा, मैं इनकी लड़ाई लड़ता रहूंगा. जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सबके यहां अनशन आंदोलन करेंगे. उन्होंने सवाल उठाया कि आज इनका घर खाली कराया जा रहा है, कल क्या इनके नाम पर जो पेट्रोल पंप दिए गए हैं, वो वापस ले लिए जाएंगे, क्या कारगिल अपार्टमेंट खाली करा दिया जाएगा? क्या यही देश भक्ति है?
गौरतलब है कि इसी तरह का जमीन विवाद से जुड़ा रविदास मंदिर का मुद्दा बीते दिनों सामने आया था. हालांकि उसके साथ धार्मिक आस्था जुड़ी थी और उस मुद्दे पर इसी दिल्ली विधानसभा में इसी सत्र में लंबी चर्चा हुई और वहां दोबारा मंदिर बनाने को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ. इसे लेकर जब हमने कमांडो सुरेंद्र सिंह से सवाल किया कि एक तरफ वो मुद्दा था और एक तरफ आपको इस मुद्दे पर विधानसभा में बोलने तक नहीं दिया गया, तो उनका कहना था कि यह मुद्दा अचानक विधानसभा के अंदर आया. पहले से अगर हमने मुद्दा लगाया रहता, तो हमें इसपर बोलने का टाइम मिल सकता था.
Conclusion:गौरतलब है कि कमांडो सुरेंद्र सिंह खुद सैनिक रहे हैं और वे 26/11 के आतंकी हमले में मुंबई बचाने की लड़ाई लड़ चुके हैं. उसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ा था और दिल्ली कैंट से विधायक चुने गए. कमांडो सुरेंद्र सिंह सैनिकों की आवाज उठाते रहे हैं और इसी क्रम में वे नारायणा सैनिक सदन का मुद्दा विधानसभा में उठाना चाहते थे, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई.
Body:नई दिल्ली: कमांडो सुरेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 1962 और 1965 की लड़ाई में हमारे जिन वीर सैनिकों ने अपनी शहादत दी और जो दिव्यांग हो गए उनकव घर आज राज्य सैनिक बोर्ड खाली करा रहा है. उन्होंने बताया कि राज्य सैनिक बोर्ड उपराज्यपाल के अंतर्गत आता है. इसे लेकर कमांडो सुरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि जो सरकार वीरों के नाम पर देश भक्ति दिखाती है, राजनीति करती है, वही नारायणा के सैनिक सदन में रहने वाले सैनिक परिवारों को 54 साल बाद उन्हें उनके घर से निकाल रही है.
उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर मैं दिल्ली विधानसभा में सवाल उठाना चाहता था. मैंने चार बार कोशिश की, नियम 56 के तहत स्पीकर साहब को लिखकर भी दिया, लेकिन मुझे इसके लिए समय नहीं मिला. हालांकि उन्होंने कहा कि आप लिख कर दीजिए हम इसे कमेटी को रेफर करेंगे. सुरेंद्र सिंह इस बात से तो दुखी दिखे कि इस मुद्दे पर उन्हें सदन में नहीं बोलने दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे लेकर संतुष्टि जाहिर की कि स्पीकर ने इस मुद्दे को कमेटी को रेफर करने की बात कही है और कमिटी इसे जुड़े तमाम विभागों के लोगों से जवाब लेकर इसकी जांच करेगी.
इस सवाल पर कि क्या विधानसभा में सवाल उठाने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री को इस मुद्दे से अवगत कराया है, कमांडो सुरेंद्र सिंह ने बताया कि वे मुख्यमंत्री को बता चुके हैं और मुख्यमंत्री से इसके लिए सकारात्मक आश्वासन मिला है. उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार है, जो सैनिकों की शहादत पर उन्हें एक करोड़ रुपए देती है, वहीं केंद्र सरकार उन्हें उनके घर से बेघर करने पर आमादा है.
कमांडो सुरेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि मैं इन सैनिक परिवारों के साथ हूं और जब तक इन्हें लिखित में आश्वासन नहीं दिया जाता कि इनका घर खाली नहीं कराया जाएगा, मैं इनकी लड़ाई लड़ता रहूंगा. जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सबके यहां अनशन आंदोलन करेंगे. उन्होंने सवाल उठाया कि आज इनका घर खाली कराया जा रहा है, कल क्या इनके नाम पर जो पेट्रोल पंप दिए गए हैं, वो वापस ले लिए जाएंगे, क्या कारगिल अपार्टमेंट खाली करा दिया जाएगा? क्या यही देश भक्ति है?
गौरतलब है कि इसी तरह का जमीन विवाद से जुड़ा रविदास मंदिर का मुद्दा बीते दिनों सामने आया था. हालांकि उसके साथ धार्मिक आस्था जुड़ी थी और उस मुद्दे पर इसी दिल्ली विधानसभा में इसी सत्र में लंबी चर्चा हुई और वहां दोबारा मंदिर बनाने को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ. इसे लेकर जब हमने कमांडो सुरेंद्र सिंह से सवाल किया कि एक तरफ वो मुद्दा था और एक तरफ आपको इस मुद्दे पर विधानसभा में बोलने तक नहीं दिया गया, तो उनका कहना था कि यह मुद्दा अचानक विधानसभा के अंदर आया. पहले से अगर हमने मुद्दा लगाया रहता, तो हमें इसपर बोलने का टाइम मिल सकता था.
Conclusion:गौरतलब है कि कमांडो सुरेंद्र सिंह खुद सैनिक रहे हैं और वे 26/11 के आतंकी हमले में मुंबई बचाने की लड़ाई लड़ चुके हैं. उसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ा था और दिल्ली कैंट से विधायक चुने गए. कमांडो सुरेंद्र सिंह सैनिकों की आवाज उठाते रहे हैं और इसी क्रम में वे नारायणा सैनिक सदन का मुद्दा विधानसभा में उठाना चाहते थे, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई.
Last Updated : Sep 28, 2019, 10:36 AM IST