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آئے تھے چھاپہ مارنے بن گئے کسان کے مرید

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Published : Aug 30, 2019, 3:01 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 8:54 PM IST

چھتیس گڑھ کے کونڈہ گاؤں کا نام گونجتے ہی دلوں میں نکسلیوں کا خوف جھلکنے لگتا ہے، لیکن ایک کسان نے ان خوفناک تصاویر کے درمیان لہلہاتی فصل کھڑی کی ہے۔

آئے تھے چھاپہ مارنے بن گئے کسان کے مرید

ریاست چھتیس گڑھ کے کونڈہ گاؤں کے راجہ رام ترپاٹھی کے ایک ایکڑ کی زمین پر فصل سے لاکھوں روپے کمانے کی اطلاع پر محکمہ انکم ٹیکس کے افسران نے کسان کے گھر پرپہنچے۔

آئے تھے چھاپہ مارنے بن گئے کسان کے مرید

اس فصل سے کسان لاکھوں روپے کما رہے ہیں۔ جن کی تصاور انٹرنیٹ کی مدد سے چھتیس گڑھ کی گلیوں کو پار کرتے ہوئے دہلی کے محکمہ انکم ٹیکس تک پہنچ گئی۔

محکمہ انکم ٹیکس کے افسران کسان گھر پر پہنچے۔ انکم ٹیکس کے افسران کسان کے کھیت میں جیسے ہی جانچ کرنے پہنچے وہاں پیڑ پر لگی کالی مرچ کی ٹہنیوں کو دیکھ کر حیران رہ گئے۔درختوں پر سفید مولی، اسٹیویا اور کالی مرچ کی ٹہنیاں لہلہارہی تھی۔

افسران بجائےچھاپے ماری کے کسان کی تعریف کرتے ہوئے بیرنگ لوٹ گئی۔

افسران نے کسان کی تعریف کرتے ہوئے کہا کہ اس کھیتی سے چھتیس گڑھ کے لوگوں کو جوڑنے کی ضرورت ہے۔ جس سے کسانوں کا بھلا ہوسکے۔

واضح رہے کہ راجہ رام ترپاٹھی نے بینک کی نوکری کو چھوڑ کر کھیتی کاکام کرنے کا فیصلہ کیا۔جو اب کالی مرچ اور اسٹیویا کی کھیتی بڑے پیمانے کررہے ہیں۔

راجہ رام دنتیشوری ہربل فارم سنستھا کے صدر بھی ہیں۔اس سنستھا کے ذریعے آس پاس کے کئی پسماندہ خاندان منسلک ہیں۔

ریاست چھتیس گڑھ کے کونڈہ گاؤں کے راجہ رام ترپاٹھی کے ایک ایکڑ کی زمین پر فصل سے لاکھوں روپے کمانے کی اطلاع پر محکمہ انکم ٹیکس کے افسران نے کسان کے گھر پرپہنچے۔

آئے تھے چھاپہ مارنے بن گئے کسان کے مرید

اس فصل سے کسان لاکھوں روپے کما رہے ہیں۔ جن کی تصاور انٹرنیٹ کی مدد سے چھتیس گڑھ کی گلیوں کو پار کرتے ہوئے دہلی کے محکمہ انکم ٹیکس تک پہنچ گئی۔

محکمہ انکم ٹیکس کے افسران کسان گھر پر پہنچے۔ انکم ٹیکس کے افسران کسان کے کھیت میں جیسے ہی جانچ کرنے پہنچے وہاں پیڑ پر لگی کالی مرچ کی ٹہنیوں کو دیکھ کر حیران رہ گئے۔درختوں پر سفید مولی، اسٹیویا اور کالی مرچ کی ٹہنیاں لہلہارہی تھی۔

افسران بجائےچھاپے ماری کے کسان کی تعریف کرتے ہوئے بیرنگ لوٹ گئی۔

افسران نے کسان کی تعریف کرتے ہوئے کہا کہ اس کھیتی سے چھتیس گڑھ کے لوگوں کو جوڑنے کی ضرورت ہے۔ جس سے کسانوں کا بھلا ہوسکے۔

واضح رہے کہ راجہ رام ترپاٹھی نے بینک کی نوکری کو چھوڑ کر کھیتی کاکام کرنے کا فیصلہ کیا۔جو اب کالی مرچ اور اسٹیویا کی کھیتی بڑے پیمانے کررہے ہیں۔

راجہ رام دنتیشوری ہربل فارم سنستھا کے صدر بھی ہیں۔اس سنستھا کے ذریعے آس پاس کے کئی پسماندہ خاندان منسلک ہیں۔

Intro:कोंडागांव. डॉ राजाराम त्रिपाठी बस्तर के इस किसान की कामयाबी से जुड़ी कई खबरें मीडिया में छपती रहती हैं. त्रिपाठी ने अपनी मेहनत और विवेक से कृषि से लाभ लेने का नया किर्तीमान गढ़ दिया है. वे कोंडागाव और असपास के अपने फार्म से सफेद मुसली, काली मिर्च और स्टिविया की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. इंटरनेट के इस जमाने में उनकी सफलता की कहनी छत्तीसगढ़ की सीमाओं को पार करते हुए दिल्ली तक भी पहुंची और वहां आयकर विभाग को इसकी भनक लगी. जिस तरह से खबरों में बताया जा रहा कि एक किसान कैसे प्रति एकड़ लाखों कमा रहा है. जबकि देश के ज्यादातर इलाकों में किसान घाटे में या कम मुनाफा लेकर संघर्ष कर रहे हैं. आखिर बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित इलाके में कैसे इतना बड़ा चमत्कार संभव हो पाया है इसके अध्यन के लिए आयकर विभाग के प्रिंसिपल डीजी के सी घुमारिया ने कोंडागांव आने का फैसला किया. Body:डॉ राजाराम त्रिपाठी को जब आयकर विभाग के सबसे बड़े अधिकारियों में से एक के उनकी खेती देखने दिल्ली से आने की खबर लगी तो वे भी हैरान रह गए… उन्होंने डीजी और उनके साथ आए अधिकारियों को अपनी खेती के बारे में जानकारी दी और उनसे आग्रह किया कि खेत पर ही चलकर
खुद उनके काम और मुनाफे का आकलन करने का आग्रह किया… अधिकारियों की टीम जब उनके फार्म में पहुंची और लगे आस्ट्रेलियन टिक के पेड़ों पर लगी काली मिर्च की लताओं को देखकर दंग रह गई… अधिकारियों ने पाया कि करीब 70 फीट उंचे इन पेड़ों पर किस तरह काली मिर्च की लताएं 60 से 70 फीट तक लगी हुईं हैं साथ ही नीचे हल्दी की फसल भी है । वे इससे मिलने वाले मुनाफे का आंकलन कर खुश हो गए… जब उन्हें पता चला कि ये खेती पूरी तरह से हर्बल है… यहां किसी तरह के रासायनिक प्रेस्टिसाइज का इस्तेमाल नहीं होता ये जानकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । आयकर विभाग के प्रमुख महा निदेशक के सी घुमारिया ने डॉ त्रिपाठी से इस मॉडल से ज्यादा से ज्यादा अदिवासियों को जोड़ने की बात कही साथ ही खुद भी रिटायरमेंट के बाद इसी मॉडल पर खेती करने की इच्छा भी जताई ।
Conclusion:कौन हैं राजाराम त्रिपाठी
डॉ. राजाराम त्रिपाठी कोंडागांव के निवासी हैं. वे बैंक की नौकरी को छोड़ खेती में पसीना बहाने का फैसला किया, वे सफेद मुसली के उत्पादन के लिए चर्चे में रहे हैं. अब वे काली मिर्च और स्टिविया की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं साथ ही मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म नामक संस्था के प्रमुख हैं इस संस्था के माध्यम से आसपास के कई आदिवासी परिवार भी जुड़े हुए हैं और वे भी इस उन्नत विधि को सीखकर इस तरह की खेती कर रहे हैं। ईटीवी भारत ने पहले भी इस संस्था और बस्तर में काली मिर्च की खेती पर खबर प्रकाशित की थी।

बाइट – डॉ राजाराम त्रिपाठी, प्रमुख, मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म
Last Updated : Sep 28, 2019, 8:54 PM IST
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