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پلاسٹک سے پیٹرول - ڈیزل تیار کرنے کا منفرد نسخہ

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Published : Jan 28, 2020, 8:51 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 7:59 AM IST

ایک کلوگرام پلاسٹک سے 800 گرام پیٹرول اور ایل پی جی تیار کرنے والے بارہویں جماعت کے ونیت اور ساتھیوں پر پیش ہے خصوصی رپورٹ:

پلاسٹک سے پٹرول اور ڈیزل تیار کرتا ہے: بہار کا لال
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ریاست بہار کے ضلع اورنگ آباد کے تھانہ جمہور کے دیوہرا گاؤں کا رہنے والے بارہویں جماعت کے طالب علم ونیت کمار نے پلاسٹک کے باقیات سے پیٹرول بنانے کا طریقہ ایجاد کیا ہے۔

ونیت نے نہ صرف یہ تجربہ ای ٹی وی بھارت کے کیمرے کے سامنے دکھایا بلکہ پورے طریقہ کار کے مطابق پیٹرول بھی بنایا۔

ونیت شہر کے سچیدانند سنہا کالج کا طالب علم ہے، جو پیٹرول اور ایل پی جی کو سنگل استعمال پلاسٹک کو دوبارہ استعمال کے قابل بناتا ہے، وہ ایک کلوگرام پلاسٹک سے 800 گرام پیٹرول اور ایل پی جی تیار کرتا ہے اور بقیہ بچے باقیات سے ٹائلز تیار کرتا ہے ۔

پلاسٹک سے پٹرول اور ڈیزل تیار کرتا ہے: بہار کا لال۔ویڈیو

اس کام کا سہرا ونیت اپنے والد دھنیش پرجاپتی اور دوست ابھیشیک کمار کو دیتے ہیں، پیشے سے ونیت کے والد گیس چولہے کی مرمت کا کام کرتے ہیں۔

غریب خاندان سے تعلق رکھنے والے اس طالب علم کو اس کام کے لیے کئی پریشانیوں کا سامنا کرنا پڑا، پھر بھی ان دونوں نے کبھی ہمت نہیں ہاری اور مستقل تجربہ کرتے رہے۔

ونیت نے اپنا تجربہ حیددرآباد بین الاقوامی میلے میں دنیا کے 30 ممالک کے نمائندوں کے سامنے دکھایا تھا، جس کے بعد چین، پولینڈ، پرتگال اور برازیل جیسے 4 ممالک نے ونیت کو تحقیق کرنے کی دعوت دی ہے۔

ونیت نے ای ٹی وی بھارت کو بتایا کہ انہیں ہر جگہ سے عزت مل رہی ہے۔ لیکن یہ بات افسوسناک ہے کہ ابھی تک ضلعی انتظامیہ کی طرف سے کوئی تعاون نہیں ملا ہے۔

ونیت اور ابھیشیک نے کہا کہ باقیات سے فائر پروف ٹائلس اور اینٹوں کو بنایا جاسکتا ہے۔ یہ کسی بھی علاقے میں آگ سے بچنے کے لئے استعمال کیا جاسکتا ہے۔

ونییت کے اس تجربے سے ہر کوئی حیران ہے مقامی لوگوں کا کہنا ہے کہ یہ لڑکا مستقبل میں بہت کچھ کرے گا، اس وقت ونیت جیسے کم عمر سائنسدان کو آگے بڑھانے کی ضرورت ہے۔


ریاست بہار کے ضلع اورنگ آباد کے تھانہ جمہور کے دیوہرا گاؤں کا رہنے والے بارہویں جماعت کے طالب علم ونیت کمار نے پلاسٹک کے باقیات سے پیٹرول بنانے کا طریقہ ایجاد کیا ہے۔

ونیت نے نہ صرف یہ تجربہ ای ٹی وی بھارت کے کیمرے کے سامنے دکھایا بلکہ پورے طریقہ کار کے مطابق پیٹرول بھی بنایا۔

ونیت شہر کے سچیدانند سنہا کالج کا طالب علم ہے، جو پیٹرول اور ایل پی جی کو سنگل استعمال پلاسٹک کو دوبارہ استعمال کے قابل بناتا ہے، وہ ایک کلوگرام پلاسٹک سے 800 گرام پیٹرول اور ایل پی جی تیار کرتا ہے اور بقیہ بچے باقیات سے ٹائلز تیار کرتا ہے ۔

پلاسٹک سے پٹرول اور ڈیزل تیار کرتا ہے: بہار کا لال۔ویڈیو

اس کام کا سہرا ونیت اپنے والد دھنیش پرجاپتی اور دوست ابھیشیک کمار کو دیتے ہیں، پیشے سے ونیت کے والد گیس چولہے کی مرمت کا کام کرتے ہیں۔

غریب خاندان سے تعلق رکھنے والے اس طالب علم کو اس کام کے لیے کئی پریشانیوں کا سامنا کرنا پڑا، پھر بھی ان دونوں نے کبھی ہمت نہیں ہاری اور مستقل تجربہ کرتے رہے۔

ونیت نے اپنا تجربہ حیددرآباد بین الاقوامی میلے میں دنیا کے 30 ممالک کے نمائندوں کے سامنے دکھایا تھا، جس کے بعد چین، پولینڈ، پرتگال اور برازیل جیسے 4 ممالک نے ونیت کو تحقیق کرنے کی دعوت دی ہے۔

ونیت نے ای ٹی وی بھارت کو بتایا کہ انہیں ہر جگہ سے عزت مل رہی ہے۔ لیکن یہ بات افسوسناک ہے کہ ابھی تک ضلعی انتظامیہ کی طرف سے کوئی تعاون نہیں ملا ہے۔

ونیت اور ابھیشیک نے کہا کہ باقیات سے فائر پروف ٹائلس اور اینٹوں کو بنایا جاسکتا ہے۔ یہ کسی بھی علاقے میں آگ سے بچنے کے لئے استعمال کیا جاسکتا ہے۔

ونییت کے اس تجربے سے ہر کوئی حیران ہے مقامی لوگوں کا کہنا ہے کہ یہ لڑکا مستقبل میں بہت کچھ کرے گا، اس وقت ونیت جیسے کم عمر سائنسدان کو آگے بڑھانے کی ضرورت ہے۔

Intro:संक्षिप्त- औरंगाबाद जिले के देवहरा गांव का विनीत जो 12वीं का छात्र है, प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल और एलपीजी गैस बनाता है।

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औरंगाबाद- जिस उम्र में बच्चे अन्य काम करते हैं 12वीं कक्षा में पढ़ने वाला विनीत लगातार नए प्रयोगों में लगा रहता है। इन्हीं प्रयोगों का देन है कि विनीत आज सिंगल यूज़ प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इज़ाद किया है । वह एक किलो सिंगल यूज़ प्लास्टिक कचरे से 800 ग्राम तक पेट्रोल बनाता है। यही नहीं बचे हुए अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स का निर्माण करता है।


Body:कहा जाता है कि ज्ञान अमीरी गरीबी देख कर नहीं आती और ऐसा अक्सर होता है कि गुदड़ी में ही लाल मिलता है। औरंगाबाद जिले के जम्होर थाने के देवहरा गांव का रहने वाला 12वीं का छात्र विनीत कुमार जो कि शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज का छात्र है, प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इजाद किया है। वह एक किलो सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे से है 800 ग्राम तक पेट्रोल निकलता है । यही नहीं उससे एलपीजी और अन्य पेट्रोलियम उत्पादन भी करता है। विनीत ना सिर्फ इस प्रयोग को करके दिखाया बल्कि उसने हमारे कैमरे के सामने पूरी विधि के अनुसार पेट्रोल बनाकर बताया भी। उसने पूरी विधि को समझाया कि कैसे वह इन प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल निकाल सकता है ।
विनीत इस काम के लिए अपने पिता धनेश प्रजापति और दोस्त अभिषेक कुमार को श्रेय देते हैं।
विनीत के पिता धनेश प्रजापति गैस चूल्हा मरम्मत का काम करते हैं, तो माता सुनीता देवी गृहिणी है। इस काम में सहयोग करने वाले अभिषेक कुमार के पिता अशोक चौधरी किराने की दुकान चलाते हैं तो अभिषेक की माता मंजू देवी आशा कार्यकर्ता है ।

इतनी कम आमदनी और गरीब परिवार से आने के बावजूद छात्रों ने कभी हार नहीं मानी और लगातार प्रयोग करते रहे। विनीत इंटरनेशनल इनोवेटिव फेयर में दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधियों के सामने हैदराबाद में यह प्रयोग दिखाया है। जहां उसे चीन, पोलैंड, पुर्तगाल, ब्राजील जैसे 4 देशों से रिसर्च करने के लिए निमंत्रण भी मिला है । विनीत बताते हैं कि उन्हें हर जगह से मान सम्मान मिल रहा है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अभी तक किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिला है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक कचरे के इस तरह निस्तारण विधि को लेकर विनीत के मन में प्लान है कि वह एक गाड़ी बनाए । जिसमें उसके द्वारा बनाए गए मशीन लगे हों। लोग उस मशीन में एक तरफ प्लास्टिक डालें तो दूसरी तरफ से बाहर उन्हें पेट्रोल मिले । इस वाहन को बनाने के लिए विनीत जिला प्रशासन से फंड की उम्मीद करता है।। विनीत चाहता है कि उसके इस आविष्कार के लिए सरकार फंड दे।

सात प्रक्रियाओं के बाद बनता है पेट्रोल

सिंगल यूज प्लास्टिक से सात चरण में पेट्रोल बनता है। सबसे पहले प्लास्टिक को जमा कर उसे उच्च तापमान पर रसायन की मदद से गलाया जाता है। जहां प्लास्टिक गलता है वहां ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर होती है। प्लास्टिक गलने के बाद गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है। फिर मशीन के अंदर गैस के साथ केटेलाईडिक रिडक्शन की प्रक्रिया होती है। उत्प्रेरक के साथ गैस को रिएक्ट कराकर हाई नाइट्रोजन से पास किया जाता है। जिसके बाद लिक्विड में बदल जाता है । इसके बाद ये इथिन बन जाता है , जिससे पेट्रोल व डीजल तैयार हो जाता है। जो गैस पेट्रोल नहीं बन पाता है उसे एलपीजी के रूप में प्राप्त किया जाता है ।

बचे हुए अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईट का होता है निर्माण

विनीत और अभिषेक ने बताया कि बचे हुए अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईट का निर्माण हो सकता है। जिसे हाई सेंसेटिव एरिया में आग से बचने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।



Conclusion:
विनीत के इस प्रयोग से हर कोई चकित है और सब के ज़ुबान से एक ही आवाज निकल रही है कि यह लड़का आगे चलकर बहुत कुछ करेगा। फिलहाल विनीत जैसे बाल वैज्ञानिक को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

विसुअल-
रेडी टू अपलोड
बाइट- विनीत कुमार, बाल वैज्ञानिक
बाइट- धनेश प्रजापति, विनीत के पिताजी
Last Updated : Feb 28, 2020, 7:59 AM IST
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