نئی دہلی: کانگریس نے بدھ کو کہا کہ وزیر اعظم نریندر مودی کے حالیہ دورہ امریکہ پر جھوٹ کی چمک جیسے ہی ہٹی تو امریکہ سے پرانے ڈرون کی خریداری کا پردہ اٹھ گیا اور حقیقت سامنے آگئی، اس لیے مودی حکومت کو اب اس سودے میں شفافیت کے حوالے سے جواب دینا چاہیے۔'
کانگریس کے ترجمان پون کھیڑا نے یہاں پارٹی ہیڈکوارٹر میں ایک پریس کانفرنس میں حکومت سے سوال کیا کہ جو ٹیکنالوجی پرانی ہو چکی ہے اور امریکہ خود جدید ٹیکنالوجی کے ڈرون تیار کر رہا ہے، تو پھر پرانے یعنی پریڈیٹر ڈرون کو جدید بتاکر خریدنے کی کیا وجہ ہے۔ انہوں نے اس سودے کے حوالے سے حکومت سے سوال بھی کیا کہ وزیر اعظم پریڈیٹر ڈرون کیوں خرید رہے ہیں۔ جنہیں دوسرے ممالک چار گنا کم قیمت پر 880 کروڑ روپے فی ڈرون خرید رہے ہیں۔ اس سے پہلے جب ڈی آر ڈی او کو ملک میں 'رستم' اور 'گھاتک' ڈرون بنانے کے لیے 1786 کروڑ روپے دیے گئے تھے تو پھر امریکہ کو تقریباً اسی طرح کی مار کے سطح کے 31 ڈرون خریدنے کے لیے 25 ہزار کروڑ دینے کی کیا ضرورت تھی؟
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PM मोदी के महंगे शौक देश को महंगे पड़ रहे हैं।
— Congress (@INCIndia) June 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
जो प्रीडेटर ड्रोन दूसरे देश 4 गुना कम कीमत पर खरीदते हैं, उन्हें PM मोदी 880 करोड़ रुपए प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीद रहे हैं।
यानि हम 25 हजार करोड़ रुपए के 31 ड्रोन खरीद रहे हैं।
: @Pawankhera जी pic.twitter.com/yDkVwkVRNn
">PM मोदी के महंगे शौक देश को महंगे पड़ रहे हैं।
— Congress (@INCIndia) June 28, 2023
जो प्रीडेटर ड्रोन दूसरे देश 4 गुना कम कीमत पर खरीदते हैं, उन्हें PM मोदी 880 करोड़ रुपए प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीद रहे हैं।
यानि हम 25 हजार करोड़ रुपए के 31 ड्रोन खरीद रहे हैं।
: @Pawankhera जी pic.twitter.com/yDkVwkVRNnPM मोदी के महंगे शौक देश को महंगे पड़ रहे हैं।
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जो प्रीडेटर ड्रोन दूसरे देश 4 गुना कम कीमत पर खरीदते हैं, उन्हें PM मोदी 880 करोड़ रुपए प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीद रहे हैं।
यानि हम 25 हजार करोड़ रुपए के 31 ड्रोन खरीद रहे हैं।
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انہوں نے اس سودے میں قواعد کی خلاف ورزی کا بھی الزام لگایا اور کہا کہ اس مہنگے معاہدے کو کابینہ کمیٹی برائے دفاعی امور کی میٹنگ کے بغیر کیسے منظوری دی گئی۔ انہوں نے یہ سوال بھی کیا کہ کیا وزیر اعظم کو اس بات کا علم نہیں تھا کہ جو سودا وہ مہنگے داموں میں خرید رہے ہیں وہ بہت سے دوسرے ممالک نے اس سے بہت کم قیمت پر خریدا ہے۔ انہوں نے کہا کہ امریکہ کے یہ ڈرون آوٹ ڈیٹڈ ٹکنالوجی والے ہیں اور ٹرانسفر آف ٹیکنالوجی کے بغیر بھارت کو ملیں گے ۔اس کا مطلب ہے کہ آپ کباڑ بھی سستے کے بجائے مہنگی قیمت پر خرید رہے ہیں۔ آخر وہ دروناچاریہ کون ہیں جو پرانے ڈرون مہنگے داموں پر خریدوا رہے ہیں۔
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आपने पहले 'रुस्तम' और 'घातक' ड्रोन डेवलपमेंट के लिए DRDO को 1786 करोड़ रुपए दिए, फिर अमेरिका को भी 25 हजार करोड़ दे आए।
— Congress (@INCIndia) June 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
जबकि अमेरिका के ये ड्रोन आउटडेटेड टेक्नोलॉजी वाले हैं और बिना ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलेंगे।
यानी आप कबाड़ भी सस्ते के बजाए महंगे दाम पर खरीद रहे हैं।… pic.twitter.com/mbYicVsMDi
">आपने पहले 'रुस्तम' और 'घातक' ड्रोन डेवलपमेंट के लिए DRDO को 1786 करोड़ रुपए दिए, फिर अमेरिका को भी 25 हजार करोड़ दे आए।
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जबकि अमेरिका के ये ड्रोन आउटडेटेड टेक्नोलॉजी वाले हैं और बिना ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलेंगे।
यानी आप कबाड़ भी सस्ते के बजाए महंगे दाम पर खरीद रहे हैं।… pic.twitter.com/mbYicVsMDiआपने पहले 'रुस्तम' और 'घातक' ड्रोन डेवलपमेंट के लिए DRDO को 1786 करोड़ रुपए दिए, फिर अमेरिका को भी 25 हजार करोड़ दे आए।
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जबकि अमेरिका के ये ड्रोन आउटडेटेड टेक्नोलॉजी वाले हैं और बिना ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलेंगे।
यानी आप कबाड़ भी सस्ते के बजाए महंगे दाम पर खरीद रहे हैं।… pic.twitter.com/mbYicVsMDi
کھیڑ ا نے سوال کیا کہ ڈرون ڈیل کو منظوری دینے کے لیے کابینہ کمیٹی برائے دفاع کا اجلاس کیوں نہیں ہوا؟ ڈرون کی قیمت دیگر ممالک کے مقابلے کیوں زیادہ ہے؟ جب فضائیہ کو ان ڈرونز کی آسمان چھوتی قیمتوں پر اعتراض تھا تو ڈیل میں جلد بازی کیوں ہوئی؟ اور فضائیہ کے 18 ڈرونز کی ڈیمانڈ کے بجائے 31 ڈرون کا سودا کیوں کیا؟میک ان انڈیا اور دفاعی شعبے میں خود کفیل بھار کا کیا ہوا۔
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یو این آئی