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टोळधाडीमुळे 300 गावांतील शेतींचे नुकसान, लाखो हेक्टरवरील पिके नष्ट

राजस्थानच्या जालोर जिल्ह्यामध्ये टोळधाडीमुळे लाखो हेक्टर शेतीतील पिकांचे नुकसान झाले आहे

पिकांचे नुकसान करताना नागतोडे
पिकांचे नुकसान करताना नागतोडे
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Published : Jan 2, 2020, 2:13 PM IST

Updated : Jan 2, 2020, 3:07 PM IST

जयपूर - राजस्थानच्या जालोर जिल्ह्यामध्ये टोळधाडीमुळे लाखो हेक्टर शेतीतील पिकांचे नुकसान झाले आहे. प्रशासनाने याकडे लक्ष देणे टाळल्याने शेतकऱ्यांचे मोठे नुकसान झाले आहे.

टोळधाडीमुळे 300 गावांतील शेतींचे नुकसान


डिसेंबर महिन्यापासून जिल्ह्यात टोळधाडीने थैमान घातले आहे. आतापर्यंत 300 हून अधिक गावांतील लाखो हेक्टरवरील पिकांचे नुकसान टोळधाडीतील या नाकतोड्यांमुळे झाला आहे. येथील पाच विधानसभा क्षेत्रातील 300 हून अधिक गावांतील शेतकऱ्यांचे नुकसान झाले आहे. त्यामध्ये सांचौर आणि चितलवानामध्ये सर्वाधिक पिकांचे नुकसान झाले आहेत.


प्रशासनाचे बचावकार्य अयशस्वी, शेतकऱ्यांचे मोठे नुकसान
टोळधाडीपासून पिकांचे बचाव व्हावे, यासाठी प्रशासनाने बचावकार्य सुरू केले होते. पण, तेही अयशस्वी झाल्याने यामुळे पिकांच्या नुकसानीचे प्रमाण वाढले आहे. त्यामुळे शेतकऱ्यांचे मोठे नुकसान होत आहेत.

हेही वाचा - सरसेनाध्यक्षांना पारंपरिक व्यवस्थेत काम करण्यासाठी सहकार्याची गरज

जयपूर - राजस्थानच्या जालोर जिल्ह्यामध्ये टोळधाडीमुळे लाखो हेक्टर शेतीतील पिकांचे नुकसान झाले आहे. प्रशासनाने याकडे लक्ष देणे टाळल्याने शेतकऱ्यांचे मोठे नुकसान झाले आहे.

टोळधाडीमुळे 300 गावांतील शेतींचे नुकसान


डिसेंबर महिन्यापासून जिल्ह्यात टोळधाडीने थैमान घातले आहे. आतापर्यंत 300 हून अधिक गावांतील लाखो हेक्टरवरील पिकांचे नुकसान टोळधाडीतील या नाकतोड्यांमुळे झाला आहे. येथील पाच विधानसभा क्षेत्रातील 300 हून अधिक गावांतील शेतकऱ्यांचे नुकसान झाले आहे. त्यामध्ये सांचौर आणि चितलवानामध्ये सर्वाधिक पिकांचे नुकसान झाले आहेत.


प्रशासनाचे बचावकार्य अयशस्वी, शेतकऱ्यांचे मोठे नुकसान
टोळधाडीपासून पिकांचे बचाव व्हावे, यासाठी प्रशासनाने बचावकार्य सुरू केले होते. पण, तेही अयशस्वी झाल्याने यामुळे पिकांच्या नुकसानीचे प्रमाण वाढले आहे. त्यामुळे शेतकऱ्यांचे मोठे नुकसान होत आहेत.

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Intro: जिलेभर में टिड्डियों के हमले से 300 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसके चलते लाखों हेक्टर फसलें पूरी तरह तबाह हो गई है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन किसानों की मदद करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।Body:भीनमाल. दिसंबर माह में जिले में टीडी के हमले ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। अब तक जिले में करीब 300 से अधिक गांवों में लाखों हेक्टर फसल टिड्डी दल चट कर चुका है। दो बार नेहड़ क्षेत्र में बाड़मेर सीमा से टिड्डी दल ने हमला किया उसके बाद गुजरात की तरफ चला गया इसी बीच 24 दिसंबर को टिड्डी ने फिर से गुजरात की सीमा से सांचौर क्षेत्र में प्रवेश किया। इसके बाद यह पिछले 9 दिनों से अलग-अलग समूह में होते हुए जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र में करीब 300 से अधिक गांवों को अब तक नुकसान पहुंचा चुका है। सबसे ज्यादा सांचौर व चितलवाना के क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। सांचौर उपखंड क्षेत्र के 98 व चितलवाना उपखंड के 72 गांव चपेट में आये है।
इसके बाद रानीवाड़ा, भीनमाल, सायला क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया है अभी भी क्षेत्र में टिड्डी का खतरा किसानों के खेतों में मंडरा रहा है।

प्रशासन के बचाव अभियान असफल, किसान हुए बर्बाद :

टिड्डी दल खत्म करने को लेकर प्रशासन ने किसानों से सहयोग लेकर अभियान चलाया। अभियान पूरी तरह असफल रहे है, जानकारी अनुसार टिड्डियों की तादाद ज्यादा होने प्रशासन किसानो की कोई मदद नहीं कर पा रहा है। जिसके चलते किसानों की फसल चौपट हो गई है। जिससे किसान काफी खफ़ा है।

किसान बोले हम मरने को मजबूर हमारा सब कुछ तबाह हो गया :

जहां पूरा देश नए वर्ष के जश्न में डूबा था वही राजस्थान के जालौर जिले के किसान टिड्डी दल के हमले के सदमे से बाहर नहीं आए थे और लगातार उन पर हमले का खतरा भी मंडरा रहा था जहां किसान देर रात तक अपने खेतों में टिड्डियों से बचने के लिए डेरा जमाए बैठे थे, वही देशभर में लोग नए वर्ष का जश्न मना रहे थे जिले भर में किसान करीब 10 दिनों से अपने परिजनों के साथ रात भर अपने खेतों की रक्षा करते हैं प्रशासन टिड्डी दल के हमले से नाकाम साबित हो रहे हैं, जिसके चलते लोग खासा परेशान है। सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने के चलते किसानों की फसलें तबाह हो गई।

टिड्डियों से बचने के लिये किसान अपने स्तर पर कर रहे है जतन :

जिले भर में किसान टिड्डियों के हमले से खफा है वहीं प्रशासन के प्रयास भी पूरी तरह असफल दिखाई दे रहे हैं। जिसके तहत किसान अपने स्तर पर कई जतन करते दिखाई दे रहे हैं। किसान टिड्डियों से बचने के लिए ढोल और थाली बजाकर टिड्डियों को भगाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं खेतों में टायर जलाकर धुआ कर फसलों को बचाया जा रहा है। इसी तरह किसान टिड्डियों से बचने के लिए अपने स्तर पर कई तरह के जतन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि टिड्डियों के भगाने के लिए हमारे घर में जो भी बर्तन होते हैं वह भी टूट गए हैं जितनी मात्रा में बर्तन होते हैं वह टिड्डियों के आने पर सभी परिवार के लोग लेकर बजाना शुरू हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि इसके अलावा कर भी क्या सकते हैं अगर इस तरह नहीं किया जाए तो टीडी हमारी फसल चौपट कर देती है। इसके लिए हमारी ओर से इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।Conclusion:बाईट 1 - अमराराम, किसान

बाईट 2 - भीम सिंह, किसान

बाईट 3 - रामाराम, किसान

Last Updated : Jan 2, 2020, 3:07 PM IST
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