देवभूमि में पारंपरिक वाद्य यंत्र के बिना अधूरे लगते हैं मांगलिक कार्य, कलाकारों को सता रही रोजी-रोटी की चिंता

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पहाड़ की संस्कृति ओर विरासत अपने आप में अनूठी है. जिसे देश ही नहीं विदेशी लोग देखने के लिए लालायित रहते हैं. वहीं  पहाड़ की शादियों में पारंपरिक छलिया नृत्य की धूम किसी से छुपी नहीं है. किसी भी अवसर पर स्थानीय वाद्य यंत्रों की थाप पर लोग थिरकते देखे जा सकते हैं. वहीं अब इस पारंपरिक वाद्य यंत्र पर आधुनिकता की मार पड़ रही है. जिससे वाद्य यंत्र बजाने वालों से लेकर छलिया नृत्य करने वाले कलाकारों को अब रोजी-रोटी की चिंता सता रही है.
Last Updated : May 18, 2019, 3:10 PM IST

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