इस मंदिर के शिवलिंग में प्रकृति करती है बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक, भीष्म की भी रही है तपोस्थली

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रूद्रप्रयाग: उत्तराखंड के केदारघाटी में ऐसे कई ऐतिहासिक मठ-मंदिर हैं, जिनसे कई लोग अनभिज्ञ हैं. जिनका उल्लेख पुराणों में मिलता है. ऐसा ही शिवधाम रुद्रप्रयाग से 40 किमी दूर बसुकेदार नामक स्थान पर भगवान बसुकेदार का मंदिर का है. जिसका निर्माण 1600 वर्ष पूर्व शंकराचार्य ने किया था. इस मंदिर का महत्व केदारखंड में भी बताया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भीष्म पितामाह ने भी इस स्थान पर तपस्या की थी. जिससे इस स्थान का महत्व बढ़ जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति के लिए जब पांडव स्वर्गारोहिणी जा रहे थे तब उस समय पांडवों ने भगवान की तपस्या की, लेकिन भगवान भोले पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे और यहीं से होकर भगवान शिव केदारनाथ गये थे. भगवान शंकर ने एक रात्रि इस स्थान पर विश्राम किया, जिससे यहां का नाम बसुकेदार रखा गया. बसुकेदार में भगवान शिव की महिमा देखने को मिलती है. शंकराचार्य ने इस स्थान पर केदारनाथ की ही तरह मंदिर निर्माण किया है. बसुकेदार मंदिर 40 ग्राम सभाओं की आस्था का केन्द्र है और सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

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