इस शिवधाम में इंसान ही नहीं खूंखार जानवर भी लगाने आते हैं हाजिरी, ये है पौराणिक महत्व

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Published : Aug 12, 2019, 3:33 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 4:21 PM IST

कालाढूंगी: देवभूमि उत्तराखंड अतीत से ही ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है. जहां उन्होंने अपने तपोबल से आध्यात्म को आत्मसात किया है. महात्माओं की एक ऐसी ही तपोभूमि कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित है. जहां देवों के देव महादेव का का मंदिर है. कहा जाता है कि इस शिव धाम में इंसान ही नहीं खुंखार जंगली जानवर भी हाजिरी लगाने आते हैं और अपने अराध्य को शीष नवाकर चले जाते हैं. हम बात कर रहे हैं कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज में स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर की, जो लोगों की आगाध श्रद्धा का केन्द्र है. मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ यहां विशालकाय रूप में विराजमान हैं. माना जाता है मोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार में बड़ा है, इसलिए इस धाम को मोटेश्वर महादेव कहा जाता है. आबादी से कोसों दूर घने जंगल मे बसा मोटेश्वर महादेव मंदिर अतीत से ही ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है. लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
Last Updated : Aug 12, 2019, 4:21 PM IST

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