एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट को सलाम, दिव्यांगता के बावजूद भी नहीं रुकी हौसलों की उड़ान - उत्तराखंड समाचार
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शरीर ही तो झुलसा है, रूह में जान अब भी बाकी है, हिम्मत से लड़ूंगी जिंदगी की लड़ाई आत्मसम्मान मेरा अब भी बाकी है. ये पंक्तियां एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट पर सटीक बैठती है. कविता देश की उन हिम्मत न हारने वाली लड़कियों में से एक है जो एसिड अटैक में अपनी दोनों आंखें खोने के बाद भी सबके लिए प्रेरणा बनी हुई हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी वह लोगों की मदद करने से नहीं चूकतीं. यही वजह है कि उन्हें साल 2015 में उत्तराखंड सरकार ने महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर बनाया.