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नाल्ड गांव में जंगली सूअरों का आतंक, रात में थाली बजाकर पहरेदारी कर रही महिलाएं, जिम्मेदार बेखबर - ईटीवी भारत उत्तराखंड

उत्तरकाशी के नाल्ड गांव में जंगली सुअर और अज्ञात जानवर से परेशान ग्रामीण महिलाएं रात को पहरेदारी करने के लिए मजबूर हैं. वह अपनी फसल को बचाने के लिए थाली और कनस्तर बजाकर जंगली सूअर को भगा रही हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 6, 2023, 3:09 PM IST

उत्तरकाशी: अस्सी गंगा घाटी के नाल्ड गांव में जंगली सुअर और एक अज्ञात जानवर धान की खेती को नष्ट कर रहा है, जिसको लेकर वन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिससे मजबूर ग्रामीण महिलाएं देर रात तक अपने खेतों के आसपास समूह बनाकर पहरेदारी कर रही हैें. साथ ही देर रात्री तक हाथों में थाली और कनस्तर बजाकर जंगली सूअर को भगा रही हैं.

महिलाओं का कहना है कि अपनी मेहनत बचाने के लिए देर रात पहरेदारी करने को मजबूर हैं. नाल्ड गांव के ग्राम प्रधान सुनील राणा, बीडीसी सदस्य आशा राणा, महिला मंगल दल अध्यक्ष गीता देवी और रीमा रावत का कहना है कि एक माह से अधिक का समय हो चुका है. उनके गांव में लगातार जंगली सूअर का आतंक बना हुआ है. जंगली सूअर और एक अज्ञात जानवर एक माह में तीन लोगों पर हमला कर चुका है. जिसमें एक महिला गंभीर रूप से घायल भी हुई थी. जंगली सूअर धान और आलू की खेती को नष्ट कर रहा है. तो वहीं कुछ दिनों से एक अज्ञात छोटा जानवर भी धान को नष्ट कर रहा है. इस संबध में कई बार वन विभाग को बताया गया, लेकिन अभी तक गश्त के नाम पर एक कर्मचारी भी गांव में नहीं आया है. ऐसे में ग्रामीण महिलाओं को रात के अंधेरे में अपने खेतों के समीप समूह बनाकर पहरेदारी करनी पड़ रही है.

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महिलाएं हाथ में थाली और कनस्तर लेकर बजा रही हैं. जिससे जंगली सूअर उनके खेतों में न आए. इसमें बु़जुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं. रात के अंधेरे में पहरेदारी के साथ अन्य जंगली जानवरों को भी खतरा बना रहता है. वहीं, वन दरोगा कुलवीर सिंह कैंतूरा का कहना है कि ग्रामीणों को बताया गया कि पहले ग्रामीण रेंज अधिकारी को मामले से अवगत कराएं. उसके बाद गश्त शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में चूहे की प्रजाति का जीव ही धान की खेती को नुकसान पहुंचाता है.

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उत्तरकाशी: अस्सी गंगा घाटी के नाल्ड गांव में जंगली सुअर और एक अज्ञात जानवर धान की खेती को नष्ट कर रहा है, जिसको लेकर वन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिससे मजबूर ग्रामीण महिलाएं देर रात तक अपने खेतों के आसपास समूह बनाकर पहरेदारी कर रही हैें. साथ ही देर रात्री तक हाथों में थाली और कनस्तर बजाकर जंगली सूअर को भगा रही हैं.

महिलाओं का कहना है कि अपनी मेहनत बचाने के लिए देर रात पहरेदारी करने को मजबूर हैं. नाल्ड गांव के ग्राम प्रधान सुनील राणा, बीडीसी सदस्य आशा राणा, महिला मंगल दल अध्यक्ष गीता देवी और रीमा रावत का कहना है कि एक माह से अधिक का समय हो चुका है. उनके गांव में लगातार जंगली सूअर का आतंक बना हुआ है. जंगली सूअर और एक अज्ञात जानवर एक माह में तीन लोगों पर हमला कर चुका है. जिसमें एक महिला गंभीर रूप से घायल भी हुई थी. जंगली सूअर धान और आलू की खेती को नष्ट कर रहा है. तो वहीं कुछ दिनों से एक अज्ञात छोटा जानवर भी धान को नष्ट कर रहा है. इस संबध में कई बार वन विभाग को बताया गया, लेकिन अभी तक गश्त के नाम पर एक कर्मचारी भी गांव में नहीं आया है. ऐसे में ग्रामीण महिलाओं को रात के अंधेरे में अपने खेतों के समीप समूह बनाकर पहरेदारी करनी पड़ रही है.

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महिलाएं हाथ में थाली और कनस्तर लेकर बजा रही हैं. जिससे जंगली सूअर उनके खेतों में न आए. इसमें बु़जुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं. रात के अंधेरे में पहरेदारी के साथ अन्य जंगली जानवरों को भी खतरा बना रहता है. वहीं, वन दरोगा कुलवीर सिंह कैंतूरा का कहना है कि ग्रामीणों को बताया गया कि पहले ग्रामीण रेंज अधिकारी को मामले से अवगत कराएं. उसके बाद गश्त शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में चूहे की प्रजाति का जीव ही धान की खेती को नुकसान पहुंचाता है.

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