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उत्तरकाशी में मस्ताड़ी गांव के घरों में पड़ी दरारें, निकल रहा पानी, 18 जुलाई को आई थी आपदा

मस्ताड़ी गांव में 18 जुलाई की घटना के बाद से घरों में दरारें पड़ गई हैं. गांव में कभी भी अचानक किसी के घर के अंदर से जमीन फट कर पानी निकल कर बह रहा है. तब से यहां के ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

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मस्ताड़ी गांव में बिगड़ने लगे हालात
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Published : Jul 31, 2021, 7:22 PM IST

Updated : Jul 31, 2021, 9:32 PM IST

उत्तरकाशी: बरसात के मौसम में अचानक जमीन से सड़क या अन्य स्थानों पर पानी निकलने लगे, तो आप किसी भी अनहोनी से डर जाते हैं. उस स्थान से दूर चले जाते हैं. लेकिन सोचिए जरा जब आपके घर के अंदर से ही पानी निकलने लगे, तो क्या होगा. कुछ ऐसी ही स्थिति जनपद मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर स्थित मस्ताड़ी गांव में देखने को मिल रही है. यहां लोगों के आवासीय भवनों के अंदर से ही पानी निकल रहा है. वहीं, कई भवनों के नीचे पानी के बहने की आवाजें आ रही हैं. जिससे ग्रामीण खौफजदा हैं.

मामले की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले इस गांव में पहुंची. जहां हमने धरातल पर स्थिति को जानने की कोशिश की. यहां पहुंचकर हमने ग्रामीणों से बात की.

उत्तरकाशी में मस्ताड़ी गांव के घरों में पड़ी दरारें.

पढ़ें- पिता के अरमानों को पंख...वंदना ने ऐसा कारनामा किया, जो भारतीय विमेन्स हॉकी की हिस्ट्री में कभी नहीं हुआ

मस्ताड़ी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि 18 जुलाई के बाद से घरों में दरारें पड़ गई हैं. गांव में कभी भी अचानक किसी के घर के अंदर से जमीन फट कर पानी निकल कर बह रहा है. ग्रामीणों के घरों के अंदर पानी बहने की आवाज भी लोगों को डरा रही है. वहीं जिस रात बारिश हो रही है, उस रात तो लोगों को रतजगा करना पड़ रहा है.

पढ़ें- केंद्रीय गढ़वाल विवि के फर्स्ट सेमेस्टर के छात्र होंगे प्रमोट, आदेश जारी

ग्राम प्रधान मस्ताड़ी सत्यानारायण सेमवाल ने बताया कि 1991 के भूकंप के बाद गांव में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है. उन्होंने कहा 1991 में यहां देखते ही देखते एक भवन जमीन में आधा धंस गया. बड़े-बड़े पेड़ भी धंसने लगे. उसके बाद 1997 में भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने गांव का सर्वे कर रिपोर्ट दी थी कि गांव में जमीन के नीचे पानी होने के कारण खतरा बना हुआ है. जिसके उपाय भी वैज्ञानिकों ने सुझाए थे.

पढ़ें- झटके पे झटका! PV सिंधु की सेमीफाइनल में हार, मेडल जीतने का है एक और मौका

ग्राम प्रधान सत्यानारायण सेमवाल ने बताया 1991 के भूकंप बाद 20 सालों तक गांव में कुछ नहीं हुआ. भूगर्भ वैज्ञानिक रिपोर्ट पर भी कार्रवाई नहीं हुई. धीरे-धीरे धंसते खेतों और रास्तों से जमीन धंसने का एहसास होता रहा. 18 जुलाई की आपदा के बाद गांव में स्थिति अचानक विकराल हो गई. घरों के अंदर से पानी निकलने लगा है. गांव के ऊपर लंबी दरारें पड़ी हुई हैं. घरों में दरारें पड़ी हुई हैं.

पढ़ें- Tokyo Olympics 2020: हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया के घर बधाई देने पहुंच रहे लोग

शासन-प्रशासन से ग्रामीणों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की गुहार लगाई. जिसके बाद प्रशासन ने मात्र 3 टैंट देकर ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया. ग्रामीणों का कहना है कि शायद अब शासन-प्रशासन कोई बड़ी हानि होने के बाद ही जागेगा. ग्रामीणों की मांग है कि या तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जायें या फिर उनके विस्थापन की कार्रवाई की जाये.

उत्तरकाशी: बरसात के मौसम में अचानक जमीन से सड़क या अन्य स्थानों पर पानी निकलने लगे, तो आप किसी भी अनहोनी से डर जाते हैं. उस स्थान से दूर चले जाते हैं. लेकिन सोचिए जरा जब आपके घर के अंदर से ही पानी निकलने लगे, तो क्या होगा. कुछ ऐसी ही स्थिति जनपद मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर स्थित मस्ताड़ी गांव में देखने को मिल रही है. यहां लोगों के आवासीय भवनों के अंदर से ही पानी निकल रहा है. वहीं, कई भवनों के नीचे पानी के बहने की आवाजें आ रही हैं. जिससे ग्रामीण खौफजदा हैं.

मामले की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले इस गांव में पहुंची. जहां हमने धरातल पर स्थिति को जानने की कोशिश की. यहां पहुंचकर हमने ग्रामीणों से बात की.

उत्तरकाशी में मस्ताड़ी गांव के घरों में पड़ी दरारें.

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मस्ताड़ी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि 18 जुलाई के बाद से घरों में दरारें पड़ गई हैं. गांव में कभी भी अचानक किसी के घर के अंदर से जमीन फट कर पानी निकल कर बह रहा है. ग्रामीणों के घरों के अंदर पानी बहने की आवाज भी लोगों को डरा रही है. वहीं जिस रात बारिश हो रही है, उस रात तो लोगों को रतजगा करना पड़ रहा है.

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ग्राम प्रधान मस्ताड़ी सत्यानारायण सेमवाल ने बताया कि 1991 के भूकंप के बाद गांव में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है. उन्होंने कहा 1991 में यहां देखते ही देखते एक भवन जमीन में आधा धंस गया. बड़े-बड़े पेड़ भी धंसने लगे. उसके बाद 1997 में भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने गांव का सर्वे कर रिपोर्ट दी थी कि गांव में जमीन के नीचे पानी होने के कारण खतरा बना हुआ है. जिसके उपाय भी वैज्ञानिकों ने सुझाए थे.

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ग्राम प्रधान सत्यानारायण सेमवाल ने बताया 1991 के भूकंप बाद 20 सालों तक गांव में कुछ नहीं हुआ. भूगर्भ वैज्ञानिक रिपोर्ट पर भी कार्रवाई नहीं हुई. धीरे-धीरे धंसते खेतों और रास्तों से जमीन धंसने का एहसास होता रहा. 18 जुलाई की आपदा के बाद गांव में स्थिति अचानक विकराल हो गई. घरों के अंदर से पानी निकलने लगा है. गांव के ऊपर लंबी दरारें पड़ी हुई हैं. घरों में दरारें पड़ी हुई हैं.

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शासन-प्रशासन से ग्रामीणों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की गुहार लगाई. जिसके बाद प्रशासन ने मात्र 3 टैंट देकर ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया. ग्रामीणों का कहना है कि शायद अब शासन-प्रशासन कोई बड़ी हानि होने के बाद ही जागेगा. ग्रामीणों की मांग है कि या तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जायें या फिर उनके विस्थापन की कार्रवाई की जाये.

Last Updated : Jul 31, 2021, 9:32 PM IST
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