उत्तरकाशी: जहां एक ओर प्रदेश के कई क्षेत्र भू-धंसाव से पाताल में समा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रताप पोखरियाल वृक्षारोपण कर बंजर जमीनों में हरियाली ला रहे हैं. प्रताप पोखरियाल का पर्यावरण संरक्षण में किया जा रहा है ये कार्य ना केवल उन्हें खुद प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि युवाओं को भी आगे आने की सीख दे रहा है. गांव के भूस्खलन की जद में आने से उन्हें ये प्रेरणा मिली, जो आज विकसित रूप ले चुकी है.
निजी प्रयासों से असंभव को किया संभव: उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत की तलहटी पर श्याम स्मृति वन को तैयार करने वाले प्रताप पोखरियाल एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्होंने वरुणावत पर्वत के भू-धंसाव वाले क्षेत्र में विभिन्न प्रजाति के 5 लाख पौधों का रोपण करके मिसाल कायम की है. आज इन पौधों ने वृक्षों का रूप ले लिया है जो एक घने वन के रूप में विकसित हो रहे हैं. वहीं इन्होंने अपने निजी प्रयासों से बगैर किसी सहायता के 45 हेक्टेयर वन तैयार किया है.
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भूस्खलन के बाद उठाया कदम: प्रताप पोखरियाल एक गरीब परिवार से हैं और गाड़ी मैकेनिक का कार्य करते हैं. बावजूद इसके इन्होंने अपने जीवन के 33 वर्ष प्रकृति संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित किए हैं. प्रताप पोखरियाल ने असंभव जैसे कार्य को संभव करके दिखाया है. उत्तरकाशी वरुणावत पर्वत की तलहटी के इस क्षेत्र में साल 2003 में वरुणावत पर्वत से डेढ़ माह तक बिना बारिश के भी लगातार भूस्खलन हुआ था. जिसके कारण यहां पर कई आवासीय भवन और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को क्षति पहुंची थी और लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हो गए थे.
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राज्यपाल और सीएम ने की तारीफ: प्रताप पोखरियाल ने उस समय ही संकल्प लिया था कि वरुणावत पर्वत के भूस्खलन को रोकना है. उन्होंने लगातार 2003 से स्वयं के संसाधनों से वरुणावत पर्वत की तलहटी पर पौधों का रोपण किया, जो आज जंगल का रूप ले चुका है. प्रताप पोखरियाल पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वालों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. इस कार्य के लिए पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल को कई सम्मान भी मिल चुके हैं. यहां तक कि उनके इस कार्य को देखने उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) सहित पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी आ चुके हैं और उनके कार्य की जमकर प्रशंसा की.