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गढ़वाली में लिखे जाएंगे रामलीला के पद और चौपाई, सावणी और गंगाड़ी लोकबोली का इस्तेमाल

रामलीला आदर्श समिति के मुख्य उद्घोषक जयेन्द्र सिंह पंवार ने बताया कि पहली बार यह प्रयास किया जा रहा है कि रामलीला के सभी स्वरूपों गद्य,पद्य,चौपाई और डायलॉग को लोकधुनों के साथ गढ़वाली लोकबोली में स्वरबद्ध किया जा रहा है.

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गढ़वाली में लिखे जाएंगे रामलीला के पद और चौपाई,
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Published : Oct 18, 2020, 3:42 PM IST

उत्तरकाशी: अब तक देश के सभी कोनों में रामलीला का पाठ और मंचन हिंदी में ही किया जाता रहा है. अब इस कड़ी में एक नई पहल होने जा रही है. इस वर्ष बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी से रामलीला के सभी पाठ, चौपाई सहित गद्य और पद्य को गढ़वाली लोकबोली में संग्रहित किया जाएगा. इस पुस्तक में गढ़वाली के सांवणी और गंगाड़ी लोकबोली का प्रयोग किया जाएगा. साथ ही गढ़वाली लोकधुनों से इसमें चार चांद लगाये जाएंगे.

श्री रामलीला आदर्श समिति उत्तरकाशी की ओर से प्रदेश में यह पहला अभिनव प्रयोग किया जा रहा है. इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद उत्तरकाशी से ही पूरी रामलीला का मंचन गढ़वाली लोकबोली में किया जाएगा. जिससे कि भविष्य में लोकबोली को देश-विदेश में पहचान दिलाई जा सके.

गढ़वाली में लिखे जाएंगे रामलीला के पद और चौपाई

पढ़ें- अल्मोड़ा में इस बार वर्चुअल रामलीला शुरू, हरदा ने किया ऑनलाइन शुभारंभ

श्री रामलीला आदर्श समिति के मुख्य उदघोषक जयेन्द्र सिंह पंवार ने बताया कि पहली बार यह प्रयास किया जा रहा है कि रामलीला के सभी स्वरूपों गद्य,पद्य, चौपाई और डायलॉग को लोकधुनों के साथ गढ़वाली लोकबोली में स्वरबद्ध किया जा रहा है. इस पुस्तक में गढ़वाली लोकबोली के दो मुख्य सावणी और गंगाड़ी बोली का प्रयोग किया जाएगा. यह लोकबोली पहाड़ के अधिकांश क्षेत्रों में बोली जाती है, इसलिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है.

पढ़ें-कोरोना को लेकर बुलाई बैठक में अधिकारियों पर भड़के व्यापारी, जानें क्या है मामला

पंवार ने बताया कि इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद श्री आदर्श रामलीला समिति गढ़वाली लोकबोली में ही रामलीला का मंचन करेगी. उसके बाद हर पात्र इन्हीं बोली में रामलीला का पाठ करेगी. बता दें श्री आदर्श रामलीला समिति विगत 68 वर्षों से जनपद मुख्यालय में रामलीला का मंचन कर रही है. इस वर्ष कोरोना के कारण रामलीला मंचन को स्थगित किया गया है.

पढ़ें- चमोली की इस लड़की का वीडियो वायरल, खोली PWD अधिकारियों की पोल

साथ ही इस पर समिति ने निर्णय लिया कि इस वर्ष 8 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें गढ़वाली लोकबोली में रामलीला पुस्तक को तैयार करने पर विचार विमर्श किया जाएगा. साथ ही इसके लिए रामलीला मंचन करने वाले बुजुर्गों का सहयोग लिया जाएगा. जिससे कि जल्द ही गढ़वाली लोकबोली में रामलीला की पुस्तक तैयार की जा सके.

उत्तरकाशी: अब तक देश के सभी कोनों में रामलीला का पाठ और मंचन हिंदी में ही किया जाता रहा है. अब इस कड़ी में एक नई पहल होने जा रही है. इस वर्ष बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी से रामलीला के सभी पाठ, चौपाई सहित गद्य और पद्य को गढ़वाली लोकबोली में संग्रहित किया जाएगा. इस पुस्तक में गढ़वाली के सांवणी और गंगाड़ी लोकबोली का प्रयोग किया जाएगा. साथ ही गढ़वाली लोकधुनों से इसमें चार चांद लगाये जाएंगे.

श्री रामलीला आदर्श समिति उत्तरकाशी की ओर से प्रदेश में यह पहला अभिनव प्रयोग किया जा रहा है. इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद उत्तरकाशी से ही पूरी रामलीला का मंचन गढ़वाली लोकबोली में किया जाएगा. जिससे कि भविष्य में लोकबोली को देश-विदेश में पहचान दिलाई जा सके.

गढ़वाली में लिखे जाएंगे रामलीला के पद और चौपाई

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श्री रामलीला आदर्श समिति के मुख्य उदघोषक जयेन्द्र सिंह पंवार ने बताया कि पहली बार यह प्रयास किया जा रहा है कि रामलीला के सभी स्वरूपों गद्य,पद्य, चौपाई और डायलॉग को लोकधुनों के साथ गढ़वाली लोकबोली में स्वरबद्ध किया जा रहा है. इस पुस्तक में गढ़वाली लोकबोली के दो मुख्य सावणी और गंगाड़ी बोली का प्रयोग किया जाएगा. यह लोकबोली पहाड़ के अधिकांश क्षेत्रों में बोली जाती है, इसलिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है.

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पंवार ने बताया कि इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद श्री आदर्श रामलीला समिति गढ़वाली लोकबोली में ही रामलीला का मंचन करेगी. उसके बाद हर पात्र इन्हीं बोली में रामलीला का पाठ करेगी. बता दें श्री आदर्श रामलीला समिति विगत 68 वर्षों से जनपद मुख्यालय में रामलीला का मंचन कर रही है. इस वर्ष कोरोना के कारण रामलीला मंचन को स्थगित किया गया है.

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साथ ही इस पर समिति ने निर्णय लिया कि इस वर्ष 8 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें गढ़वाली लोकबोली में रामलीला पुस्तक को तैयार करने पर विचार विमर्श किया जाएगा. साथ ही इसके लिए रामलीला मंचन करने वाले बुजुर्गों का सहयोग लिया जाएगा. जिससे कि जल्द ही गढ़वाली लोकबोली में रामलीला की पुस्तक तैयार की जा सके.

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