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उत्तरकाशी में जिला अस्पताल के बाहर से दवाइयां खरीद रहे मरीज, डॉक्टर कर रहे मजबूर ! - Uttarkashi District Hospital Medicine Store

लोगों का आरोप है कि जिला अस्पताल के चिकित्सक कमीशन के चक्कर में धड़ल्ले से मरीजों को बाहर के मेडिकल स्टोर से मिलने वाली महंगी दवाएं लिख रहे हैं. इस कारण जिले के दूरदराज से आने वाले मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यह सब देखने के बाद भी अस्पताल व जिला प्रशासन मौन है.

Uttarkashi
जिला अस्पताल में बाहर से दवाइयां खरीद रहे मरीज
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Published : Apr 19, 2022, 1:00 PM IST

उत्तरकाशी: जिला अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं, जिससे मरीजों की जेबों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. जबकि जिला अस्पताल के स्टोर रूम में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में हैं. लेकिन उसके बावजूद भी चिकित्सकों की ओर से मरीजों के लिए बाहर से महंगी दवाएं लिखी जा रही हैं. अस्पताल के सस्ते इलाज के फेर में फंसकर मरीज महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं. यह सब देखने के बाद भी अस्पताल व जिला प्रशासन मौन हैं.

डॉक्टरों पर कमीशनखोरी का आरोप: क्षेत्र के गरीब बीमार लोग उपचार के लिए इसलिए सरकारी अस्पताल में आते हैं, ताकि वह महंगे इलाज से बच सकें. लेकिन, जिला अस्पताल के हालात ऐसे हैं कि यहां अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा कमीशन के लालच में रोगियों की पर्ची पर बाजार की दवाएं लिखी जा रही हैं. रोगियों द्वारा बाजार की दवाएं नहीं लिखने का आग्रह करने पर चिकित्सक द्वारा सही नहीं होने का झांसा दिया जाता है, मरीजों का ऐसा आरोप है.

पढ़ें-स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई, आंबेडकर चैरिटेबल हॉस्पिटल को किया बंद, बीते दिनों प्रसूता की हुई थी मौत

बाहर से दवा खरीदने के लिए करते हैं मजबूर: अस्पताल में रोगी को उपचार कराने के लिए एक हजार रुपए से ज्यादा तक खर्च करने पड़ रहे हैं. जबकि अस्पताल में राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा जांच योजना के अन्तर्गत रोगियों को जांच, दवाओं की अधिकतर सुविधाएं अस्पताल में ही निःशुल्क मुहैया कराई हुई हैं. लेकिन अस्पताल में तैनात चिकित्सकों द्वारा निजी पैथोलॉजी संचालकों, दवा स्टोरों से सांठगांठ कर लेने से मरीजों को भारी पड़ रहा है. वहीं रोग से संबंधित दवाएं स्टोर में नहीं होने का बहाना बनाकर रोगी को बाजार से दवा खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

डॉक्टरों का मेडिकल स्टोर फिक्स: जिला अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में अनेक प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिससे रोगियों का समुचित उपचार किया जा सकता है. बावजूद इसके चिकित्सक तमाम कायदे कानून को ताक पर रखकर इलाज के लिए बाहरी दवाइयों को लिख रहे हैं. मरीजों का आरोप है कि जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की ओर से जो दवाऐं मरीजों के उपचार के लिए लिखी जा रही हैं, उनके लिए हर चिकित्सक का मेडिकल स्टोर फिक्स है. जहां पर उनके द्वारा लिखी गई कंपनियों की दवाइयां मिल रही हैं.

पढ़ें-गर्मी में बच्चों को अस्थमा से ऐसे करें बचाव, परामर्श के लिए परिजन पहुंच रहे दून हॉस्पिटल

प्रशासन दे रहा ये दलील: केंद्र सरकार द्वारा मरीजों को सस्ती दरों में दवा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि योजना चलाई गई है. जिला मुख्यालय पर इकलौता जन औषधि केंद्र जिला अस्पताल परिसर में संचालित किया जा रहा है. सीएमएस एसडी सकलानी ने कहा कि जिला अस्पताल प्रशासन सहित चिकित्सकों को पूर्व में भी निर्देशित किया गया था कि वह बाहर की दवाइयां न लिखें. लेकिन यदि अस्पताल में उपचार के लिए मरीजों से बाहर से दवाइयां मंगाई जा रही हैं तो यह गंभीर विषय है, इसे चेक करवाया जायेगा.

उत्तरकाशी: जिला अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं, जिससे मरीजों की जेबों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. जबकि जिला अस्पताल के स्टोर रूम में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में हैं. लेकिन उसके बावजूद भी चिकित्सकों की ओर से मरीजों के लिए बाहर से महंगी दवाएं लिखी जा रही हैं. अस्पताल के सस्ते इलाज के फेर में फंसकर मरीज महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं. यह सब देखने के बाद भी अस्पताल व जिला प्रशासन मौन हैं.

डॉक्टरों पर कमीशनखोरी का आरोप: क्षेत्र के गरीब बीमार लोग उपचार के लिए इसलिए सरकारी अस्पताल में आते हैं, ताकि वह महंगे इलाज से बच सकें. लेकिन, जिला अस्पताल के हालात ऐसे हैं कि यहां अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा कमीशन के लालच में रोगियों की पर्ची पर बाजार की दवाएं लिखी जा रही हैं. रोगियों द्वारा बाजार की दवाएं नहीं लिखने का आग्रह करने पर चिकित्सक द्वारा सही नहीं होने का झांसा दिया जाता है, मरीजों का ऐसा आरोप है.

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बाहर से दवा खरीदने के लिए करते हैं मजबूर: अस्पताल में रोगी को उपचार कराने के लिए एक हजार रुपए से ज्यादा तक खर्च करने पड़ रहे हैं. जबकि अस्पताल में राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा जांच योजना के अन्तर्गत रोगियों को जांच, दवाओं की अधिकतर सुविधाएं अस्पताल में ही निःशुल्क मुहैया कराई हुई हैं. लेकिन अस्पताल में तैनात चिकित्सकों द्वारा निजी पैथोलॉजी संचालकों, दवा स्टोरों से सांठगांठ कर लेने से मरीजों को भारी पड़ रहा है. वहीं रोग से संबंधित दवाएं स्टोर में नहीं होने का बहाना बनाकर रोगी को बाजार से दवा खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

डॉक्टरों का मेडिकल स्टोर फिक्स: जिला अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में अनेक प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिससे रोगियों का समुचित उपचार किया जा सकता है. बावजूद इसके चिकित्सक तमाम कायदे कानून को ताक पर रखकर इलाज के लिए बाहरी दवाइयों को लिख रहे हैं. मरीजों का आरोप है कि जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की ओर से जो दवाऐं मरीजों के उपचार के लिए लिखी जा रही हैं, उनके लिए हर चिकित्सक का मेडिकल स्टोर फिक्स है. जहां पर उनके द्वारा लिखी गई कंपनियों की दवाइयां मिल रही हैं.

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प्रशासन दे रहा ये दलील: केंद्र सरकार द्वारा मरीजों को सस्ती दरों में दवा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि योजना चलाई गई है. जिला मुख्यालय पर इकलौता जन औषधि केंद्र जिला अस्पताल परिसर में संचालित किया जा रहा है. सीएमएस एसडी सकलानी ने कहा कि जिला अस्पताल प्रशासन सहित चिकित्सकों को पूर्व में भी निर्देशित किया गया था कि वह बाहर की दवाइयां न लिखें. लेकिन यदि अस्पताल में उपचार के लिए मरीजों से बाहर से दवाइयां मंगाई जा रही हैं तो यह गंभीर विषय है, इसे चेक करवाया जायेगा.

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