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विकास की बाट जोहती अस्सी गंगा घाटी, समस्याओं के भंवर में फंसी जनता

अस्सी गंगा घाटी के 8 गांवों के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने शनिवार को संगमचट्टी में एक बैठक बुलाई. इस बैठक में क्षेत्र के विकास के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई.

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विकास की बाट जोहती अस्सी गंगा घाटी
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Published : Feb 15, 2020, 7:21 PM IST

उत्तरकाशी: साल 2012-13 में आपदा प्रभावित अस्सी गंगा घाटी लंबे समय से विकास की बाट जोह रही है. आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोग आज भी आपदा के दर्द से उभर नहीं पाए हैं. आपदा के बाद यहां स्थितियां और भी बदतर हो गई हैं. घाटी के 8 गांव आपदा में बुरी तरह प्रभावित हुए थे. जहां के लिए बनी सड़कें ही अब दुर्घटनाओं का न्योता दे रही है.

शासन-प्रशासन की उपेक्षा से नाराज अस्सी गंगा घाटी के 8 गांवों के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने शनिवार को संगमचट्टी में एक बैठक बुलाई. इस बैठक में क्षेत्र के विकास के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. बैठक के बाद ग्रमीणों ने बताया कि आपदा से पहले अस्सी गंगा घाटी के गांव में सभी विभागों से सम्बंधित कार्यालय थे, लेकिन अब सभी विभाग घाटी से हस्तांतरित कर दिए गए हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें- मनेरी झील में बोटिंग का आगाज, जानिए कैसे मिलेगा युवतियों को रोजगार

ग्रामीणों का कहना है कि आपदा के बाद से अभी तक अस्सी गंगा नदी के किनारों पर तटबंधों का निर्माण नहीं किया गया है. जो कि भविष्य में कभी भी बड़ा खतरा साबित हो सकता है. साथ ही अस्सी गंगा घाटी के गांवों को जोड़ने वाली सड़कें भी बदहाल हैं. यहां की क्षतिग्रस्त सड़कें आये दिन हादसों को न्योता दे रही है. इस मामले में कई बार शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई मगर, अब तक मामला सिफर ही रहा.

उत्तरकाशी: साल 2012-13 में आपदा प्रभावित अस्सी गंगा घाटी लंबे समय से विकास की बाट जोह रही है. आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोग आज भी आपदा के दर्द से उभर नहीं पाए हैं. आपदा के बाद यहां स्थितियां और भी बदतर हो गई हैं. घाटी के 8 गांव आपदा में बुरी तरह प्रभावित हुए थे. जहां के लिए बनी सड़कें ही अब दुर्घटनाओं का न्योता दे रही है.

शासन-प्रशासन की उपेक्षा से नाराज अस्सी गंगा घाटी के 8 गांवों के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने शनिवार को संगमचट्टी में एक बैठक बुलाई. इस बैठक में क्षेत्र के विकास के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. बैठक के बाद ग्रमीणों ने बताया कि आपदा से पहले अस्सी गंगा घाटी के गांव में सभी विभागों से सम्बंधित कार्यालय थे, लेकिन अब सभी विभाग घाटी से हस्तांतरित कर दिए गए हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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ग्रामीणों का कहना है कि आपदा के बाद से अभी तक अस्सी गंगा नदी के किनारों पर तटबंधों का निर्माण नहीं किया गया है. जो कि भविष्य में कभी भी बड़ा खतरा साबित हो सकता है. साथ ही अस्सी गंगा घाटी के गांवों को जोड़ने वाली सड़कें भी बदहाल हैं. यहां की क्षतिग्रस्त सड़कें आये दिन हादसों को न्योता दे रही है. इस मामले में कई बार शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई मगर, अब तक मामला सिफर ही रहा.

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