ETV Bharat / state

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार बना रही नेलांग और जाडुंग गांव को आबाद करने की योजना, ग्रामीणों ने कही ये बातें

सरकार भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग और जाडुंग गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जुट गई है. सरकार की इस योजना से लोगों को उम्मीद है कि उन्हें गांव में ही रोजगार मिल पाएगा.

author img

By

Published : Sep 13, 2020, 11:10 AM IST

Uttarkashi
लांग और जाडुंग गांव को आबाद करने की योजना

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार पलायन के कारण खाली हो चुके सीमावर्ती गांवों को दोबारा आबाद करने के लिए लगातार प्रयासरत है. वहीं सरकार भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग और जाडुंग गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जुट गई है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि पारंपरिक खेती से गुजर बसर होना काफी कठिन हो गया है. ऐसे में सरकार को ग्रामीणों को होम स्टे के साथ ही अन्य योजनाओं से जोड़ना चाहिए. जिससे लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके.

लांग और जाडुंग गांव को आबाद करने की योजना

साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय सेना ने नेलांग और जाडुंग गांव को खाली करवा कर वहां रह रहे जाड़ समुदाय के ग्रामीणों को बगोरी विस्थापित कर दिया था. सेना और ITBP के जवानों ने ग्रामीणों के घरों और खेतों को बंकरों में तब्दील कर दिया था. लेकिन जाडुंग गांव में अभी भी कुछ घरों के अवशेष बचे हुए हैं, जहां पर बगोरी गांव के ग्रामीण हर साल अपने लाल देवता की पूजा के लिए पहुंचते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आज भी सरकारी दस्तावेजों में उनकी नेलांग और जाडुंग गांव में करीब 1300 से 1400 नाली भूमि है, जिसका उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिल सका है.

ये भी पढ़ें: आम से खास को संक्रमित करता कोरोना वायरस, पढ़िए पूरी खबर

ग्रामीण जसपाल सिंह का कहना है कि अब जाडुंग और नेलांग में कुछ भी बचा नहीं है. ऐसे में गांव में अब ग्रामीणों को बसाना बहुत ही मुश्किल हो गया है. उधर पूर्व प्रधान नारायण सिंह राणा का कहना है कि प्रदेश सरकार को पहले नेलांग और जाडुंग गांव के विस्थापितों को जमीन उपलब्ध करानी होगी. इसके अलावा गांव के ग्रामीणों को सड़क, सेब उत्पादन और होम स्टे योजनाएं से जोड़ना होगा. जिससे उनको आजीविका के साधन गांव में ही मिल सके. वहीं, पूर्व प्रधान भगवान सिंह राणा का कहना है कि पर्यटन विकास के बाद ही नेलांग और जाडुंग गांव आबाद हो सकते हैं. पर्यटन को बढ़ावा देने से गांव के साथ ही लोगों की तकदीर भी बदलेगी. सरकार को इसके लिए आगे आना चाहिए.

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार पलायन के कारण खाली हो चुके सीमावर्ती गांवों को दोबारा आबाद करने के लिए लगातार प्रयासरत है. वहीं सरकार भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग और जाडुंग गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जुट गई है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि पारंपरिक खेती से गुजर बसर होना काफी कठिन हो गया है. ऐसे में सरकार को ग्रामीणों को होम स्टे के साथ ही अन्य योजनाओं से जोड़ना चाहिए. जिससे लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके.

लांग और जाडुंग गांव को आबाद करने की योजना

साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय सेना ने नेलांग और जाडुंग गांव को खाली करवा कर वहां रह रहे जाड़ समुदाय के ग्रामीणों को बगोरी विस्थापित कर दिया था. सेना और ITBP के जवानों ने ग्रामीणों के घरों और खेतों को बंकरों में तब्दील कर दिया था. लेकिन जाडुंग गांव में अभी भी कुछ घरों के अवशेष बचे हुए हैं, जहां पर बगोरी गांव के ग्रामीण हर साल अपने लाल देवता की पूजा के लिए पहुंचते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आज भी सरकारी दस्तावेजों में उनकी नेलांग और जाडुंग गांव में करीब 1300 से 1400 नाली भूमि है, जिसका उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिल सका है.

ये भी पढ़ें: आम से खास को संक्रमित करता कोरोना वायरस, पढ़िए पूरी खबर

ग्रामीण जसपाल सिंह का कहना है कि अब जाडुंग और नेलांग में कुछ भी बचा नहीं है. ऐसे में गांव में अब ग्रामीणों को बसाना बहुत ही मुश्किल हो गया है. उधर पूर्व प्रधान नारायण सिंह राणा का कहना है कि प्रदेश सरकार को पहले नेलांग और जाडुंग गांव के विस्थापितों को जमीन उपलब्ध करानी होगी. इसके अलावा गांव के ग्रामीणों को सड़क, सेब उत्पादन और होम स्टे योजनाएं से जोड़ना होगा. जिससे उनको आजीविका के साधन गांव में ही मिल सके. वहीं, पूर्व प्रधान भगवान सिंह राणा का कहना है कि पर्यटन विकास के बाद ही नेलांग और जाडुंग गांव आबाद हो सकते हैं. पर्यटन को बढ़ावा देने से गांव के साथ ही लोगों की तकदीर भी बदलेगी. सरकार को इसके लिए आगे आना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.