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उत्तराखंड के सेब को मिलने लगी अपनी पहचान, उद्यान विभाग मुहैया करा रहा कार्टन

उत्तरकाशी में करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. अभी तक आराकोट बंगाण में काश्तकार हिमाचल प्रदेश के कार्टन यानी पेटियों का इस्तेमाल करते थे. जिससे उत्तराखंड का सेब होने के बावजूद ब्रांडिंग हिमाचल की होती थी, लेकिन अब सरकार ने उत्तराखंड एप्पल से पेटियां दी है. ऐसे में उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान मिलने लगी है.

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सेब की पेटियां
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Published : Sep 23, 2020, 6:12 PM IST

Updated : Sep 23, 2020, 6:55 PM IST

उत्तरकाशीः उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान दिलाने के लिए सरकार की मुहिम रंग ला रही है. इस साल उत्तरकाशी जिले के सेब काश्तकारों को उद्यान विभाग की ओर 'उत्तराखंड एप्पल' नाम से दो लाख पेटियां सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं. इतना ही नहीं जिले में उद्यान विभाग की ओर से पहली बार सेब काश्तकारों की मांग पर 150 सेब बागवानों को हाई डेंसिटी की पौध भी दी जा रही है. इसका मकसद सेब उत्पादन में बढ़ोत्तरी करना है.

उत्तराखंड के सेब को मिलने लगी अपनी पहचान.

वहीं, पहली बार 10 लाख वर्ग किमी पर सेब के फलों को ओलों से बचाने के लिए सब्सिडी पर वाइट शेड उपलब्ध करवाए गए हैं. इस सुविधाओं के मिलने पर काश्तकार काफी खुश हैं तो वहीं उत्तराखंड एप्पल के उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद भी बढ़ गई है. साथ ही उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान भी मिलेगी.

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उत्तराखंड एप्पल की पेटियां.

बता दें कि उत्तरकाशी जिले में सालाना 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. जिसमें से सबसे ज्यादा उत्पादन आराकोट बंगाण और मोरी क्षेत्र में होता है. यहां पर 10 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है तो बाकी उत्पादन हर्षिल घाटी समेत पुरोला और नौगांव में होता है. उत्तरकाशी के सेब अपनी मिठास और साइज के लिए मंडियों में अलग पहचान रखते हैं. अभी तक काश्तकार हिमाचल के कार्टन (पेटियां) यानी सेब के गत्ते इस्तेमाल करते थे. जिससे यहां के सेब हिमाचल प्रदेश के नाम से बिकती थी. ऐसे में सेब तो उत्तराखंड का होता था और ब्रांडिंग हिमाचल की होती थी.

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सेब की पैदावार.

ये भी पढ़ेंः हर्षिल घाटी में बंपर सेब की पैदावार, समर्थन मूल्य से नाराज काश्तकार

वहीं, सरकार ने देर से ही लेकिन इस ओर कदम बढ़ाया है. अब काश्तकारों को उद्यान विभाग ने उत्तराखंड एप्पल नाम से कार्टन 2 लाख पेटियां उपलब्ध कराए हैं. जिसमें से 40 हजार पेटियां हर्षिल घाटी में दी गई है. वहीं, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर कास्तकार और मांग करते हैं तो उन्हें उत्तराखंड एप्पल की पेटियां मुहैया करवाई जाएगी.

जिला उद्यान अधिकारी प्रभाकर सिंह का कहना है कि इस साल पहली बार सेब काश्तकारों की मांग पर 150 किसानों को अलग-अलग योजनाओ से हाईडेंसिटी सेब की पौध उपलब्ध करवाई गई है. जिले में प्रति हेक्टेयर 2000 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता था तो अब प्रति हेक्टेयर 3000 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होगा. साथ ही जल्द अन्य काश्तकारों को भी इससे जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि पहली बार काश्तकारों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर 10 लाख वर्ग किमी क्षेत्र के लिए वाइट शेड दिया गया है.

उत्तरकाशीः उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान दिलाने के लिए सरकार की मुहिम रंग ला रही है. इस साल उत्तरकाशी जिले के सेब काश्तकारों को उद्यान विभाग की ओर 'उत्तराखंड एप्पल' नाम से दो लाख पेटियां सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं. इतना ही नहीं जिले में उद्यान विभाग की ओर से पहली बार सेब काश्तकारों की मांग पर 150 सेब बागवानों को हाई डेंसिटी की पौध भी दी जा रही है. इसका मकसद सेब उत्पादन में बढ़ोत्तरी करना है.

उत्तराखंड के सेब को मिलने लगी अपनी पहचान.

वहीं, पहली बार 10 लाख वर्ग किमी पर सेब के फलों को ओलों से बचाने के लिए सब्सिडी पर वाइट शेड उपलब्ध करवाए गए हैं. इस सुविधाओं के मिलने पर काश्तकार काफी खुश हैं तो वहीं उत्तराखंड एप्पल के उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद भी बढ़ गई है. साथ ही उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान भी मिलेगी.

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उत्तराखंड एप्पल की पेटियां.

बता दें कि उत्तरकाशी जिले में सालाना 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. जिसमें से सबसे ज्यादा उत्पादन आराकोट बंगाण और मोरी क्षेत्र में होता है. यहां पर 10 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है तो बाकी उत्पादन हर्षिल घाटी समेत पुरोला और नौगांव में होता है. उत्तरकाशी के सेब अपनी मिठास और साइज के लिए मंडियों में अलग पहचान रखते हैं. अभी तक काश्तकार हिमाचल के कार्टन (पेटियां) यानी सेब के गत्ते इस्तेमाल करते थे. जिससे यहां के सेब हिमाचल प्रदेश के नाम से बिकती थी. ऐसे में सेब तो उत्तराखंड का होता था और ब्रांडिंग हिमाचल की होती थी.

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सेब की पैदावार.

ये भी पढ़ेंः हर्षिल घाटी में बंपर सेब की पैदावार, समर्थन मूल्य से नाराज काश्तकार

वहीं, सरकार ने देर से ही लेकिन इस ओर कदम बढ़ाया है. अब काश्तकारों को उद्यान विभाग ने उत्तराखंड एप्पल नाम से कार्टन 2 लाख पेटियां उपलब्ध कराए हैं. जिसमें से 40 हजार पेटियां हर्षिल घाटी में दी गई है. वहीं, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर कास्तकार और मांग करते हैं तो उन्हें उत्तराखंड एप्पल की पेटियां मुहैया करवाई जाएगी.

जिला उद्यान अधिकारी प्रभाकर सिंह का कहना है कि इस साल पहली बार सेब काश्तकारों की मांग पर 150 किसानों को अलग-अलग योजनाओ से हाईडेंसिटी सेब की पौध उपलब्ध करवाई गई है. जिले में प्रति हेक्टेयर 2000 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता था तो अब प्रति हेक्टेयर 3000 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होगा. साथ ही जल्द अन्य काश्तकारों को भी इससे जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि पहली बार काश्तकारों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर 10 लाख वर्ग किमी क्षेत्र के लिए वाइट शेड दिया गया है.

Last Updated : Sep 23, 2020, 6:55 PM IST
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