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उत्तरकाशी: यूनिफॉर्म सिविल कोड समिति के सदस्यों ने लोगों से लिए सुझाव

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में आम नागरिकों के साथ परिचर्चा की और उनके सुझाव लिए.

उत्तरकाशी
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Published : Nov 12, 2022, 2:52 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में आम नागरिकों के साथ परिचर्चा की और उनके सुझाव लिए. परिचर्चा के दौरान उपस्थित प्रबुद्वजनों, गणमान्य नागरिकों, महिलाओं द्वारा समिति को अपने-अपने सुझाव दिए.

पीजी कॉलेज में पूर्व मुख्य सचिव व समिति के सदस्य शत्रुघन सिंह, दून विवि के उप कुलपति डॉ सुरेखा डंगवाल, समाजसेवी डॉ. मनु गौड़ ने व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले कानून व समान नागरिक संहिता की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी. समिति ने विवाह, तलाक, गोद लेना, संपत्ति का अधिकार, लिविंग रिलेशनशिप, समलैंगिकता और जनसंख्या नियंत्रण आदि को लेकर परिचर्चा की और सुझाव लिए.

इस दौरान रावल हरीश सेमवाल ने देश को सर्वोपरि रखते हुए समान अधिकार बनाने पर अपने सुझाव दिए. प्रोफेसर मधु थपलियाल ने नए दौर के समाज में लिविंग रिलेशनशिप को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और लड़के और लड़की की उम्र 18 और 21 वर्ष से अधिक करने पर अपने सुझाव दिए.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड: यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता (What is Uniform Civil Code) बिना किसी धर्म के दायरे में बंटकर हर समाज के लिए एक समान कानूनी अधिकार और कर्तव्य को लागू किए जाने का प्रावधान है. इसके तहत राज्य में निवास करने वाले लोगों के लिए एक समान कानून का प्रावधान किया गया है. धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को कोई विशेष लाभ नहीं मिल सकता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक कानून लागू होगा.

कानून का किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं रह जाएगा. ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे. अभी देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law), इसाई पर्सनल लॉ और पारसी पर्सनल लॉ को धर्म से जुड़े मामलों में आधार बनाया जाता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में यह खत्म हो जाएगा. इससे शादी, तलाक और जमीन जायदाद के मामले में एक कानून हो जाएंगे.
संबंधित खबरें पढ़ेंः Uniform Civil Code: कॉमन सिविल कोड को लेकर क्या है जनता और विपक्ष की राय? पढ़ें पूरी खबर

27 मई 2022 को सीएम धामी ने बनाई थी कमेटी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. ये कमेटी राज्य के सभी लोगों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन की रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है. उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर काम करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.

समिति में सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव, पूर्व कुलपति और एक सामाजिक कार्यकर्ता को सदस्य बनाया गया है. ड्राफ्टिंग कमेटी गठित करते समय सीएम धामी ने कहा था कि चुनाव के समय संकल्प पत्र में किए गए अपने वादे के अनुसार देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता (UCC) के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है.

इस कानून पर निरंतर चल रही है बहस: अभी देश में मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल ला लागू है. हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं, जबकि संविधान में समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है. ये आज तक देश में लागू नहीं हुआ है. इस कानून पर निरंतर बहस चल रही है.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में आम नागरिकों के साथ परिचर्चा की और उनके सुझाव लिए. परिचर्चा के दौरान उपस्थित प्रबुद्वजनों, गणमान्य नागरिकों, महिलाओं द्वारा समिति को अपने-अपने सुझाव दिए.

पीजी कॉलेज में पूर्व मुख्य सचिव व समिति के सदस्य शत्रुघन सिंह, दून विवि के उप कुलपति डॉ सुरेखा डंगवाल, समाजसेवी डॉ. मनु गौड़ ने व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले कानून व समान नागरिक संहिता की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी. समिति ने विवाह, तलाक, गोद लेना, संपत्ति का अधिकार, लिविंग रिलेशनशिप, समलैंगिकता और जनसंख्या नियंत्रण आदि को लेकर परिचर्चा की और सुझाव लिए.

इस दौरान रावल हरीश सेमवाल ने देश को सर्वोपरि रखते हुए समान अधिकार बनाने पर अपने सुझाव दिए. प्रोफेसर मधु थपलियाल ने नए दौर के समाज में लिविंग रिलेशनशिप को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और लड़के और लड़की की उम्र 18 और 21 वर्ष से अधिक करने पर अपने सुझाव दिए.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड: यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता (What is Uniform Civil Code) बिना किसी धर्म के दायरे में बंटकर हर समाज के लिए एक समान कानूनी अधिकार और कर्तव्य को लागू किए जाने का प्रावधान है. इसके तहत राज्य में निवास करने वाले लोगों के लिए एक समान कानून का प्रावधान किया गया है. धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को कोई विशेष लाभ नहीं मिल सकता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक कानून लागू होगा.

कानून का किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं रह जाएगा. ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे. अभी देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law), इसाई पर्सनल लॉ और पारसी पर्सनल लॉ को धर्म से जुड़े मामलों में आधार बनाया जाता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में यह खत्म हो जाएगा. इससे शादी, तलाक और जमीन जायदाद के मामले में एक कानून हो जाएंगे.
संबंधित खबरें पढ़ेंः Uniform Civil Code: कॉमन सिविल कोड को लेकर क्या है जनता और विपक्ष की राय? पढ़ें पूरी खबर

27 मई 2022 को सीएम धामी ने बनाई थी कमेटी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. ये कमेटी राज्य के सभी लोगों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन की रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है. उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर काम करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.

समिति में सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव, पूर्व कुलपति और एक सामाजिक कार्यकर्ता को सदस्य बनाया गया है. ड्राफ्टिंग कमेटी गठित करते समय सीएम धामी ने कहा था कि चुनाव के समय संकल्प पत्र में किए गए अपने वादे के अनुसार देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता (UCC) के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है.

इस कानून पर निरंतर चल रही है बहस: अभी देश में मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल ला लागू है. हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं, जबकि संविधान में समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है. ये आज तक देश में लागू नहीं हुआ है. इस कानून पर निरंतर बहस चल रही है.

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