उत्तरकाशीः जिले के पुरोला विकासखंड के अंतर्गत रेफर सिस्टम और गरीबी के कारण पिछले तीन दिन में 2 प्रसूता की जान चली गई. सोमवार देर रात एक प्रसूता को डिलीवरी के बाद खून की कमी के कारण सीएचसी से रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. ऐसे ही 25 जुलाई को भी एक प्रसूता को तबीयत बिगड़ने पर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही प्रसूता की सांसें उखड़ गईं.
बीती सोमवार देर रात दो जुड़वां मृत बच्चों को जन्म देने के बाद कंडियाल गांव निवासी 32 वर्षीय प्रसूता को खून की कमी के चलते सीएचसी पुरोला से हायर सेंटर रेफर किया गया. लेकिन नैनबाग के आसपास ही उसने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि प्रसूता 6 माह की गर्भवती थी. मौत से एक दिन पहले ही पैसों की कमी के कारण देहरादून के दो अस्पतालों में 16 दिन तक रहने के बाद गर्भवती को परिजन वापस घर लाए थे.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. पंकज ने बताया कि कंडियाल गांव निवासी 6 माह की गर्भवती नीतू पत्नी ओमप्रकाश को सोमवार रात को प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल लाया गया. प्रसूता ने दो मृत जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. उसके बाद प्रसूता को खून की कमी के कारण हायर सेंटर रेफर किया गया. हायर सेंटर ले जाते हुए प्रसूता ने रास्ते में दम तोड़ दिया.
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वहीं, दूसरा मामला 25 जुलाई का है. पुरोला विकासखण्ड के धिवरा गांव निवासी गर्भवती विनीता (26 वर्ष) को परिजन प्रसव पीड़ा के चलते देर रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला लाए थे. वहां पर उसने मृत बच्चे को जन्म दिया. प्रसूता की हालत अधिक रक्तस्राव के कारण बिगड़ते देख डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया लेकिन, प्रसूता ने डामटा के समीप ही दम तोड़ दिया.
पुरोला विकासखंड में पिछले तीन दिन में 2 प्रसूता की मौत से स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में है. वहीं, सीएचसी पुरोला एक रेफर सेंटर बनकर रह चुका है. लोगों का कहना है कि एक ओर स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के लिए सरकार करोड़ों खर्च करने के दावे कर रही है. वहीं, दूसरी ओर पुरोला में प्रसूताओं के दम तोड़ने का सिलसिला जारी है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.