उत्तरकाशी: यमुनोत्री धाम में सरकारी सिस्टम की लापरवाही हादसे को न्योता दे रही है. आलम ये है कि यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham) में यमुना नदी के तट पर स्नान घाट (bathing ghat on banks of river Yamuna) नहीं होने से तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर बोल्डरों व पत्थरों के सहारे यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. आप समझ सकते हैं कि सरकार की लापरवाही यात्रियों की आस्था पर किस कदर भारी पड़ सकती है. ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो सरकार की व्यवस्था सवालों के कटघरे में होगी.
केंद्र सरकार ने प्रसादम योजना (Prasadam Scheme) के तहत यमुनोत्री धाम के विकास के लिए 35 करोड़ रुपए स्वीकृत कर ब्रिडकुल को काम की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन सालभर पहले हुए टेंडर प्रक्रिया के नाम पर अभी तक एक भी पत्थर नहीं लगाया गया है. बल्कि बजट को ठिकाने लगाने की नीयत से पैदल मार्ग पर सोलर लाइट लगाने का काम किया जा रहा है. जबकि मार्ग पर पहले से ऊर्जा निगम की लाइटें लगी हुई हैं. धाम में तीर्थयात्रियों के लिए जरूरी व्यवस्था जुटाने वाले विकास काम नहीं हो रहे हैं. वर्तमान समय में चारधाम यात्रा के लिए धाम में स्नान घाटों की जरूरत है, लेकिन यहां घाट के नाम पर कुछ भी नहीं है.
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यमुनोत्री घाटी के ब्लॉक प्रतिनिधि अजबीन पंवार, पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल का कहना है कि यमुनोत्री धाम की उपेक्षा की जा रही है जो कि बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने शासन-प्रशासन से तीर्थयात्री सुविधाओं के लिए घाट निर्माण को जरूरी बताया. इधर, यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल का कहना है कि निर्माण एजेंसी की लेटलतीफी के कारण श्रद्धालुओं को असुविधा हो रही है.
वहीं, ब्रिडकुल के प्रोजेक्ट मैनेजर गंभीर सिंह ने बताया कि अभी कंसल्टेंट एजेंसी ने डिजाइन नहीं दिया है, जिसके बाद ही घाटों का प्रावधान होगा. डिजाइन में घाट हैं या नहीं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. डिजाइन मिलने और जिला प्रशासन की ओर से एनओसी मिलने पर निर्माण शुरू किया जाएगा.