उत्तरकाशी: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अपनी शीतकालीन चारधाम यात्रा के तहत मां यमुना के मायके खरशाली पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया. जिसके बाद उन्होंने शीतकालीन प्रवास स्थल में मां यमुना के दर्शन किए. साथ ही मंदिर और यमुना तट पर विशेष पूजा अर्चना की. वहीं, गुरुवार को उनकी यात्रा मां गंगा के मायके मुखबा के लिए रवाना होगी.
बता दें कि जोशीमठ स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती चारों धामों के शीतकालीन तीर्थ यात्रा पर निकले हैं. उनकी यह यात्रा आज सुबह हरिद्वार में गंगा पूजन के साथ शुरू हुई थी. आज ही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के सानिध्य में तीर्थ यात्रियों का दल खरसाली पहुंचा. इससे पहले यात्रा दल का बड़कोट नगर क्षेत्र में चारधाम यात्रा से जुड़े स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और तीर्थ पुरोहितों ने भव्य स्वागत किया. जहां सभी लोगों ने इस पौराणिक परंपरा को शुरू करने की पहल का शंकराचार्य का आभार जताया. जिसके बाद यात्रा मां यमुना के मायके खरशाली गांव पहुंची. जहां विशेष पूजा अर्चना की गई.
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वहीं, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि देश दुनिया में लोगों के बीच में यह भ्रम की स्थिति है कि उत्तराखंड स्थित चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद पूजाएं भी बंद हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है. चारों धामों की पूजाएं निरंतर चलती रहती है, बस स्थान अलग हो जाता है. ऐसे में यात्रियों का भ्रम दूर हो और शीतकाल में भी श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे, इस उद्देश्य से वे चार धामों की शीतकालीन पूजा स्थलों की यात्रा कर रहे हैं.
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वहीं, यमुनोत्री विधायक प्रतिनिधि के रूप में विनोद डोभाल ने शीतकालीन यात्रा शुरू करने और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साधु संतों के खरशाली गांव पहुंचने पर आभार जताया. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की यह पहल मील का पत्थर साबित होगी. गौर हो कि शीतकाल में मां यमुना की पूजा खरशाली यानी खुशीमठ में होती है. जबकि, मां गंगा की पूजा मुखबा यानी मुखीमठ में होती है. इसी तरह से बदरी विशाल और बाबा केदार की पूजा भी शीतकालीन प्रवास स्थलों में होती है.