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उत्तरकाशी में सरकारी लापरवाही छात्रों पर भारी, जर्जर स्कूल में मुश्किल हुई पढ़ाई

राजकीय इंटर कॉलेज में पहले दिन बारिश के दौरान स्कूली छात्र-छात्राओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. जनप्रतिनिधियों ने शिक्षा विभाग को पत्र लिख कर जर्जर स्कूल की मरम्मत 10 दिन के भीतर कराने की मांग की है.

Uttarkashi
पहले दिन खुले में बैठे छात्र
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Published : Aug 2, 2021, 7:53 PM IST

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार के आदेश पर सोमवार से कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खुल गए हैं. वहीं, उत्तरकाशी के राजकीय इंटर कॉलेज में पहले ही दिन हुई बारिश ने प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी. पहले दिन स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं को बारिश की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

दरअसल, प्रदेश सरकार के आदेशानुसार सोमवार को कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खुले. उत्तरकाशी के राजकीय इंटर कॉलेज में पहले दिन ही अनियमितताएं देखने को मिलीं. इस स्कूल में 50 सालों से भी पुराने टीनशेड के भवन हैं, जिनकी बल्लियां वर्तमान में टूट चुकी हैं. सालों पुराने इस टीनशेड में बड़े-बड़े छेद हो गए हैं. स्कूल प्रशासन की ओर से स्कूल खुलने से पहले कोई भी व्यवस्था नहीं की गई थी. ऐसे में बारिश होने पर स्कूली छात्रों को पहले दिन ही काफी मुश्किलें हुईं.

प्रधानाचार्य ने बताई स्कूल की समस्या

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राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड की छात्रा आयुषी नौटियाल और स्मिता नेगी ने बताया कि स्कूल खुलने के पहले दिन सुबह मौसम साफ था, लेकिन बाद में बारिश होने लगी. इससे सभी छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कतें हुईं. टीनशेड जर्जर होने के कारण सुबह उन्हें खुले मैदान में बैठकर पढ़ना पड़ा. तभी अचानक बारिश होने से सभी छात्रों को जर्जर टीनशेड के नीचे अपनी जान जोखिम में डालकर बैठना पड़ा. छात्राओं ने कहा कि बारिश के दौरान यहां की समस्या और भी जटिल और भयावह हो जाती है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में कुल 2347 बच्चों को 21 वर्ष तक मिलेगा 'वात्सल्य', योजना की शुरुआत

वहीं, स्कूल की वर्तमान स्थिति की सूचना मिलने पर क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुजा नेगी और ग्राम प्रधान संजू नेगी और अन्य लोग विद्यालय पहुंचे और पूरे स्कूल का जायजा लिया. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने कहा कि उच्चाधिकारियों ने राष्ट्रीय इंटर कॉलेज साल्ड के क्षतिग्रस्त भवन का कई बार निरीक्षण कर किया, लेकिन उसे ठीक नहीं कराया. ग्राम प्रधान ने बताया कि उन्होंने त्रिपाल से कक्षाओं को ढकवा दिया था, लेकिन त्रिपाल भी ज्यादा दिन तक नहीं चल सके. ग्राम प्रधान ने बताया कि 13 साल पहले विद्यालय के नए भवन के निर्माण के लिए 98 लाख रुपए की शनराशि आई थी, जिसमें 3 साल में मात्र पिलर और ढांचा ही तैयार हो पाया.

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बाकी 10 सालों से काम नहीं होने पर स्कूल खंडहर में तब्दील हो गया है. वहीं, अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में शिक्षा विभाग और शासन-प्रशासन को पत्र लिख कर स्कूल के जर्जर टीनशेड भवनों का 10 दिन के भीतर मरम्मत कराने की मांग की है. जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अगर 10 दिन के भीतर स्कूल के जर्जर भवनों की मरम्मत नहीं करायी गयी तो सभी स्कूली बच्चों को लेकर शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में धरना दिया जाएगा. वहीं, राइंका साल्ड के प्रधानाचार्य बृजपाल सिंह राणा ने बताया कि स्कूल के कंप्यूटर लैब कक्षाएं और स्टाफ रूम जर्जर हो चुके हैं. इसके लिए उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है.

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार के आदेश पर सोमवार से कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खुल गए हैं. वहीं, उत्तरकाशी के राजकीय इंटर कॉलेज में पहले ही दिन हुई बारिश ने प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी. पहले दिन स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं को बारिश की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

दरअसल, प्रदेश सरकार के आदेशानुसार सोमवार को कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खुले. उत्तरकाशी के राजकीय इंटर कॉलेज में पहले दिन ही अनियमितताएं देखने को मिलीं. इस स्कूल में 50 सालों से भी पुराने टीनशेड के भवन हैं, जिनकी बल्लियां वर्तमान में टूट चुकी हैं. सालों पुराने इस टीनशेड में बड़े-बड़े छेद हो गए हैं. स्कूल प्रशासन की ओर से स्कूल खुलने से पहले कोई भी व्यवस्था नहीं की गई थी. ऐसे में बारिश होने पर स्कूली छात्रों को पहले दिन ही काफी मुश्किलें हुईं.

प्रधानाचार्य ने बताई स्कूल की समस्या

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राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड की छात्रा आयुषी नौटियाल और स्मिता नेगी ने बताया कि स्कूल खुलने के पहले दिन सुबह मौसम साफ था, लेकिन बाद में बारिश होने लगी. इससे सभी छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कतें हुईं. टीनशेड जर्जर होने के कारण सुबह उन्हें खुले मैदान में बैठकर पढ़ना पड़ा. तभी अचानक बारिश होने से सभी छात्रों को जर्जर टीनशेड के नीचे अपनी जान जोखिम में डालकर बैठना पड़ा. छात्राओं ने कहा कि बारिश के दौरान यहां की समस्या और भी जटिल और भयावह हो जाती है.

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वहीं, स्कूल की वर्तमान स्थिति की सूचना मिलने पर क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुजा नेगी और ग्राम प्रधान संजू नेगी और अन्य लोग विद्यालय पहुंचे और पूरे स्कूल का जायजा लिया. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने कहा कि उच्चाधिकारियों ने राष्ट्रीय इंटर कॉलेज साल्ड के क्षतिग्रस्त भवन का कई बार निरीक्षण कर किया, लेकिन उसे ठीक नहीं कराया. ग्राम प्रधान ने बताया कि उन्होंने त्रिपाल से कक्षाओं को ढकवा दिया था, लेकिन त्रिपाल भी ज्यादा दिन तक नहीं चल सके. ग्राम प्रधान ने बताया कि 13 साल पहले विद्यालय के नए भवन के निर्माण के लिए 98 लाख रुपए की शनराशि आई थी, जिसमें 3 साल में मात्र पिलर और ढांचा ही तैयार हो पाया.

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बाकी 10 सालों से काम नहीं होने पर स्कूल खंडहर में तब्दील हो गया है. वहीं, अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में शिक्षा विभाग और शासन-प्रशासन को पत्र लिख कर स्कूल के जर्जर टीनशेड भवनों का 10 दिन के भीतर मरम्मत कराने की मांग की है. जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अगर 10 दिन के भीतर स्कूल के जर्जर भवनों की मरम्मत नहीं करायी गयी तो सभी स्कूली बच्चों को लेकर शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में धरना दिया जाएगा. वहीं, राइंका साल्ड के प्रधानाचार्य बृजपाल सिंह राणा ने बताया कि स्कूल के कंप्यूटर लैब कक्षाएं और स्टाफ रूम जर्जर हो चुके हैं. इसके लिए उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है.

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