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संचार सुविधा से महरूम गांव, रोड के किनारे बैठकर ऑनलाइन परीक्षा देने को मजबूर बच्चे

पहाड़ों में ऑनलाइन शिक्षा पाना बहुत ही मुश्किल है. इस कड़ी में उत्तरकाशी में भटवाड़ी ब्लॉक के कुज्जन गांव में प्राइवेट स्कूलों के छात्र-छात्राएं गांव से 2 किमी दूर सड़क किनारे ऑनलाइन परीक्षाएं देने को मजबूर हैं.

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सड़क किनारे ऑनलाइन शिक्षा
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Published : Jun 15, 2020, 3:48 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 5:20 PM IST

उत्तरकाशी: पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं हैं. जहां एक ओर शिक्षकों की कमी हमेशा बनी रहती है तो वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन ने बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित किया है. क्यों कि लॉकडाउन की वजह से सभी स्कूल बंद हैं. जिसका असर बच्चों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है.

रोड के किनारे बैठकर ऑनलाइन परीक्षा देने को मजबूर बच्चे.

अनलॉक में भी स्कूल न खुलने के कारण अभी भी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा जारी है. लेकिन वह तो तब सफल होगा, जब गांव-गांव तक नेटवर्क होगा. यही कारण भटवाड़ी ब्लॉक के कुज्जन गांव में प्राइवेट स्कूलों के छात्र-छात्राएं गांव से 2 किमी दूर सड़क किनारे ऑनलाइन परीक्षाएं देने को मजबूर हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में संचार की व्यवस्था न होने से कमोवेश ऐसी स्थिति सभी जगह देखी जाती है.

कोरोना काल में लाॉडाउन के बाद अनलॉक में भी केंद्र और राज्य सरकार ने महामारी के संक्रमण से बचने के लिए स्कूल न खोलने का निर्णय लिया है. साथ ही ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. शिक्षा मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ग्रामीणों और शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं. लेकिन प्रदेश सरकार अभी तक गांवों में नेटवर्क सुविधाएं नहीं पहुंचा पाई हैं. ऐसी स्थिति में पहाड़ के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

पढ़ें: लॉकडाउन से गंगोत्री नेशनल पार्क को हुआ लाखों का नुकसान

कुज्जन गांव के ग्राम प्रधान महेश पंवार ने बताया कि आजकल शहर में पढ़ने वाले सभी बच्चे गांव आए हैं. कोरोना काल मे उनकी ऑनलाइन शिक्षाएं चल रही हैं. लेकिन गांव में नेटवर्क न होने के कारण प्राइवेट और सरकारी विद्यालय के बच्चों को गांव से 2 किमी दूर जाना पड़ रहा है तो वहीं प्राइवेट स्कूल के बच्चों को नेटवर्क के लिए सड़क किनारे ऑनलाइन परीक्षाएं देनी पड़ रही हैं.

उत्तरकाशी: पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं हैं. जहां एक ओर शिक्षकों की कमी हमेशा बनी रहती है तो वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन ने बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित किया है. क्यों कि लॉकडाउन की वजह से सभी स्कूल बंद हैं. जिसका असर बच्चों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है.

रोड के किनारे बैठकर ऑनलाइन परीक्षा देने को मजबूर बच्चे.

अनलॉक में भी स्कूल न खुलने के कारण अभी भी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा जारी है. लेकिन वह तो तब सफल होगा, जब गांव-गांव तक नेटवर्क होगा. यही कारण भटवाड़ी ब्लॉक के कुज्जन गांव में प्राइवेट स्कूलों के छात्र-छात्राएं गांव से 2 किमी दूर सड़क किनारे ऑनलाइन परीक्षाएं देने को मजबूर हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में संचार की व्यवस्था न होने से कमोवेश ऐसी स्थिति सभी जगह देखी जाती है.

कोरोना काल में लाॉडाउन के बाद अनलॉक में भी केंद्र और राज्य सरकार ने महामारी के संक्रमण से बचने के लिए स्कूल न खोलने का निर्णय लिया है. साथ ही ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. शिक्षा मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ग्रामीणों और शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं. लेकिन प्रदेश सरकार अभी तक गांवों में नेटवर्क सुविधाएं नहीं पहुंचा पाई हैं. ऐसी स्थिति में पहाड़ के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

पढ़ें: लॉकडाउन से गंगोत्री नेशनल पार्क को हुआ लाखों का नुकसान

कुज्जन गांव के ग्राम प्रधान महेश पंवार ने बताया कि आजकल शहर में पढ़ने वाले सभी बच्चे गांव आए हैं. कोरोना काल मे उनकी ऑनलाइन शिक्षाएं चल रही हैं. लेकिन गांव में नेटवर्क न होने के कारण प्राइवेट और सरकारी विद्यालय के बच्चों को गांव से 2 किमी दूर जाना पड़ रहा है तो वहीं प्राइवेट स्कूल के बच्चों को नेटवर्क के लिए सड़क किनारे ऑनलाइन परीक्षाएं देनी पड़ रही हैं.

Last Updated : Jun 15, 2020, 5:20 PM IST
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